प्रधान मंत्रीजी को पत्र
प्रति ,
माननीय प्रधान मंत्रीजी
द्वारा ;- राजू टाइटस ऋषि खेती किसान ,होशंगाबाद ,म. प्र.
विषय :- ऋषि खेती (बिना जुताई की कुदरती खेती ) सही जैविक खेती का परिचय।
आदरणीय महोदय ,
नमस्कार
हम आपको अभूतपूर्व जीत के लिए दिल से बधाई देते हैं उम्मेीद करते हैं की अब ऋषि खेती के दिन आ गए हैं।
हम पिछले २७ सालो से अपने पारिवारिक फार्म में ऋषि खेती का अभ्यास कर रहे हैं और निजी स्तर पर इसके प्रचार प्रसार में संलग्न है। बिना जुताई की कुदरती खेती का आविष्कार जापान के जग प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक श्री मस्नोबू फुकूओकाजी ने किया था। इसे हम ऋषि खेती के नाम से प्रचारित कर कर रहे हैं ऋषि खेती शब्द आचार्य विनोबाजी के द्वारा गांधी खेती के लिए दिया गया है।
यह एक पर्यावरणीय खेती है जिसमे जुताई ,उर्वरक ,खाद दवाइयों की जरुरत नहीं है सिंचाई और मशीने भी इस खेती में जरूरी नहीं हैं। इस खेती के निम्न लाभ हैं।
१-भूमि ,जल और जैव विविधताओं का छरण नहीं होता है। इसलिए जमीन ताकतवर और पानीदार हो जाती है।
२-इस खेती में खरपतवार समस्या नहीं रहती हैं वरन उनकी सहायता से खेती का काम संपन्न होता है। इसलिए खरपत नाशकों की कोई जरुरत नहीं रहती है।
३- यह खेती जमीन में रहने वाली तमाम जैवविविधताओं की सहायता से संपन्न होती है इस लिए जमीन बहुत जल्दी ताकतवर हो जाती है ताकतवर जमीन में ताकतवर फसले पनपती हैं इसलिए बीमारियों का प्रकोप नहीं रहता है कीट नाशकों की कोई जरुरत नहीं रहती है।
४- एक और जहाँ मौजूदा हरित क्रांति हरयाली नस्ट कर रही है ये खेती हरियाली के साथ संपन्न होती है।
५-सूखे से लड़ने में सर्वोपरि है।
६- यह वर्षा के जल को संवर्धित करती है।
७-यह छोटे बड़े सभी खेतों में एक सी विधि से संपन्न की जाती है।
८- इस से मिलने वाला आहार कुदरती होने के कारण गुणवान रहता है जो कैंसर को भी ठीक कर देता है।
९ - यह खेती सीधे बीजों को फेंक कर या मिटटी की बीज गोली बनाकर की जाती है।
१० -इस खेती के कारण बरसात का पानी सीधे जमीन द्वारा सोख लिया जाता है जिस से भूमिगत जल का स्तर बढ़ता जाता है. यह खेती सही जल प्रबंधन का उपाय है।
११ - इस खेती को करने से खेती लागत में ६०% से ८० % की बचत होती है।
१२ - असिंचित इलाकों के लिए यह वरदान है वहां सिंचाई की जरुरत ही नहीं पड़ती है।
१३- इस खेती से हर हाथ को काम मिल सकता है बेरोजगारी का जड़ से उन्मूलन संभव है।
१४ - यह खेती की सबसे अधिक उत्पादकता और गुणवत्ता वाली तकनीक है।
धन्यवाद
राजू टाइटस
प्रति ,
माननीय प्रधान मंत्रीजी
द्वारा ;- राजू टाइटस ऋषि खेती किसान ,होशंगाबाद ,म. प्र.
विषय :- ऋषि खेती (बिना जुताई की कुदरती खेती ) सही जैविक खेती का परिचय।
आदरणीय महोदय ,
नमस्कार
हम आपको अभूतपूर्व जीत के लिए दिल से बधाई देते हैं उम्मेीद करते हैं की अब ऋषि खेती के दिन आ गए हैं।
हम पिछले २७ सालो से अपने पारिवारिक फार्म में ऋषि खेती का अभ्यास कर रहे हैं और निजी स्तर पर इसके प्रचार प्रसार में संलग्न है। बिना जुताई की कुदरती खेती का आविष्कार जापान के जग प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक श्री मस्नोबू फुकूओकाजी ने किया था। इसे हम ऋषि खेती के नाम से प्रचारित कर कर रहे हैं ऋषि खेती शब्द आचार्य विनोबाजी के द्वारा गांधी खेती के लिए दिया गया है।
यह एक पर्यावरणीय खेती है जिसमे जुताई ,उर्वरक ,खाद दवाइयों की जरुरत नहीं है सिंचाई और मशीने भी इस खेती में जरूरी नहीं हैं। इस खेती के निम्न लाभ हैं।
१-भूमि ,जल और जैव विविधताओं का छरण नहीं होता है। इसलिए जमीन ताकतवर और पानीदार हो जाती है।
२-इस खेती में खरपतवार समस्या नहीं रहती हैं वरन उनकी सहायता से खेती का काम संपन्न होता है। इसलिए खरपत नाशकों की कोई जरुरत नहीं रहती है।
३- यह खेती जमीन में रहने वाली तमाम जैवविविधताओं की सहायता से संपन्न होती है इस लिए जमीन बहुत जल्दी ताकतवर हो जाती है ताकतवर जमीन में ताकतवर फसले पनपती हैं इसलिए बीमारियों का प्रकोप नहीं रहता है कीट नाशकों की कोई जरुरत नहीं रहती है।
४- एक और जहाँ मौजूदा हरित क्रांति हरयाली नस्ट कर रही है ये खेती हरियाली के साथ संपन्न होती है।
५-सूखे से लड़ने में सर्वोपरि है।
६- यह वर्षा के जल को संवर्धित करती है।
७-यह छोटे बड़े सभी खेतों में एक सी विधि से संपन्न की जाती है।
८- इस से मिलने वाला आहार कुदरती होने के कारण गुणवान रहता है जो कैंसर को भी ठीक कर देता है।
९ - यह खेती सीधे बीजों को फेंक कर या मिटटी की बीज गोली बनाकर की जाती है।
१० -इस खेती के कारण बरसात का पानी सीधे जमीन द्वारा सोख लिया जाता है जिस से भूमिगत जल का स्तर बढ़ता जाता है. यह खेती सही जल प्रबंधन का उपाय है।
११ - इस खेती को करने से खेती लागत में ६०% से ८० % की बचत होती है।
१२ - असिंचित इलाकों के लिए यह वरदान है वहां सिंचाई की जरुरत ही नहीं पड़ती है।
१३- इस खेती से हर हाथ को काम मिल सकता है बेरोजगारी का जड़ से उन्मूलन संभव है।
१४ - यह खेती की सबसे अधिक उत्पादकता और गुणवत्ता वाली तकनीक है।
धन्यवाद
राजू टाइटस
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