Friday, March 28, 2014

SCIENTIFIC FARMING IS FAILING

एक तिनका क्रांती 

मासानोबू फुकुओका 

 मेरे खेतों पर निगाह डालें 

ये सरसों  और गेंहूं के खेत हैं। इन खेतों से मुझे प्रति चौथाई एकड़ एक टन अनाज मिल जाता है. यह उत्पादन जापान के सबसे उत्पादक वैज्ञानिक खेती के उत्पादन के बराबर है. जबकि मेने अपने खेतों को पिछले २५ सालो से ना जोता है ना ही बखरा है. मै इन खेतों में किसी भी प्रकार के खाद और दवा का उपयोग नहीं करता हूँ.
एक टन प्रति चौथाई एकड़ पैदावार 


सरसों और गेंहूं की बोनी करने के लिए मै धान की कटाई से करीब १५-२० दिन पहले खड़ी धान की फसल में बीजों को छिड़क देता हूँ. धान की कटाई और  धान को झड़ाने के बाद में बची पुआल को उगते नन्हे पौधों के ऊपर जहाँ का तहां आड़ा तिरछा फेंक देता हूँ.
एक किलो प्रती वर्ग मीटर पैदावार 

धान की बुआई भी में इसी प्रकार करता हूँ धान के बीजों को सीधा मै  गेंहूं और सरसों के खेतों में सीधे फेंक देता हूँ. गेंहूं और सरसों की नरवाई को भी मै इसी प्रकार खेतों पर जहाँ का तहां फेंक देता हूँ. धान और गेंहूं की फसल चक्र में ये विधि मेरे ही खेतों में अपनाई जाती है.

इसमें खेतों में पानी भर कर रखना ,रोपा लगाना ,कीचड आदी मचाने की कोई जरुरत नहीं है. इस खेती की पैदावार वैज्ञानिक खेती के बराबर जरुर है किन्तु जमीन और फसल की गुणवत्ता  का कोई मुकाबला नहीं है.






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