Saturday, March 21, 2015

ऋषि खेती तकनीक से जाने अपनी मिट्टी की जैविकता

जैविक (Organic) और अजैविक(Inorganic) खेती 

मिट्टी का परिक्षण 

ऋषि खेती तकनीक से जाने अपनी मिट्टी  की जैविकता 

ज कल हमारा देश खेती किसानी में चल रहे  तमाम संकटों के कारण बड़ी मुसीबत में फंस गया है।  एक और खेत पानी और खाद की कमी के कारण मरुस्थलों में तब्दील हो रहे हैं वहीँ असंख्य किसान घाटे  के कारण आत्म हत्या करने लगे हैं वे खेती से पलायन करने लगे हैं। मौसम बदलने लगा है ,बेरोजगारी और गरीबी बढ़ती जा रही है। 

मरुस्थली खेतों में बीमार फसलें पक रही हैं जिस से हमारे शरीर भी कमजोर होने लगे हैं  नयी नयी बीमारियां जन्म ले रही हैं। एक और किसानो पर कर्ज चढ़ रहा है वहीं सरकारें भी विदेशी हो गयी है। इस समस्या का मूल कारण धरती माँ की मौत है। हमने खेती केनाम से अपनी धरती माँ को खूब जोत खोद कर इतना लहूलुहान कर दिया है की अब व मर गयी है।

 हर खेत में दो प्रकार की मिट्टी मिल जाती है एक बीच में जिस में हमेशा हल चलता रहता है दूसरी किनारो के मेढ़ों पर जहाँ हल नहीं चलता है। हमने यह पाया है की जहाँ हल नहीं चलता है वह मिट्टी जीवित रहती है जिसे हम जैविक कहते हैं दूसरी मिट्टी वह है जहाँ हमेशा हल चलता रहता है वह मरू मिट्टी रहती है जिसे हम अजैविक मिट्टी कहते हैं। 

अधिकतर  लोग ये समझते है की जुताई वाले चालू खेत अच्छे रहते हैं यह भ्रान्ति है। इसको परखने के लिए हमने बहुत ही सरल विधि विकसित की है जिसे आप निम्न वीडियो के माध्यम से देख सकते हैं। 

पहली विधि 


दूसरी विधि 

हमारे खेतों की  मिट्टी को जैविक बनाने के लिए कुछ करने की जरूरत नहीं है वरन हम जो कर रहे हैं उसे बंद करने की जरूरत है। जब हम खेतों की जुताई को बंद कर देते हैं अपने आप सूक्ष्म जीवाणु ,कीड़े मकोड़े और,जीव जंतु और खरपतवारें पनप कर खेतों को जीवित कर देती हैं। सबसे महत्वपूर्ण काम खेतों में पनपने वाली खरपतवारें करती हैं जैसे   घास ,गाजर घास आदि,  इनके छाया में केंचुएं ,चींटे चीटियाँ ,जड़ें आदि पनप काट खेत को खतोड़ा और पानीदार बना देते हैं। 

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