Santoshsingh Rathore पानी न तो आसमान से आता है न ही यह धरती से आता है पानी तो केवल हरियाली से आता है। जुताई वाली खेती की सभी विधियां हरियाली की दुश्मन है। इसलिए सुखपद रहा है।
राजस्थान के नागौर के रहने वाले भाई संतोष सिंह जी को हम सलाम करते हैं की उन्होंने बिना जुताई की कुदरती खेती को अमल में लाने का निर्णय ले लिया है।
ऋषि खेती होशंगाबाद एक उदाहरण है जिसने ३० साल में एक बार भी जुताई नहीं की है कुए जो सूख गए थेअब भरे रहते हैं जबकि हमारे पड़ोसियों के नलकूप भी सूख रहे हैं। संतोष भाई आपके खेत दिखा रहे हैं उसमे अभी भी अनेक पेड़ हैं इनके बीज इकठ्ठा कर सीड बॉल बनाकर बिखराते जाएँ। शुरू में जहां तक संभव हो दलहन फसलों के साथ साथ ,पेड़ सब्जियां भी लगाते जाइये।
अब आपको किसीभी प्रकार की खाद और दवाई की जरूरत नहीं पड़ेगी। अपने साथी किसानो भी आप प्रेरणा के स्रोत रहेंगे। आप का निर्णय आपके गाँव के लिए वरदान सिद्ध होगा। हम आपकी मदद का वायदा करते हैं। ऋषि खेती तकनीक "कुछ मत करो " सिद्धांत पर चलती है।
धन्यवाद
राजू टाइटस
917973 8049
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