Sunday, February 16, 2014

जहरीली खेती

जहरीली खेती

भ्रस्टाचार मुक्त खेती अपनाएं 

भोपाल गेस काण्ड 
भोपाल गेस कांड को कौन नहीं जनता हजारों लोगों की मौत कई हजार घायल अनेक अपंग आजतक वहाँ की हवा,पानी ,मिट्टी में जहर बसा है. आज भी नवजात बच्चों की मौत हो रही है अनेक बच्चे अपंग पैदा हो रहे हैं ,
केंसर की बीमारी आम हो गयी है. जहरीला कचरा अभी तक पड़ा है जिसका निस्तार नहीं हो पाया है. ऐसा हुआ उस जहरीली दवाई से जिसे खेतों में फसलों की इल्ली को मारने  के लिए बनाया जा रहा
था.

इस के बावज़ूद आजतक इस दवाई को बंद नहीं किया है जिसे बहुत बड़े पैमाने पर खेतों में डाला जा रहा है जिस के कारण जहर अब हम खेतों से फसलों से होता हुआ हमारे खून में मिलने लगा है. रोटी का हर कोर जहरीला हो गया है. खेतों का ये जहर भूमिगत जल में मिलकर एक और जहाँ पीने के पानी को जहरीला बना रहा है वहीं नदियों ,तालाब ,कुओं से होता हुआ समुन्द्र को भी जहरीला बना रहा है.

असल में जहरीली के पीछे भ्रटाचार है सरकारें ट्रेकटर ,हार्वेस्टर ,जी एम् बीज ,जहरीले रसायनो आदि की कम्पनियों को लाभ पहुँचाने के उद्शेय से गहरी जुताई को बढ़ावा दे रही है. जुताई करने से खेत कमजोर  हो जाते हैं उनमे रासायनिक उर्वरक,और कीट नाशक जो गेर जरूरी है डलवाये जाते है. इस  कारण
ये खेती दिन प्रतिदन जहरीली होती जा रही है.

बिना जुताई ,बिना खाद ,बिना दवाई का कुदरती गेंहूं
२० क्विंटल /एकड़ 

हम पिछले २७ सालों से बिना जुताई की कुदरती खेती कर रहे हैं. हम जुताई ,रसायन ,खाद ,दवाइयों का उपयोग नहीं करते हैं असल में ये सब गैर जरूरी हैं. बिना जुताई की कुदरती खेती की उत्पादकता और गुणवत्ता सबसे अधिक है. इस खेती को करने से  जमीन की जैवविवधतायों की हिंसा नहीं होती है. खेती खर्च में ८०% की कमी रहती है. सबसे बड़ा फायदा इस खेती से पानी का होता है जुताई करने से बरसात का पानी जमीन में नहीं जाता है वह बह जाता है साथ में खेतों की जैविक खाद को भी बहा कर ले जाता है. जबकी बिना जुताई से बरसात का पानी बहता नहीं है वह पूरा जमीन में समा जाता है.


इसी लिए हमारा मानना है कि सरकारों के अनेक मंत्री भ्रस्टाचार में लिप्त हैं वे कुदरती खेती को बढ़ावा देने की अपेक्षा जहरीली खेती को बढ़ावा दे रहे हैं इस पर रोक लगाने के लिए ईमानदार सरकार को चुनने की जरुरत है.


राजू टाइटस
ऋषि खेती
टाइटस नेचरल फार्म

होशंगाबाद
9179738049 rajuktitus@gmail.com.

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