Saturday, February 14, 2015

ऋषि को खेती को BCRLIP ने अपनाया

ऋषि को खेती को BCRLIP ने  अपनाया

म. प्र. के वन विभाग ने होशंगाबाद की ऋषि खेती योजना को
जैव् विविधता  संरक्षण और ग्रामीण आजीविका के लिए अपना लिया है।

 इसी तारतम्य में यहाँ वाइल्ड लाइफ के अधिकारीयों ,NGO आदि का दौरा अब चालू हो गया है।

समस्या क्या है  ?

समस्या यह है की एक ओर  जहां हमे खाने को आहार चाहिए  वहीं हमे  हमे कुदरती हवा और पानी भी चाहिए किन्तु देखा यह जा रहा है मौजूदा फसलोत्पादन और हरियाली के बीच जंग छिड़ी है।  एक और वन एवं पर्यावरण विभाग  हरियाली हेतु सजग हैं वहीं आधुनिक खेती के माध्यम से हरे भरे संरक्षित छेत्रों को मोटे अनाज के फसलोत्पादन के लिए जुताई वाले खेत बनाया जा रहा है।  जिस से हरे भरे संरक्षित छेत्र ,बाग़ ,बगीचे और चरोखर तेजी से नस्ट हो रहे हैं।

इसलिए संरक्षित छेत्रों को बचाने के लिए  जुताई आधारित  खेती से जुड़े  किसानो को संरक्षित छेत्र से विस्थापित कर उन्हें सुरक्षित  स्थानो पर बसाया जा रहा है।  इसमें दो समस्याएं जुडी हैं  पहली उन नए स्थानो पर जहाँ इस ग्रामीण आबादी को बसाया जा रहा है वहां उन्हें जंगलों के माफिक पर्यावरण उपलब्ध  करना है तथा दूसरी समस्या उन उजड़े वन छेत्रों की जहाँ  से किसानो को विस्थापित किया हैं उसे पुन  : हरा भरा बनाना है।

ऋषि खेती क्या है ?

होशंगाबाद म. प्र. विगत २८ सालो से भी अधिक समय टाइटस  फार्म में की जा रही खेती जो कुदरती खेती के नाम से जानी जाती है, में खेती पेड़ों के साथ की जाती है जैसा की हम जानते हैं की पेड़ जमीन को खाद ,पानी और हवा देते हैं तथा हमारी  फसलों को भी खाद ,पानी और हवा की जरूरत रहती है। ऋषि खेती हरियाली के सहारे  से की जाती है।  इसमें जुताई ,रसायनो ,मशीनो ,भारी  सिंचाई ,तथा कोई भी मानव निर्मित खाद और दवाइयों की जरूरत नहीं रहती है।

खरपतवारों और पेड़ों के नीचे असंख्य जीव ,जंतु ,कीड़े मकोड़े रहते हैं जो जमीन में खाद,पानी और छिद्रियता का इतजाम कर देते हैं। जिसके सहारे फसलो का उत्पादन करने से उसका लाभ फसलों को मिल जाता है और बंपर फसलें पैदा होती है जिस से हरियाली भी बच जाती है और जल चक्र बिगड़ता नहीं है।

BCRLIP (Biodiversity Conservation and Livlyhood improvement Project)

 यह  भारत सरकार की मानव कल्याणी  योजना है। जो होशंगाबाद के सतपुरा टायगर प्रोजेक्ट में चलायी  जा रही है  जिसमे जैविविवधताओं को  संरक्षित कर ग्रामीण आजीविका को पोषित करना है। यह योजना म. प्र. सरकार , भारत सरकार के  वन्य जीव संस्थान और विश्व बैंक के समन्वय से कार्यरत है। जिसमे सरकार के साथ अनेक NGO भाग ले रहे हैं।

इसी संदर्भ में टाइटस ऋषि खेती फार्म एक सर्वोत्तम मॉडल के रूप में स्वीकारा गया है ।  टाइटस फार्म एक निजी खेती किसानी वाला फार्म है। जो निजी स्तर पर पिछले २८ सालो से इस मानव कल्याणी  योजना  में लगा है। जिसका स्थान आज विश्व  में न.  वन है ।

हमे ख़ुशी है आज इतने वर्षों बाद इसे सरकार के द्वारा स्वीकारा  जा रहा है. वैसे तो इतने सालो  में यह विधा देश विदेश में फेल चुकी है अनेक लोगों ने इसे अपनाया है किन्तु यह पहला अवसर जब इसे स्थानीय स्तर पर सरकार के द्वारा अपनाया जा रहा है।

इसी तारतम्य में अब टाइटस ऋषि खेती फार्म में विस्थापित किसानो , NGO और वन कर्मियों के  प्रशिक्षण का कार्य शुरू हो गया है .








 

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