पर्यावरण मंत्री माननीय जावडेकरजी को पत्र
विषय : हमारा पर्यावरण
आदरणीय महोदय ,
नमस्कार
विनर्म निवेदन है की हमारा पर्यावरण मौजूदा गहरी जुताई और रसायनो के कारण दूषित हो रहा है तथा हरा भरा भूभाग यानि कुदरती वन ,बागबगीचे और चारागाह आदि अनाज के खेतों में और खेत मरुस्थल में तब्दील हो रहे हैं। इस से एक और हमारी खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ गयी है वहीँ किसान खेती छोड़ने लगे हैं वो आत्महत्या भी करने लगे हैं। सबसे बड़ी समस्या हमारी रोटी की हो गयी है वह जहरीली होने लगी है इस कारण हमारे खून में जहर घुलने लगा है और कैंसर की बीमारी आम हो गयी है।
हम पिछले २७ सालो से भी अधिक समय से बिना जुताई की कुदरती खेती ऋषि खेती का अभ्यास कर रहे हैं तथा इसके प्रचार और प्रसार पर निजी स्तर पर सलग्न है। यह खेती पर्यामित्र खेती है इसको करने से हमारे खेत जो "हरित क्रांति " के कारण मरुस्थल में तब्दील हो गए थे अब हरियाली से ढँक गए हैं हमारे उथले देशी कुए जो सूख गए थे अब भरी गर्मी में भी लबालब रहने लगे हैं। हमे कुदरती आहार और चारे की कोई कमी नहीं है जलाऊ लकड़ी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है जिसे हम गरीब परिवारों को बहुत कम कीमत में उपलब्ध करा रहे हैं।
हमारा आग्रह है की गहरी जुताई और जहरीले रसायनो पर प्रतिबन्ध लगाया जाये इन्हे जो सरकारी अनुदान दिया जाता है उसे बंद कर इन पर "पर्यावरणीय टैक्स " लगाया जाये और ऋषि खेती करने वाले किसानो ,टिकाऊ बाग़ बगीचे वाले किसान और टिकाऊ चारागाह आदि के किसानो को प्रोत्साहित करने के लिए अनुदान दिया जाये।
धन्यवाद
राजू टाइटस
ऋषि खेती किसान
होशंगाबाद। मप। rajuktitus@gmail.com
विषय : हमारा पर्यावरण
आदरणीय महोदय ,
नमस्कार
विनर्म निवेदन है की हमारा पर्यावरण मौजूदा गहरी जुताई और रसायनो के कारण दूषित हो रहा है तथा हरा भरा भूभाग यानि कुदरती वन ,बागबगीचे और चारागाह आदि अनाज के खेतों में और खेत मरुस्थल में तब्दील हो रहे हैं। इस से एक और हमारी खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ गयी है वहीँ किसान खेती छोड़ने लगे हैं वो आत्महत्या भी करने लगे हैं। सबसे बड़ी समस्या हमारी रोटी की हो गयी है वह जहरीली होने लगी है इस कारण हमारे खून में जहर घुलने लगा है और कैंसर की बीमारी आम हो गयी है।
हम पिछले २७ सालो से भी अधिक समय से बिना जुताई की कुदरती खेती ऋषि खेती का अभ्यास कर रहे हैं तथा इसके प्रचार और प्रसार पर निजी स्तर पर सलग्न है। यह खेती पर्यामित्र खेती है इसको करने से हमारे खेत जो "हरित क्रांति " के कारण मरुस्थल में तब्दील हो गए थे अब हरियाली से ढँक गए हैं हमारे उथले देशी कुए जो सूख गए थे अब भरी गर्मी में भी लबालब रहने लगे हैं। हमे कुदरती आहार और चारे की कोई कमी नहीं है जलाऊ लकड़ी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है जिसे हम गरीब परिवारों को बहुत कम कीमत में उपलब्ध करा रहे हैं।
क्ले की बीज गोलियां बनाये और बिखराये |
हमारा आग्रह है की गहरी जुताई और जहरीले रसायनो पर प्रतिबन्ध लगाया जाये इन्हे जो सरकारी अनुदान दिया जाता है उसे बंद कर इन पर "पर्यावरणीय टैक्स " लगाया जाये और ऋषि खेती करने वाले किसानो ,टिकाऊ बाग़ बगीचे वाले किसान और टिकाऊ चारागाह आदि के किसानो को प्रोत्साहित करने के लिए अनुदान दिया जाये।
धन्यवाद
राजू टाइटस
ऋषि खेती किसान
होशंगाबाद। मप। rajuktitus@gmail.com
No comments:
Post a Comment