Monday, May 29, 2017

धार्मिक आहार

धार्मिक आहार



जितने धर्म गुरु हैं वो उतने प्रकार के आहार के बारे में कहते हैं जैसे कोई शाकाहार को अच्छा बताता है तो कोई दूध को अच्छा कहता है। कहीं मछली की पूजा होती है तो कहीं बकरे को पूजा जाता है। कोई प्याज और लहसुन को गलत बताता है तो कोई अच्छा कहता है।  हमारा कहना यह है की हर किसी को अपने खाने के बारे में  कुदरती नजर से देखने की जरुरत है।  जैसे गेंहूं और चावल शाकाहार हैं। किन्तु जुताई के कारण कमजोर हो गयी जमीन में उगाये जा रहे हैं जिनमे यूरिया सहित अनेक विषैले जहर उँडेले जा रहा रहे हैं।  जो शुगर जैसी अनेक बीमारियों का कारण बन रहे हैं।
Image result for unnatura cow keeping
उसी प्रकार गाय के दूध को अमृत कहा जाता है। किन्तु अनेक गाये गोशालाओं में बंधी रहती हैं उनको अनेक प्रकार का गैरकुदरती चारा और दवाइयां दी जाती हैं जिसके कारण दूध भी विषैला हो जाता है। वैसे मछली अब गैर कुदरती तरीके से पाली जाने लगी हैं। यही हाल प्याज  और लहसुन पर भी लागू होती है।

आंवला और तुलसी अब जुताई वाले खेतों में पैदा किया जा रहा है इस लिए अब उनमे भी रोग निरोग शक्ति नहीं है। यही हाल शहद का हो गया है गैर कुदरती तरीके से पैदा किया गया शहद  अब सेवन करने लायक नहीं है।

इसलिए हमारा कहना है की हमे जो भी खाना हो उसे कुदरती होना चाहिए।  

No comments: