सेहरा वन ग्राम के किसानो ने सीखी ऋषि खेती
भारत एक कृषि प्रधान देश है। हजारों सालो से यहाँ के किसान टिकाऊ खेती कर अपनी आजीविका चला रहे हैं। किन्तु अब कुछ सालो से किसानो को अपनी आजीविका कठिनाई आ रही है। फसलें अब ठीक से पैदा नहीं होती हैं। खेत सूखने लगे हैं उनकी उर्वरकता बहुत घट गयी है। किसान अब खेती से निराश होने लगे हैं। मौसम परिवर्तन ,कीड़ों और खरपतवारों की समस्या ,पानी की कमी , जंगली जानवरों से नुक्सान आदि अनेक समस्याओं के कारण किसान अब खेती से पलायन करने लगे हैं।
ये समस्या वन ग्रामो के किसानो को और अधिक है क्योंकि उन्हें सिंचाई है ,पानी है तो बिजली नहीं है ,बिजली है तो पानी नहीं है। खाद ,दवाइयाँ ,बीज और मशीने उपलब्ध नहीं हैं। हैं, भी तो उन्हें खरीदने की ताकत नहीं है।
अधिकतर वन ग्राम सरकार आरक्षित छेत्रों में है जहाँ सरकार की जवाबदारी सभी जैवविविधताओं के साथ वहां रहने वाले लोगों की आजीविका का ध्यान रखना है। मप का वन विभाग चाहता है की वनो में ग्रामीण जन जीवन और जैवविवधताएं एक दुसरे के सहयोग से मित्रता पूर्ण जीवन जियें जिस से सम्पूर्ण पर्यावरण समृद्ध हो जाये।
इसी तारतम्य में "जैवविविधता संरक्षण और ग्रामीण आजीविका सुधार योजना " को शुरू किया है। जिसमे मप होशंगाबाद की ऋषि खेती योजना को सबसे उत्तम तरीका माना गया है।
ऋषि खेती योजना में फसलोत्पादन के लिए वनो में जिस तरह कुदरती विविधतायें रहती है के अनुसार फसलों का उत्पादन किया जाता है। जिसमे सामान्य खेती की तरह जमीन की जुताई ,खाद ,उर्वरकों ,दवाइयों, मशीनो
आदि की जरूरत नहीं रहती है और फसलों की उत्पादकता और गुणवत्ता बहुत अधिक अधिक है।
असल समस्या यह आधुनिक खेती किसानी में अनाजों का उत्पादन तो मिल जाता है किन्तु उसमे लागत ,श्रम बढ़ता जा रहा है और उत्पादन की कोई गारंटी नहीं रह गयी है। इसका सबसे प्रमुख कारण जुताई है जिसके कारण एक और जहाँ हरियाली नस्ट हो रही है वहीँ बरसात का पानी जमीन में ना जाकर तेजी से बहता है वह अपने साथ जैविक खाद (मिट्टी ) को भी बहा कर ले जाता है। इस कारण खेत भूखे और प्यासे रह जाते हैं। उनमे वंचित फसलों का होता है।
जुताई नहीं करने से जैविक खाद और पानी का बहना रुक जाता है खेत वनो के माफिक खतोड़े और पानीदार बन जाते हैं। जिनमे कुदरती गुणों से भरपूर फसलें पैदा होती हैं जो स्वस्थवर्धक रहती है जिनकी कीमत बाजार में बहुत अधिक हैं। इस प्रकार एक साथ अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।
यह केवल ग्रामीण आजीविका के सुधार की योजना नहीं है वरन यह सम्पूर्ण मानव जीवन के कल्याण की योजना है। टाइटस ऋषि खेती फार्म इस योजना में सतपुरा नेशनल पार्क के साथ स्वैछिक सहयोग की भावना से कार्यरत है।
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