Thursday, April 23, 2015

कुदरती खेती से रोकें किसानो की आत्म हत्याएं।

किसानो को आत्म हत्या के पीछे "हरित क्रांति " का दोष है. 

कुदरती खेती से रोकें किसानो की आत्म हत्याएं। 

हरित क्रांति एक वैज्ञानिक खेती है जिसमे गहरी जुताई ,रसायनो का उपयोग ,भारी सिंचाई, भारी मशीनो ,गेरकुदरती बीजों का उपयोग किया जाता है। जिसके कारण खेत अपना कुदरती स्वरूप खो देते हैं वो रेगिस्तान में तब्दील हो जाते हैं , खेती खर्च बहुत बढ़ जाता है घाटा  होने के कारण किसान आत्म हत्या  करने लगते हैं। 

इस समस्या से निपटने के लिए कुदरती खेती करने की जरूरत है।  कुदरती खेती में जमीनो  की जुताई , रसायनो और मशीनो का उपयोग नहीं है। जिस से खेत लगातार ताकतवर होते जाते हैं। फसलें कुदरती गुणों से भरपूर ताकतवर मिलती हैं जो मौसम की मार को सहन कर लेती हैं। खेती खर्च नहीं के बराबर रहता है। घाटे  का प्रश्न ही नहीं रहता है।

हम पिछले २८ सालों से इस खेती का अभ्यास कर रहे हैं। हमारा मानना  है की यदि वाकई हम किसानो की आत्म हत्याओं प्रति संवेदनशील हैं तो हमे बिना जुताई की कुदरती खेती को ही करना पड़ेगा। आजकल सरकार  जैविक खेती की बात करती है जो जमीन की जुताई और जैविक खादों पर आधारित है यह भी उतनी ही हानिकारक है जितनी रासयनिक खेती है। 








































































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