Wednesday, March 26, 2014

पूरे देश में कृषी की ग्रोथ नेगेटिव है.


पूरे देश में कृषी की ग्रोथ नेगेटिव है. 

खेत मरुस्थल में तब्दील हो रहे हैं ,इसलिए किसान आत्म-हत्या कर रहे हैं.


मारी खेती किसानी हमारे पर्यावरण के अनुसार चलती है जिसमे कुदरती जल और मिट्टी की उर्वरता की अहम् भूमिका है.किन्तु जब फसलोत्पादन के लिए हरयाली को नस्ट कर खेतों को जोता जाता है तब बरसात का पानी जमीन में ग्रहण  नहीं होता है वह तेजी से बहता है जो अपने साथ खेत की जैविक खाद को भी बहा कर ले जाता है. करीब हर साल १५ टन जैविक खाद इस प्रकार खेतों से बह जाती है. 

दूसरा जुताई करने से खेतों की जैविक खाद गैस में तब्दील होकर उड़ जाती है जिस से एक और खेत कमजोर हो जाते है वही ग्रीन हॉउस गैस की समस्या उत्पन्न हो जाती है. एक बार जुताई करने से खेत की आधी ताकत 
नस्ट हो जाती है. इसलिए सूखे और बाढ़ दोनों की समस्या आम रहती है किसान घाटे में रहते हैं.
फ़ोटो: NATURAL WHEAT CROP OF TITUS NATURAL FARM.
टाइटस कुदरती खेती की फसल. (गेंहू)
पेड़ों के साथ बिना जुताई की कुदरती खेती 
यही कारण है कि खेती किसानी में भयंकर अनुदान दिया जा रहा है. इसके बावजूद किसान आत्म-हत्या कर रहे हैं. ऐसा नेगेटिव ग्रोथ के कारण है.

ग्रोथ को बढ़ाने के लिए अनेक किसान अब बिना जुताई की खेती करने लगे हैं. जिस से जैविकता और पानी का छरण पूरी तरह रुक जाता है और खेत किसान संपन्न हो रहे है. जुताई के कारण पनपते मरुस्थल जीवित हो रहे हैं.

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