Saturday, February 15, 2014

भ्रस्ट खेती बंद करें


भ्रस्ट खेती बंद करें 

कुदरती खेती अपनाएं 

ब हम खेती करने के लिए जमीन की जुताई करते हैं तो जमीन से जुडी तमाम जैव विवधताएं मर जाती हैं यह सबसे बड़ी हिंसा है यह सबसे बड़ा भ्रस्टाचार है. जैसा कि हम सब जानते हैं कि जहाँ हरियाली होती है वहीं खुशहाली रहती है. हरियाली हमे साँस लेने के लिए प्राण वायू देती है तथा जहरीली वायू को को सोखकर उसे जैविक खाद में परिवर्तित कर देती है.

फुकुओकाजी अपने कुदरती खेतों में 

प्राचीन देशी खेती की पद्धती में किसान खेती करने के लिए जमीन की जुताई नहीं या कम से कम करते थे इसके अलावा जब किसान देखते थे कि जमीन की जुताई से खेत कमजोर होने लगे वे जुताई को बंद कर देते थे   जिस से खेत पुन: ताकतवर हो जाते थे. ऋषि पंचमी का पर्व आज भी हमे इसकी याद दिलाता है इस पर्व में बिना जुताई के अनाजों का सेवन किया जाता है और कांस घास की पूजा की जाती है. कांस घास जुताई से बनते रेगिस्थान की निशानी है. पुराने ज़माने जब किसान अपने खेतों में कांस को फूलता देखते थे तो वो जुताई बंद कर देते थे. कांस घास भूमिगत जल के गिरते स्तर की निशानी है.

जुताई करने से खेतों  की बारीक मिट्टी पानी के साथ मिल कर कीचड में तब्दील हो जाती है जो बरसात के पानी को जमीन में भीतर नहीं जाने देती है. इस कारण साल दर साल भूमिगत जल का स्तर गिरता जाता है.
कुदरती चावल की फसल 
दूसरा जुताई करने से केंचुओं ,चीटी ,चूहों आदि के घर ,तथा दरारें सब पुर जातीं हैं जिस से बरसात का पानी जमीन में अंदर जाना बंद हो जाता है. वह तेजी से बहता है इस कारण खेत की जैविक खाद भी बह जाती है खेत सूखकर कमजोर हो जाते हैं.

बिना -जुताई की खेती से एक और जहाँ खेत पुन: ताकतवर और पानीदार हो जाते हैं वही खेतों की तमाम जैव और  वानस्पतिक विविधताएं वापस आ जाती हैं.बिना जुताई की फसलें बम्पर और कुदरती गुणो से भरपूर उतरती हैं. खेत हरियाली से भर जातें हैं. भूजल ऊपर आ जाता है.

हमारे देश में बिना जुताई की खेती प्राचीन काल से होती आयी है जिसे जापान के मास्नोबू फुकुओका ने ६० सालों से भी अधिक समय तक करके दुनिया को  दिखला दिया कि जुताई आधारित रासायनिक खेती सत्य और अहिंसा से परे देश के विनाष का कारण है. यह सबसे बड़ा भ्रस्टाचार है.
Raju Titus
Natural farmer
Hoshangabad
rajuktitus@gmail.com. mobile-09179738049.




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