Tuesday, June 17, 2014

माननीय उमा भारती जी जलसंसाधन मंत्री को पत्र

माननीय उमा भारती जी जलसंसाधन मंत्री को पत्र

विषय :- हिमालय के घाव भरने और गंगा मैया के उद्गम को संरक्षित करने की योजना !

आदरणीय उमाजी ,
नमस्कार
हम पिछले २७ सालो  से ऋषि खेती का अभ्यास कर रहे है यह खेती जुताई ,खाद, दवाइयों और निंदाई के बगैर की जाती है।  इसको करने के लिए हम कपे  वाली चिकनी मिट्टी (CLAY) की बीज गोली बनाते है और उन्हें यहाँ वहां फेंकते जाते हैं।

हमारा मानना है की आज हिमालय पर्वत इतना घायल हो गया है की जब तक हम इसकी तुरंत मरहम पट्टी नहीं करेंगे वह अब बच नहीं सकता है इसके लिए हमारी सलाह है की हिमालय की उन तमाम वनस्पतियों के बीजों को इकठा किया जाये जो हिमालय को बचाने  में सहयोग कर रहे हैं।  इन बीजों की कपे वाली मिट्टी  की गोलियां बनाई जाएँ और उन्हें हेलीकॉप्टर की मदद से उन घावों पर बिखराया जाये जहाँ से भू स्खलन हो गया है।

गोलियों को ग्रामीण जनो से मनरेगा योजना के तहत पूरे भारत में बनवाने का काम किया जा सकता है इस से हमे इतनी बीजगोलियां मिल जाएँगी की हम एक साल में हिमालय के घावों को भरने में कामयाब हो जायेंगे।  गोलियां जहाँ भी गिरती हैं वहां अंकुरित होकर जड़ जमा लेती हैं वह मिट्टी को बहने नहीं देती है। इस योजना में लागत  नहीं के बराबर है।
अधिक जानकारी के लिए -http://rishikheti.blogspot.in/

इस से एक तीर से कई शिकार की सम्भावना है।
१- हिमालय की सुरक्षा
२- गंगा मैया की सुरक्षा
३ - गरीब ग्रामीणो का संरक्षण
४ - जुताई और रसायनो से पनपते रेगिस्तानों का संरक्षण

धन्यवाद
राजू टाइटस
ऋषि खेती किसान
होशंगाबाद मप. 

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