Friday, March 20, 2015

ऋषि खेती और मनरेगा

ऋषि खेती और मनरेगा

महात्मागांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना और कुदरती खेती का परिचय 

एक पंथ दो काज 
पिछले दो दिनों से लोकसभा में देश में खेती किसानी की दशा के सम्बन्ध में चर्चा चल रही है। इस चर्चा में अधिकतर सांसदों ने देश के किसानो की दयनीय स्थति का जो वर्णन किया वह बहुत भयानक है।  आत्म निर्भर कृषि प्रधान देश अब कर्जदार देश बन गया है।
वनग्राम के किसान ऋषि खेती प्रशिक्षण में शामिल

 कोई भी सांसद इस समस्या का  कारण नहीं बता सका ना ही  किसी सांसद के पास इस समस्या के निवारण का कोई उपाय मिला हलाकि अभी चर्चा चल रही है किन्तु फिर भी कुछ सांसद ऐसे रहे जो यह बताने में कामयाब  रहे की जो लोग असली किसान हैं उनके पास खेत नहीं हैं। वे सब भूमि हीन  किसान है जो हमारे समाज का सबसे अधिक गरीब तबका है। पिछली सरकार ने  इस समस्या को पहचान कर इस तबके  की आजीविका के लिए "मनरेगा " योजना चलायी है।  जिसमे गांव के भूमि हीन किसान परिवारों के  एक सदस्य को १०० दिनों का रोजगार मिले जिस से वे अपनी आजीविका चला सकें।

यह योजना तो अच्छी है किन्तु इसको लागू करने में क्या काम गाँव में कराया जाये जिस से यह योजना नियमित चलती रहे में अनेक कठिनाई हैं। दूसरी ओर गाँवो में चल रही आधुनिक वैज्ञानिक खेती दम तोड़ने लगी है।  जिसका मूल कारण मशीनी जुताई है जिसके कारण बरसात का पानी जमीन में न समाकर तेजी से बहता है वह अपने साथ खेत की खाद को भी बहा  कर ले जाता है।  जिस से खेत बंजर हो रहे हैं। किसान हाहा कार मचा रहे हैं।

ऋषि खेती एक ऐसी गाँधीवादी खेती है जिसमे जमीन की जुताई बिकुल नहीं होती है जिसके कारण  बंजर खेत ताकतवर बन जाते हैं भूमिगत जल का स्तर बढ़ जाता है। सूखा और बाढ़ का नियंत्रण हो जाता है। खेती की उत्पादकता और गुणवत्ता में बहुत फायदा होता है।  किन्तु इस खेती में  मशीनो का इस्तमाल नहीं है।  यह खेती बिना बिजली और पेट्रोल के हो जाती है। इसी प्रकार मनरेगा भी ऐसी योजना है जिसमे कोई भी काम में मशीनो का इस्तमाल करने की मनाई है।

इसलिए हमारी सलाह है की खेती किसानी की  दशा को सुधारने   के लिए आज ऋषि खेती से कोई उत्तम उपाय नहीं है यदि भूमिहीन खेती किसानो से ऋषि खेती करवाई जाये तो एक पंथ दो काज वाली कहावत सच हो जाएगी।

टाइटस ऋषि खेती फार्म इस खेती को करवाने में स्वैछिक स्तर पर ट्रेनिंग उपललब्ध करा रहा है। अभी यह योजना होशंगाबाद के सतपुरा नेशनल फार्म वन विभाग के सहयोग से  लागू की गयी है।  जिसमे जैव विवधता संरक्षण और ग्रामीण आजीविका को सुधारने  का कार्य किया जा रहा है।


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