Monday, March 17, 2014

सम्पूर्ण बेरोजगारी का हल ऋषि-खेती में है.

सम्पूर्ण बेरोजगारी का हल ऋषि-खेती में है.

धोगिकीकरण बेरोजगारी का कारण है, हल नहीं है। जब से हरित क्रांती के नाम से गहरी जुताई और जहरीले रसायनो का उपय़ोग ओधोगिक खेती के नाम से शुरू हुआ है तब से खेतिहरों  का गांवों से तेजी  से पलायन हुआ है अब स्थिती ये है कि गांवों में खेती के लिए काम वाले  नहीं मिल रहे हैं और शहरों में बेरोजगारों की भीड़ जमा हो रही है.

ऋषि खेती बिना जुताई और बिना रसायनो से की जाने  वाली खेती है. जिस से हर हाथ को काम और खान-पान दोनों बहुलता से उपलब्ध रहता है. पानी की कमी आज कल  सबसे बड़ी समस्या उभर कर आ रही है. दिल्ली और गुजरात जैसे ओधोगिक प्रदेश पानी की कमी के कारण प्यासे है. यह ओधोगिक खेती का ही परिणाम है. ओधोगिक खेती से पर्यावरण नस्ट हो जाता है हरियाली नहीं रहने के कारण पानी नहीं मिलता है असल में पानी ना तो आसमान से आता है ना ही वह धरती से आता है वह तो हरियाली से आता है. बड़े बाँध बना कर पानी की समस्या को दूर नहीं किया जा सकता है हरियाली नहीं रहेगी तो .नदियों में पानी कहाँ से आयेगा और बाँध कैसे भरेंगे।

  1. Natural Farming with Masanobu Fukuoka - YouTube

    www.youtube.com/watch?v=Ft0ylk4sU5M

    23-03-2012 - PermaculturePlanet द्वारा अपलोड किया गया
    Full-length documentary following the legendary MasanobuFukuoka on a visit to India.
औधोगिक खेती और कारखाने गैर -पर्यावरणीय विकास के सूचक हैं. पर्यावरण नहीं रहेगा  तो हम कैसे रह सकते हैं. आज देश में पढ़े लिखे और बहुत अधिक पढ़े लिखे बे रोजगारों को रोजगार देना उद्घोगों के बस की बात नहीं है. क्योंकि इस में खर्च ,समय प्रदूषण और गैर -टिकाऊपन की गम्भीर समस्या है.

जबकि ऋषि-खेती में सामान्य खेती से ८०% खर्च कम आता है. उत्पादकता  और गुणवत्ता के साथ साथ हरियाली तेजी से पनपती है जिस से कुदरती आहार,ईंधन ,चारा सब कुछ मिल जाता है.

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