आम आदमी पार्टी की सरकार का ऐतिहासिक दो दिवसीय धरना
अन्ना हजारे जी के 'जनलोकपाल कानून ' की मांग को लेकर चला गाँधीवादी भ्रस्टाचार उन्मूलन का आंदोलन अब आमआदमी पार्टी की दिल्ली में सरकार बन कर व्यवस्था परिवर्तन के नाम से चल रहा है जिसमे अन्ना हजारे जी का कोई सहयोग नहीं है पर वे इसके विरोधी भी नहीं हैं. उनका कहना है अच्छे लोग सत्ता में रहकर ईमानदारी से काम कर 'सत्ता से पैसा और पैसे से सत्ता ' जेसी भ्रस्ट व्यवस्था को बदल सकते हैं.
इसी आशय से केजरीवालजी ने 'आप ' को बनाया है यह दो दिवसीय धरना दिल्ली सरकार के आधीन पुलिस के नहीं रहने की गलत नीति के खिलाफ उठाया गया था किन्तु मुख्य आशय बरसों से दिल्ली सरकार की स्व्तंत्रता को लेकर उठ रहे सवाल भी सम्म्लित थे. दूसरा आमआदमी पार्टी की सरकार यह भी प्रयास कर रही है कि सरकार बंद कमरों से उठ कर आमआदमी का सेवक बन कर काम करे.
तीनो चाहे वह पुलिस की बात हो चाहे वह दिल्ली को सम्पूर्ण राज्य दिलाने का मामला हो चाहे वह सच्चे लोकतंत्र का मामला हो जीत हुई है भले वह २६ जनवरी के कारण आंशिक ही क्यों ना रही हो.
पर मेरे व्यक्तिगत विचारों में यह गाँधीवादी सोच की विजय है. किन्तु सच्चाई और अहिंसा बोल चाल और व्यवहार से भी प्रगट होना चाहिए। असली हिंसा की शुरुवाद जवान से शुरू होती है.
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