Monday, February 24, 2014

हरियाली है जहाँ खुशहाली है वहाँ



कुछ मत करो और खुश रहो


भारत खेती किसानी वाला देश है. यहाँ की खेती किसानी अधिकतर यहाँ के मौसम और पर्यावरण पर निर्भर है. प्राचीन काल से हमारे किसान खुद के जीवन यापन के लिए हरियाली को बचाते रहे हैं. किन्तु जब से ओधौगिक रासायनिक खेती का चलन हुआ है तब से हरियाली बचाना बंद हो गया है. हर छोटे से छोटे हरियाली से ढके भूखंड को नस्ट कर उन्हें अनाज के खेतों में परिवर्तित कर दिया जाता है. जो कुछ सालों में मरुस्थल में तब्दील हो जाता है.
फुकुओजी का' डू नथिंग' फार्म जापान  

आदिवासी किसान भी जब किसी हरियाली के भूखंड को खेत बनाते थे उसमे तीन साल तक ही खेती करते थे बाद में उसे पड़ती छोड़ देते थे जिस से वह भूखंड फिर से हरियाली में बदल जाया करता था. प्राचीन देशी परंपरागत खेती किसानी में भी जब किसान देखते थे खेत उतरने लगे वे खेतों में कुछ नहीं करने की विधि से खेतों को पुन: ताकतवर होने के लिए छोड़ देते थे.

किन्तु जबसे मशीनो और रसायनो से होने वाली खेती का चलन शुरू हुआ है तबसे तेजी से हरियाली नस्ट हो रही है हर कोई अनाज की खेती के लिए हरे भरे भूखंडों को खेत बना देता है जो कुछ साल बाद मरुस्थलों में तब्दील हो जाते हैं. असल में खेती करने के लिए की जाने वाली जमीन की जुताई खेती में सबसे हानिकर उपाय है. जुताई करने के लिए किसान पेड़ों को नस्ट करते हैं जिस से मशीनो को चलने में कोई दिक्कत नहीं आये और छाया हटे जिस से अधिक से अधिक उत्पादन मिल सके ऐसा करने से जमीन की आधी ताकत पहली बार की जुताई से नस्ट हो जाती है धरती और आकाश का सम्बन्ध टूट जाता है.

जुताई नहीं करने से धरती में रहने वाली  तमाम वनस्पतियां,कीड़े मकोड़े ,जीवजंतु और सूक्ष्म -जीवाणु आदी सुरक्षित रहते हैं वे जमीन को उपजाऊ बना देते हैं. जमीने ताकतवर तथा पानीदार हो जाती हैं जिसमे अपने आप हरियाली छा जाती है.

खेती करने के गलत तरीकों से पनपे मरुस्थलों को ठीक करने के लिए अब बिना जुताई कुदरती खेती एक कारगर उपाय सिद्ध हुआ है. इस खेती का आविष्कार जापान के जेन माने कृषी वैज्ञानिक स्व मासानोबू फुकुओकाजी ने किया है जिसे हम पिछले २७ सालो से कर रहे हैं तथा इसके प्रचार प्रसार में कार्यरत हैं.

जुताई नहीं करने से खेतों की जैविक खाद का छरण नहीं होता है बरसात का पानी जमीन में समां जाता है.
खेती करने के लिए कम्पोस्ट और रासायनिक खाद ग़ैर  जरूरी हो जाती है. ताकतवर खेतों में ताकतवर फसल पैदा होती है इस लिए बीमारियों की रोकथाम के लिए किसी भी प्रकार की दवाई की जरुरत नहीं होती है.

हरियाली तेजी से पनपती है बिना कुछ किए मरुस्थल उपजाऊ भूमि में बदल जाते हैं.

शालिनी एवं राजू टाइटस
कुदरती खेती के किसान
होशंगाबाद।
461001 rajuktitus@gmail.com. 9179738049


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