" ऋषि-खेती आल इन वन बगीचा "
कैसे बनायें ?
आज कल अनाज की खेती ,सब्जियों की खेती और फलों की खेती अलग अलग खेतों में की जाती है। ऋषि खेती करने के लिए ये जरूरी नहीं है अनाज, सब्जी और फलों के पेड़ हम एक साथ लगा सकते हैं.
सन,घास आदी का ढकाव |
असल में फसलोत्पादन में किसानो को सबसे बड़ा डर खरपतवारों और पेड़ों की छाया का रहता है.जबकि ऋषि -खेती में पेड़ ,झाड़ियां और अनाज की फसलों में मित्रता रहती है.
गाजर घास का ढकाव |
ऋषि-खेती करने से पहले हमे अपने खेत को पूरी तरह जुताई,चराई ,आग से सुरक्षित करने की जरुरत है. ऐसा करने से पहली बरसात में हमको बहुत वनस्पतियों मिल जाती हैं हम उनकी सहायता से बिना जुताई की आल इन वन खेती शुरू कर सकते हैं. वनस्पतियों के घनत्व को बढ़ाने के उदेश्य से बरसात के पहले खेत में असंख्य सुबबूल,सन, ढेंचा,गाजर घास आदी के बीज का छिड़काव करने की हम सलाह देते हैं इस से खेतों में हमको अपनी आवशयकतानुसार हरियाली का ढकाव मिल जाता है. हरियाली के ढकाव में हम बीजों को सीधे छिड़कर इस ढकाव को जहाँ का तहां मोड़कर सुला देते हैं. इस से बीज अंकुरित होकर सोये ढकाव के ऊपर छ जाता हैं. और आराम से हमे बम्पर फसल मिल जाती है. धान ,सोयबीन ,अरहर ,बेंगन टमाटर के साथ हम २०-२० फीट की दूरी पर फलदार पेड़ भी लगा सकते हैं.
पेड़ों के नीचे ऋषी गेंहू |
जुताई नहीं करने से खेत की जैविक खाद बहती नहीं है वरन तेजी से जैव विविधताएं पनपती हैं.जो खेत को ताकतवर और पानीदार बना देती हैं.
ताकतवर खेतों में ताकतवर फसलें पैदा होती हैं उनमे रोग नहीं लगते हैं इस लिए किसी भी प्रकार की दवाई की जरुरत नहीं रहती है.
सामान्यत: एक ५-६ सदस्यों वाले परिवार के लिए एक चौथाई एकड़ जमीन पर्याप्त रहती है. प्रत्येक परिवार के सदस्य को एवरेज एक घंटे से अधिक समय की जरुरत नहीं रहती है.
यह खेती जियो और जीने दो के सिद्धांत पर आधारित है.
No comments:
Post a Comment