समझौते के कागज को नोटिस समझ किसान ने लगाई फांसी
आशीष मिश्र [Edited By: स्वपनल सोनल] | लखनऊ, 16 मार्च 2014 | अपडेटेड: 15:23 IST
वह किसान का बेटा था. मां-बाप ने उसका नाम 'आबाद' रखा था. यकीनन वे चाहते होंगे कि उनका लाल ताउम्र आबाद रहे, लेकिन घटती पैदावार और कर्ज के बोझ ने उसे बर्बाद कर दिया. देश में खेतीहर किसान, पैदावार की कमी और बैंक से बढ़ते कर्ज का का खौफ क्या होता है इसकी एक बानगी यूपी के महोबा में देखने को मिली. यहां एक किसान के घर अदालती कागज आता है. घर की माली हालत ऐसी है कि वह कर्ज चुका नहीं सकता. ऐसे में बिना कागज पढ़े अपनी जिंदगी से निराश वह किसान खुद को फांसी लगा लेता है, जबकि वह कागज राष्ट्रीय लोक अदालत से समझौते के लिए भेजा गया पत्र था.
दरअसल, महोबा कचहरी में 12 अप्रैल को राष्ट्रीय लोक अदालत के जरिए किसानों व अन्य लोगों के वादों का निस्तारण किया जाना है. इसके तहत जिला विधिक प्राधिकरण ने शुक्रवार को आबाद मोहम्मद को पत्र भेजा. पत्र में 20 मार्च को न्यायालय में आकर सुलह समझौते के आधार पर लोन का निस्तारण किए जाने की बात थी, लेकिन अनपढ़ किसान उसे बैंक के अधिकारियों का नोटिस समझ बैठा और उसने शनिवार को घर पर पंखे के हुक से फांसी लगा ली.
तीन साल पहले लिया था कर्ज
जानकारी के मुताबिक, महोबा के मोहल्ला कसौराटोरी निवासी आबाद मोहम्मद की बीजानगर रोड पर पांच बीघा कृषि भूमि है. साल 2011 में आबाद ने भारतीय स्टेट बैंक महोबा से खेती के लिए 20 हजार रुपये कर्ज लिए थे, जिसे वह अब तक नहीं चुका पाया था.
जानकारी के मुताबिक, महोबा के मोहल्ला कसौराटोरी निवासी आबाद मोहम्मद की बीजानगर रोड पर पांच बीघा कृषि भूमि है. साल 2011 में आबाद ने भारतीय स्टेट बैंक महोबा से खेती के लिए 20 हजार रुपये कर्ज लिए थे, जिसे वह अब तक नहीं चुका पाया था.
बताया जाता है कि आबाद ने बैंक से बोरिंग करवाने के लिए पैसे लिए थे. उसने बोरिंग करवा भी दी थी. इससे हर साल अच्छी उपज मिलने लगी. खेत में उत्पादन क्षमता बढऩे से किसान ने बैंक का कुछ लोन अदा कर दिया. अब उसे ब्याज सहित करीब 15 हजार रुपये अदा करना था. इस साल खेत में अच्छी फसल भी तैयार थी, लेकिन अधिक बारिश और ओले गिरने के कारण उसकी फसल बर्बाद हो गई. बैंक का कर्ज अदा करना तो दूर आबाद के घर रोजी रोटी का संकट बढ़ गया.
मृतक के बेटे शफीक का कहना है कि शुक्रवार को बैंक का नोटिस आने के बाद से ही पिता परेशान थे. एसडीएम सत्यप्रकाश राय ने बताया कि बैंक का कुछ पैसा बकाया होने के कारण 12 अप्रैल को लगने वाली लोक अदालत में पैसा जमा कर समझौते को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने आबाद के पास पत्र भेजा था, जिसे पुलिसकर्मी ने तामील कराया था. तामील के बाद उसने फांसी लगा ली. जांच के लिए नायब तहसीलदार को भेजा गया है.
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