नर्मदा बचायो आंदोलन
ऋषि-खेती के सन्दर्भ में
आज कल टीवी में रोज गुजरात के माननीय मुख्य मंत्रीजी गुजरात के विकास के गुणगान करते नहीं थकते हैं. वो कहते हैं कि हमने कंपनियों की मदद से गुजरात को "स्वर्ग " बना दिया है.
विगत दिनों हमारे यहाँ गुजरात अहमदाबाद के करीब शहर महसाना से डॉ पटेजी पधारे वे कई दिनों से " ऋषि-खेती " की जानकारी फोन और इंटरनेट के माध्यम से ले रहे थे. पटेलजी बहुत ही सादगी पसंद ईमानदार डॉ हैं. अपनी आजीविका के लिए वे किसी भी प्रकार के गलत काम नहीं करते हैं. ईमानदारी के खातिर उन्होंने सरकारी नोकरी छोड़ कर निजी स्तर पर पेथोलोजी का काम किया जिसे अब बंद कर ऋषि खेती करना चाहते हैं।
उन्होंने बताया कि पहले वे अपने खेतों में आधुनिक वैज्ञानिक खेती करते थे किन्तु खेती होने वाले घाटे और प्रदुषण के कारण वे अब जैविक खेती करने लगे हैं. जैविक खेती में भी लागत और श्रम अधिक रहता है. लाभ बहुत कम मिलता है.
इसी सन्दर्भ में जब उन्होंने नेट पर सर्च किया तो उन्हें ऋषि-खेती की जानकारी मिली उन्हें फ़ोटो और लेखों से उतना विश्वाश नहीं हुआ तो इसे देखने के लिए स्वम पधारे 62 वर्षीय पटेलजी कुदरती खान पान के सहारे अपने को स्वस्थ रखे हैं. इसी लिए अब कुदरती खेती की और मुड़े हैं.
कुदरती जल संग्रह समझने आस्ट्रेलया से मेहमान पधारे |
हमारे कुदरती खेतों को देख कर वे बहुत प्रसन्न हुए उन्होंने हमारे मार्ग दर्शन में खेती को करने का पूरा मन बना लिया है.
इसी सन्दर्भ में मेने उनसे मोदीजी के बारे में पुछा तो उन्होंने बताया कि ये सही है कि गुजरात में कम्पनी विकास बहुत हुआ है पर पानी हमे नर्मदा से ही मिल रहा है. यदी ये पानी नहीं मिले तो गुजरात प्यासा मर जायेगा।
हमने पुछा कि "आप के यहाँ बरसात कितनी होती है तो उन्होंने बताया कि जितनी बरसात यहाँ होती है उतनी ही बरसात हमारे यहाँ होती है " फिर मेने पुछा कि फिर ऐसा क्या है? की आप के यहाँ पानी नहीं है उन्होंने बताया कि एक हजार फीट नीचे पानी मिलता है वह भी इतना दूषित है कि उसे सीधे पिया नहीं जा सकता है."
हमने पूछा कि बाँध का पानी तो मप. के जंगलों की देन है, जो ख़तम हो रहे हैं फिर पानी कहाँ से आयेगा तो उन्होंने कहा कि हमे ऋषि खेती करने के सिवाय कोई उपाय नहीं है. ये समस्या केवल गुजरात की नहीं है ये समस्या सभी प्रदेशों की है. जमीन की हरयाली नस्ट कर जुताई कर खेती करने के कारण पानी कि समस्या है.
पानी आसमान की देन नहीं है ये धरती की देन है. यदी हमे अपने खेतों और प्रदेशों को स्वर्ग बनाना है तो हमें कंपनियों की नहीं धरती माँ की सेवा करने की जरुरत है. जिसका ऋषि-खेती एक मात्र उपाय है. जिसमे पैसा लगता नहीं है वरन मिलता है.
राजू टाइटस
ऋषि-खेती किसान
होशंगाबाद मप
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