Wednesday, January 15, 2014

पानी रे पानी


पानी रे पानी

दिल्ली देश का दिल है ये देश की राजधानी है. आज़ादी के बाद से यहाँ अनेक सरकारे आयीं और गयीं पर पानी की समस्या का हल नहीं हो सका है.ये बड़ा प्रश्न है ? पानी तो कुदरत की देन  है. फिर क्या कारण है लोगों को आज दिल्ली में पीने का पानी नहीं मिल रहा है.

इसका कारण है" गेरकुदरती" विकास है. जिसका बखान सरकारें हमेशा करती आयी हैं. लोगों का कहना है की जब बरसात होती है तो हमारे यहाँ घुटने घुटने पानी भर जाता है किन्तु बरसात के जाते ही हम पीने के पानी को तरस जाते हैं. ये विकास नहीं विनाश है. जिससे  सबसे अधिक विकसित कहे जाने वाले महानगर परेशान हैं.

ये समस्या केवल नगरों या महानगरों में नहीं है पूरा देश इस समस्या से पीड़ित है. सूखा और बाढ़ इसका जीता जागता उदाहरण है. असल में ऐसा इस लिए है क्यों कि बरसात तो हो रही है पर हम बरसात के पानी को धरती में समाने से रोक रहे हैं. पानी धरती में नहीं समाता है वह रुक जाता है बाढ़ आ जाती है घरती में पानी नहीं इकठा रहने के कारण सूखा पड़ जाता है.

इस समस्या का सबसे बड़ा कारण गेरकुदरती खेती है. जमीन की जुताई सबसे बड़ा खेती में गेरकुदरती काम है. जुताई के कारण बरसात के पानी को जमीन के भीतर ले जाने वाले रास्ते जैसे केंचुओं ,चीटियों ,दीमक आदि के घर बंद हो जाते है.पानी अंदर नहीं जाता है. वह तेजी से बहता है अपने साथ मिट्टी को भी बहा कर ले जाता है.

भूमिगत जल की कमी के कारण पानी की समस्या बढ़ती जाती है इस के कारण जहाँ खेती किसानी प्रभावित होती है वहीं हरियाली भी कम हो जाती है और बरसात भी कम हो जाती है. पहले हर गांव मोहल्ले में कुए और तालाब होते थे. किसान कुदरती खेती करते थे भरपूर बरसात रहती थी पानी की कोई कमी नहीं रहती थी.

हमारे घर के कुए में भी पानी ख़तम हो गया था किन्तु बिना जुताई की कुदरती खेती करने से पानी लगातार बढ़ रहा है. इस खेती को हम ऋषि-खेती कहते हैं. यह कुदरती विकास की पहली सीढ़ी है.जिसे करने के लिए कुछ नहीं करने की जरुरत है. अधिक जानकारी के लिए 09179738049 पर संपर्क कर सकते है.

No comments: