कोबरा, बिल्ली और मैं !
एक दिन की बात है मेरी भेंस जिसका नाम भूरी है हमारे सुबबूल के कुदरती खेतों में चरने के लिए गयी थी, उसकी पड़िया ( भेंस की बच्ची) जिसका नाम सलमा है हमेशा की तरह घर मे अपनी माँ का इंतजार कर रही थी. खेतों मे जानवरों को लम्बी रस्सी से बांधना पड़ता है. उन्हें सुबबूल के पेड़ों से पत्तियों को काट काट कर खिलाया जाता है. असावधानी के कारण उसकी टांग रस्सी मे उलझ गयी थी जिस से वह ऐसी गिरी की उस से उठते ही नहीं बना. इस कारण वो उस रात घर नहीं आ सकी.
गो धूलि का समय था. सार (जानवरों को बांधने की जगह) में अँधेरा था. सलमा को दूध नहीं मिलने से वो बहुत रो रही थी, और मैं उसे उपरी दूध पिलाने की कोशिश कर रहा था. मैं उखरू बैठ कर कटोरे से उन्ग्लिओं के सहारे दूध पिलाने लगा. सलमा विचलित न हो जाये इस लिए मैने टोर्च को बुझाकर नीचे रख दिया था.
इसी बीच मुझे सांप के फुफकारने की आवाज आई. मैने टोर्च को जला कर देखा तो सामने मुंडेर पर जंगली बिल्ली बैठी थी. मैने सोचा एक और बिल्ली होगी और वे लड़ रही होंगी. उनकी आवाज भी सांप के फुफकारने जैसी रहती है. हमारे कुदरती खेतों में सांप, जंगली बिल्लियाँ, नेवले ,मोर आदि यहाँ वहां घूमते रहते हैं. इनके कारण अपने आप एक कुदरती संतुलन बना रहता है.
अबकी बार ये फुफकारने की आवाज बिलकुल मेरे कान के पास सुनाई दी. मैने पुन: टॉर्च को जला दिया. और पलट कर देखने लगा. देखा तो बिलकुल मेरे कान के पास कोबरे का सिर था. जैसे ही मेरी आंख उस की आँखों से मिली तो मुझे महसूस हुआ की वो किसी चीज़ से डर कर मेरे पीछे छुपने की कोशिश कर रहा है. वो फुफकार कर मुझ से कहने की कोशिश कर रहा है की मुझे बचाओ. मैने सामने देखा वही जंगली बिल्ली थी मेरे कारण वो आगे नहीं बढ़ पा रही थी. मैने धीरे से "हट" "हट" करते हुए बिल्ली को भगाने की कोशिश की. वह दो कदम पीछे चली गयी. उसके पीछे हटने से कोबरा भी नीचे सिर कर जाने लगा. मैं हट हट करते रहा बिल्ली हटती गयी और कोबरा भी जाता रहा, वो मुड़ मुड कर मुझे और बिल्ली को देखता जा रहा था. और देखते देखते वो आँखों से ओझल हो गया.
उसके जाने के बाद मैने सोचा की आखिर मुझे डर क्यों नहीं लगा ? मुझे डर इस लिए नहीं लगा क्यों की यदि में डर कर ऐसी वैसी हरकत कर देता तो वो मुझे डस सकता था . कुदरती खेती करने से पहले मैं साँपों को देख कर सीधे मारने की कोशिश करता था. कभी उनको अपना मित्र नहीं समझता था. किन्तु इस कोबरे ने मेरी आंख खोल दी. यदि वो भी मेरी तरह मुझे दुश्मन समझता तो में जिन्दा नहीं बच सकता था.
राजू टाइटस
एक दिन की बात है मेरी भेंस जिसका नाम भूरी है हमारे सुबबूल के कुदरती खेतों में चरने के लिए गयी थी, उसकी पड़िया ( भेंस की बच्ची) जिसका नाम सलमा है हमेशा की तरह घर मे अपनी माँ का इंतजार कर रही थी. खेतों मे जानवरों को लम्बी रस्सी से बांधना पड़ता है. उन्हें सुबबूल के पेड़ों से पत्तियों को काट काट कर खिलाया जाता है. असावधानी के कारण उसकी टांग रस्सी मे उलझ गयी थी जिस से वह ऐसी गिरी की उस से उठते ही नहीं बना. इस कारण वो उस रात घर नहीं आ सकी.
गो धूलि का समय था. सार (जानवरों को बांधने की जगह) में अँधेरा था. सलमा को दूध नहीं मिलने से वो बहुत रो रही थी, और मैं उसे उपरी दूध पिलाने की कोशिश कर रहा था. मैं उखरू बैठ कर कटोरे से उन्ग्लिओं के सहारे दूध पिलाने लगा. सलमा विचलित न हो जाये इस लिए मैने टोर्च को बुझाकर नीचे रख दिया था.
इसी बीच मुझे सांप के फुफकारने की आवाज आई. मैने टोर्च को जला कर देखा तो सामने मुंडेर पर जंगली बिल्ली बैठी थी. मैने सोचा एक और बिल्ली होगी और वे लड़ रही होंगी. उनकी आवाज भी सांप के फुफकारने जैसी रहती है. हमारे कुदरती खेतों में सांप, जंगली बिल्लियाँ, नेवले ,मोर आदि यहाँ वहां घूमते रहते हैं. इनके कारण अपने आप एक कुदरती संतुलन बना रहता है.
अबकी बार ये फुफकारने की आवाज बिलकुल मेरे कान के पास सुनाई दी. मैने पुन: टॉर्च को जला दिया. और पलट कर देखने लगा. देखा तो बिलकुल मेरे कान के पास कोबरे का सिर था. जैसे ही मेरी आंख उस की आँखों से मिली तो मुझे महसूस हुआ की वो किसी चीज़ से डर कर मेरे पीछे छुपने की कोशिश कर रहा है. वो फुफकार कर मुझ से कहने की कोशिश कर रहा है की मुझे बचाओ. मैने सामने देखा वही जंगली बिल्ली थी मेरे कारण वो आगे नहीं बढ़ पा रही थी. मैने धीरे से "हट" "हट" करते हुए बिल्ली को भगाने की कोशिश की. वह दो कदम पीछे चली गयी. उसके पीछे हटने से कोबरा भी नीचे सिर कर जाने लगा. मैं हट हट करते रहा बिल्ली हटती गयी और कोबरा भी जाता रहा, वो मुड़ मुड कर मुझे और बिल्ली को देखता जा रहा था. और देखते देखते वो आँखों से ओझल हो गया.
उसके जाने के बाद मैने सोचा की आखिर मुझे डर क्यों नहीं लगा ? मुझे डर इस लिए नहीं लगा क्यों की यदि में डर कर ऐसी वैसी हरकत कर देता तो वो मुझे डस सकता था . कुदरती खेती करने से पहले मैं साँपों को देख कर सीधे मारने की कोशिश करता था. कभी उनको अपना मित्र नहीं समझता था. किन्तु इस कोबरे ने मेरी आंख खोल दी. यदि वो भी मेरी तरह मुझे दुश्मन समझता तो में जिन्दा नहीं बच सकता था.
राजू टाइटस
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