असिंचित बिना-जुताई की ऋषि-खेती
नींदों को मोड़कर की जाने वाली ऋषि-खेती
खेती के लिए जमीन की जुताई प्राचीन काल से एक पवित्र काम माना जाता रहा है. किन्तु अभी मात्र कुछ सालों से जमीन की जुताई को ना खेती के लिए वरन हमारे पर्यावरण के लिए सबसे अधिक हानीकर माना जाने लगा है. इस से खेत मरुस्थल में तब्दील हो रहे हैं. मौसम बिगड़ रहा है.
जमीन की जुताई का मूल उदेश्य नींदों की हिंसा है.
जबकी नींदे जिन्हे हम खरपतवार कहते हैं ये असली खेती के देवता हैं. हम इन्हे भूमी ढकाव की फसलें कहते हैं. इनके ढकाव में असंख्य जीवित विविधतायें पनपती हैं जो जमीन को हवादार ,पानीदार और उर्वरक बनाती है. इस लिए आज कल इनकी हिंसा के वजाय इनकी सुरक्षा कर खेती का चलन हो गया है.
जुताई नहीं होने और जमीन के भीतर पानी के ले जाने वाली वाहनियों के सुरक्षित रहने के कारण बरसात का पानी जमीन में समां जाता है तथा वह वास्प बन कर फसलों की पानी की मांग को भी पूरा करता है. कृत्रिम सिंचाई की कोई जरुरत नहीं रहती है.
2 comments:
Mr. Raju Good After Noon.
Thanks for your kind co-operation towards growth of eco friendly society. Please give you details about " Rishi Kheti ".
Thanks
Arun Pal singh
Distt- Una (Himachal Pradesh)
arunpalsingh@in.com
09350773723
Mr. Raju Good After Noon.
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Arun Pal singh
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