Saturday, June 20, 2015

विश्व योग दिवस भारत सरकार की अच्छी पहल !

विश्व योग दिवस भारत सरकार की अच्छी पहल !


  भारत की योग विंध्या का विश्व योग दिवस पर पूरे देश में प्रचार कर सरकार ने एक अच्छी पहल की है।  इस कार्यक्रम की यह खूबी रही कि स्वम् प्रधानमंत्रीजी ने योग कर लोगों को प्रेरित किया। हम इस आयोजन की सराहना करते हैं माँननीय प्रधान मंत्रीजी को इस के लिए बधाई देते हैं।

हम विगत  तीन  दशकों से "ऋषि खेती " का अभ्यास कर रहे हैं। ऋषि जन जंगलों में कुदरत के साथ जीवन जीते थे आज भी  उनके द्वारा प्रदिपदित ज्ञान जीवित है उसका उदाहरण योग के रूप में आज भी उपलब्ध है। ऋषि मुनि जंगलों में रहते थे वे कुछ नहीं करते थे। फिर भी उनके द्वारा दिया गया ज्ञान आज की वैज्ञानिक विकृतियों से बचा सकता है।

गाँव देहात में खेती किसानी और जंगलों में कुदरती जीवन जीने वालों के लिए योग जीवन है ,किन्तु शहरों और महानगरों में जहाँ हरियाली की कमी है और वाहनो ,फैक्ट्रियों के धुंए के बीच जहाँ कुदरती खान पान और हवा उपलब्ध नहीं है वहां योग का महत्व अधिक है। उन्हें इस योग के माध्यम से अपने वातावरण को "ऑक्सीजन रिच " बनाने की और ध्यान देने की जरूरत है। धुंए पर रोक लगाने की जरूरत है। बिजली और पेट्रोल के उपयोग को घटाने की जरूरत है। कुदरती आँगन बाड़ी और कुदरती रूफ गार्डनिंग को बढ़ाने की जरूरत है।

नगरों में गंदे पानी और घरेलु कचरे की गंभीर समस्या है इसके कारण मीथेन जैसी हानिकर जैसे बढ़ रही हैं उनके सही निष्पादन की जरूरत है। बायो गैस प्लांट की तकनीक से इस समस्या को हल किया जा सकता है।
गेरकुदरती खेती किसानी हमारे पर्यावरण को सबसे अधिक दूषित कर रही है। जमीन की जुताई और जहरीले रसायनो के कारण खेत मरुस्थल में तब्दील हो रहे हैं कैंसर महामारी का रूप ले रहा है।

ऋषि खेती को अमल में लाकर  हम खेती किसानी से जुडी समस्याओं का हल कर सकते हैं।  अपने पर्यावरण को शुद्ध बना सकते हैं। मोदीजी का यह कहना की योग केवल एक सर्कस नही है उसे यदि हम सर्वांगीण विकास के लिए उपयोग करते हैं तभी योग दिवस मनाना सफल रहेगा।

भारत  में भूतपूर्व प्रधान  माननीय अटलबिहारी बाजपेयी जी ने 'ऋषि खेती ' ,आयर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा को बढ़ाने  में बहुत महत्वपूर्ण काम किया था किन्तु उनके बाद इस काम पर आगे कोई काम नहीं हुआ है।
एलोपेथी के नाम से देश में नकली डाक्टरी का धंधा बहुत पनप रहा है जिस पर रोक लगाने की जरूरत है।
आयुर्वेद चिकत्सा के नाम पर  साबुन ,टूथपेस्ट ,कैप्सूल ,बोतल और डिब्बा बंद दवाइयों का बहुत भ्रामक प्रचार हो रहा है उस पर रोक लगाने की जरूरत है। सभी डिब्बा और बोतल बंद उत्पादों की कड़ाई से जाँच का प्रबंध होना चाहिए। 

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