ऋषि-खेती कैसे करें ?
ऋषि-खेती जुताई,खाद ,दवाइयों और निंदाई के बिना की जाने वाली खेती है.
इस खेती में जमीन में अपने आप पैदा होने वाली वनस्पतियों जिन्हे सामान्य खेती में खरपतवार या नींदा कहा जाता है का बहुत महत्व रहता है. जैसे गाजर घांस, सामान्य घास आदी. जब हम जमीन की जुताई बंद कर देते हैं तब हमारे खेत इन वनस्पतियों से ढँक जाते हैं हम इन वनस्पतियों को भूमिधकाव की फसल कहते हैं.
धान की पुआल से झांकती गेंहूं की फसल |
भूमिधकाव की फसल के नीचे असंख्य जीव-जंतु ,कीड़े -मकोड़े।केंचुए आदी कार्य करने लगते हैं जिनसे जमीन छिद्रित हो जाती है उस में उर्वरकता और जल ग्रहण करने की शक्ती आ जाती है खेत पानीदार हो जाते हैं. यदी किसी कारण से खेतों में भूमिधकाव नहीं होता है तो हमे भूमिधकाव की फसलों के बीजों को छिड़ककर भूमिधकाव बनाने की जरुरत रहती है.
गेंहूं की नरवाई से झांकती धान की फसल |
गेंहूं की कुदरती फसल |
चावल की कुदरती फसल |
इस खेती में तमाम खेती के अवशेषों को जहाँ का तहां वापस लोटा दिया जाता है जिस से यह खरपतवारों का नियंत्रण ,जैव-विवधताओं का संरक्षण ,नमी संरक्षण ,फसलों की बीमारियों की रोक थाम आदी में सहयोग करते हुए साद कर आगामी फसल के लिए उत्तम जैविक खाद बना देता है.
राजू टाइटस
ऋषि-खेती किसान
होशंगाबाद
461001. rajuktitus@gmail.com. mob-9179738049
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