जमीन को मरुस्थल बनने से बचाएं
और अपने शरीर को रोगी बनने से बचाये
"कुछ मत करो "
"Do nothing "
जितना हो सके जमीन पर बीज बिखरायें बीजों की सुरक्षा के लिए क्ले सीड बॉल्स (कपे वाली मिट्टी की बीज गोलियां बनाकर बिखरायें और कुछ नहीं करें यानी जुताई ,खाद ,दवाई ,निंदाई आदि की कोई जरुरत नहीं है।
ये तमाम काम जमीन को मरुस्थल बना रहे हैं और इनकी फसलें हमारे शरीर को रोगी बना रहे है।
कपे वाली मिट्टी (Clay) तालाब या नदी नालों के किनारों पर मिलती है इसकी बनी सीड बॉल्स बहुत मजबूत होती है जो चूहों/चिड़ियों आदि से बची रहती हैं। अनुकूल वातावरण मिलने पर उग आती हैं। ये मिट्टी असंख्य जमीन को ताकतवर बनाने वाले सूक्ष्म जीवाणुओं ,केंचुओं के अण्डों आदि से परिपूर्ण रहती है जो जमीन को ताकतवर और उर्वरक बनाती है।
सबको अपना खाना स्वं उगाना चाहिए चूंकि हम अपना खाना स्वम् नहीं पैदा करते हैं इस लिए खेत और किसान मर रहे हैं।
बीज गोलियों को बनाने के लिए हमे प्रतिदिन अपनी रसोई से बीज इकट्ठे करते रहना चाहिए परिवार के सभी सदस्यों को रोज काम से कम थोड़ा समय एक साथ मिलकर बीज गोलियां बनाना चाहिए और छुट्टी के दिन खेत में जाकर इन्हे छिड़क देना चाहिए। यह हॉलिडे फार्मिंग हैं।
गोलियों को आराम से टीवी देखते देखते और बांते करते करते बना कर सकते हैं।
आजकल खेती आयातित तेल और जहरीले रसायनो की गुलाम हो गयी है इस लिए हमारा देश कंगाली और भुखमरी की ओर तेजी से बढ़ रहा है।
फसलोत्पादन के लिए हो रही जमीन की जुताई से रेगिस्तान पनप रहे हैं भूमिगत जल का स्तर घट रहा है। जुताई की खेती में किसान पेड़ों और झाड़ियों को नस्ट कर देते हैं वो सोचते हैं की इनसे हमारी फसलों का खाना और पानी चोरी हो जायेगा यह भ्रान्ती है जबकि ये हरियाली जमीन में पानी और खाना बनती हैं। इन्हे मारने से इनके साथ रहने वाले तमाम सहायक जीव जंतु ,कीड़े मकोड़े ,केंचुए आदि भी मर जाते है। यह बहुत बड़ी हिंसा है। हम जिस डाल पर बैठे हैं उसे ही काट रहे हैं।
जुताई करने से बरसात का पानी कीचड के कारण जमीन में नहीं समाता है वह तेजी से बहता है अपने साथ जैविक खाद को भी बहा कर ले जाता है। क्ले से बानी बीज गोलियां बिखराने से ये बरसात आने पर उग जाती हैं तथा नींदों खरपतवार की तरह बढ़ कर हमे फसल दे देती है। जब खेत में अनेक पौधे एक साथ पनपते हैं तो कोई रोग नहीं लगता है खेत की जैविक खाद के नहीं बहने से खेत ताकतवर हो जाते है इनमे ताकतवर फसलें पनपती है किसी भी प्रकार के जहर की जरुरत नहीं रहती है।
बीज गोली से की जाने वाली खेती का आविष्कार जापान के विश्व विख्यात कृषि वैज्ञानिक स्व मस्नोबू फुकूओकाजी ने किया है यह कुदरती खेती है जिसे हम ऋषि खेती कहते हैं ऋषि खेती नाम गांधी खेती के लिए विनोबाजी ने दिया था। यह खेती हमारे पर्यावरण संरक्षण और हर हाथ को काम के लिए महत्वपूर्ण है।
आज कल हम लोग अपनी रोटी के खातिर हमारे पर्यावरण और किसानो का बहुत शोषण कर रहे है इसलिए किसान खेती छोड़ने लगे हैं वो आत्म ह्त्या भी करने लगे हैं इसलिए हमे अब अपनी रोटी स्वं पैदा करना जरूरी हो गया है जिस से ये पाप जो हम पर लग रहा है उस से हमे मुक्ति मिले। बीज गोली बनाकर खेती करना एक यज्ञ है जिसमे हर इंसान से आहुति की उम्मीद है।
हॉलिडे फार्मिंग कर हम अपने पूरे परिवार का कुदरती खाना पैदा कर सकते हैं और समाज में सम्मान भी प्राप्त कर सकते है। कुदरती खाने से शरीर स्वस्थ रहता है कैंसर जैसी बीमारी भी ठीक हो जाती है। आज कल लोग बेतहाशा पैसे के पीछे भाग रहे हैं पैसे से कुदरती खान ,पान और प्राण वायु नहीं खरीदी जा सकती है न हम सम्मान खरीद सकते है। ऋषि खेती करने से हम ये सब प्राप्त करते हुए समाज में एक ईमानदार इंसान की छवि के साथ जीवन व्यतीत करते हैं। यह खेती ईमानदार इंसान भी बनाने का जरिया है। दुनिया में लूट मार का कारण शोषण है।
असली शांति की कुंजी धरती के पास है।
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