Saturday, February 22, 2014

"आमआदमी पार्टी की नेता मेधा पाटकर जी को सलाम "



जल जंगल जमीन बचाने का संकल्प 


हम मेधा पाटकर जी के 'आमआदमी पार्टी ' में शामिल होने और लोकसभा चुनाव में चुनाव लड़ने के निर्णय का दिल से स्वागत करते हैं. मेधाजी ने हमारे पर्यावरण और हम लोगों को बचाने के लिए "नर्बदा बचाओ आंदोलन " के जरिये समाज सेवा में इतिहास बनाया है.
नर्बदा बचाओ आंदोलन से आमआदमी पार्टी में मेधाजी 


आज शहरों में रहने वाले अनेक लोग इस बात से बहुत खुश हैं कि उन्हें 24 घंटे बिजली मिल रही है. वे दिन रात इस बिजली का उपयोग अब टीवी,कम्पुटर ,AC में कर अपने को विकास शील महसूस कर रहे हैं. किन्तु वे भूल जाते हैं कि जो रोटी वो खा रहे है वह जहरीली हो गयी है जो पानी वह पी रहे हैं वह जहरीला है जो सांस वो ले रहे हैं वह जहरीली हो गयी है. जिसके कारण केंसर जेसी बीमारियां तेजी से पनप रही है.

नर्बदा नदी पर बने सरदार सरोवर बाँध से नर्बदा नदी एक एक गंदे पानी का तालाब बन कर रह गयी है. जिसके एक तरफ सूखा और दूसरी तरफ बाढ़ की समस्या स्थाई हो गयी है. डूब में हजारों किसान की जमीन और घर चले गए हैं वे अपनी आजीविका के लिए दर दर भटक रहे हैं. बाँध खेती किसानी के लिए बनाया गया और पानी उधोगों को दे दिया खेत प्यासे रह गए. क्या यही विकास है ?

गुजरात आज ज़िंदा है तो वह नर्मदा के पानी पर जिन्दा है विकास के नाम पर वहाँ केवल हरियाली का दोहन हुआ है इस कारण वहाँ पीने का पानी नहीं है. किसी भी प्रदेश का विकास चमचमाती सड़कों ,फ्लाईओवर ,हवाई में उड़ाने भरते मुख्यमंत्रीजी से नहीं आँका जा सकता असल विकास को नापना है तो वहाँ के भूजल के स्तर और पनपती हरियाली से आँका जाना चाहिए। इसी प्रकार मप का किसान कर्मण अवार्ड इस लिए नहीं है कि वहाँ खूब खेती किसानी का विकास हुआ है वरन वहाँ ये अवार्ड कुदरती खेती किसानी के  मरने के लिए है.

प्राचीन खेती किसानी में जल ,जंगल, जमीन और जानवरों का संरक्षण किया जाता था. जिस से कुदरती खान ,पान मिलता था लोग कुदरती वातावरण में निरोगी लम्बी उम्र जीते थे. खेती किसानी आत्म  निर्भर थी.


आज की बाँध आधारित खेती पूरी तरह आयातित तेल की गुलाम हो गयी है. गहरी जुताई और जहरीले रसायनो के कारण खेत बंजर होते जा रहे हैं. पंजाब, मप ,गुजरात ,हरियाणा आदि जिन्हे खेती किसानी में विकसित प्रदेश कहा जाता है. यहाँ ७०% लोगों के खून में कमी आ गयी है अनेक लोगों के खून में जहर के अंश पाये जा रहे हैं केंसर की बीमारी आम हो गयी है. क्या यही विकास है ?


हम पिछले 27 सालो से जुताई और जहरीले रसायनो के बिना ,मशीनो का उपयोग किए बिना विश्व की सर्वोत्तम उत्पादकता और गुणवत्ता वाली कुदरती खेती करते हैं जिनसे कुदरती खान पान मिलता है जिस से केंसर भी ठीक हो जाता है.  जल,जंगल,जमीन और जानवरों के संवर्धन हो रहा है. खेती किसानी का 80 % खर्च कम हो गया है, कुदरती खान पान भरपूर उपलब्ध है,खेती लाभ कर हो गयी है ,खेत ताकतवर और पानीदार हो गए हैं. यह खेती केवल फसलोत्पादन का साधन मात्र नहीं है ये अच्छे इन्सान बनने  का जरिया है.

मेधाजी के राजनीती में आने से देश को भ्रस्ट  राजनीती से छुटकारा मिलेगा हम इस से बहुत उत्साहित हैं.

राजू टाइटस
कुदरती खेती के किसान
होशंगाबाद 

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