Wednesday, February 20, 2013

ORGANIC NO -TILL FARMING बिना-जुताई की जैविक खेती

(A) ORGANIC NO TILL FARMING
बिना-जुताई की जैविक खेती


जब से गहरी जुताई और रासायनिक खेती के दुष्प्रभावों की चर्चा होने लगी है तब से विकल्प के रूप में जैविक खेती और बिना जुताई की रासायनिक खेती की चर्चा जोरों पर है।
जैविक खेती 
(ORGANIC FARMING)
"जैविक खेती सामान्यत: उस खेती करने की पद्धति को कहते हैं जिसमे नींदों की हिंसा  जुताई से  सामान्य तरीके से की जाती है. किन्तु रसायनों का इस्तमाल नहीं होता है। "
आगे हरे भूमि ढकाव को सुलाने वाला क्रिमपर रोलर पीछे बिना-जुताई की बोने की मशीन 

   जैविक खेती में जुताई करने से बरसात का पानी जमीन में ना समाकर तेजी से बहता है जो अपने साथ जैविक खाद को भी बहाकर ले जाता है। इस से खेत लगातार कमजोर होते जाते है।
बिना-जुताई की रासायनिक खेती  
NO-TILL CONSERVATIVE FARMING
"बिना-जुताई की रासायनिक खेती उस खेती करने की पद्धति को कहते हैं जिस में जुताई नहीं की जाती है किन्तु नींदों की हिंसा जहरीले रसायनों से की जाती है  इस से रसायनों का प्रदुषण बना रहता है जिस से जैव-विविध्तायों की हिंसा होती है. जिस से खेत कमजोर हो जाते है.


बिना-जुताई की जैविक खेती 
                                                        NO-TILL NATURAL/ORGANIC FARMING

बिनाजुताई की जैविक खेती
हरे वीड कवर को सुला कर खेती
NO-TILL NATURAL/ORGANIC FARMING
GREEN COVER CRIMPING BY FOOT POWERED TOOL.
बिना-जुताई की जैविक खेती का रास्ता उपरोक्त दोनों आधुनिक खेती के दोषों को समाप्त कर देता है. इसमें जुताई , रसायनों की कोई जरुरत नहीं रहती है. नींदों को मारा नहीं वरन पाला जाता है.  जिस से एक और जहाँ भूमि और जल का छरण पूरी तरह रुक जाता है वहीँ रासायनिक प्रदुषण नहीं रहने से जमीन की जैव विविधतायों का बढ़ता क्रम बना रहता है. जिस से जमीन की ताकत हर मोसम बदती जाती है.

इस खेती को करने के लिए किसी भी प्रकार के मानव निर्मित खाद और खरपतवार नाशक तथा कीटनाशक उपाय की जरुरत होती है. इस खेती में खड़ी खरपतवारों या फसलों के बीच बीजों को छिड़क दिया जाता है और खरपतवार को काट कर या क्रिम्पर यंत्र की सहायता से जहाँ का तहां सुला दिया जाता है. फसलो को काट  कर उसके अवशेषों को भी जहाँ का तहां फेला दिया जाता है .

कृषि अवशेषों के ढकाव से खेती
STRAW FARMING
खेतों में खड़ी हरी फसलों या  अन्य वनस्पतियों को 'हरा भूमि ढकाव ' कहा जाता है. इसके नीचे असंख्य जीव-जंतु कीड़े-मकोड़े निवास करते हैं जो जमीन को गहराई तक छिद्रित बना  देते है ,जमीन को नमी प्रदान करते है ,जैविक खाद बनाते है. जड़ों और छिद्रियता के कारण बरसात का या सिचाई का पानी जमीन में गहरायी तक समां जाता है. इस कारण जमीन में उन तमाम पोषक तत्वों की जरुरत की आपूर्ति हो जाती है जिनकी फसलों को जरुरत रहती है. फसलों के अवशेषों जैसे नरवाई ,पुआल आदि को जहाँ का तहां वापस कर देने से एक जहाँ जमीन की ताकत बढती जाती है वही फसलों का उत्पादन भी बढ़ता जाता है. ये खेती करने की तमाम टिकाऊ खेती की तकनीकों में सर्वोत्तम विधि है.
शालिनी एवं राजू टाइटस
ऋषि-खेती किसान
THERE IS EQUALITY IN NATURAL WAY OF FARMING AND NO-TILL ORGANIC WAY OF FARMING. THESE METHODS OF FARMINGS ON TOP IN THE LIST OF SUSTAINABILITY BECAUSE THESE METHODS SAVING WEEDS INSTEAD OF KILLING.
WHEREAS NO-TILL CONSERVATIVE WAY OF FARMING IS NOT SUSTAINABLE DUE TO KILLING OF WEEDS BY CHEMICAL POISON AND ORGANIC WAY OF FARMING IS ALSO NOT SUSTAINABLE DUE TO KILLING OF WEEDS BY TILLING.

*Raju Titus.Natural farm.Hoshangabad. M.P. 461001.*
       rajuktitus@gmail.com. +919179738049.
http://picasaweb.google.com/rajuktitus
http://groups.yahoo.com/group/fukuoka_farming/
http://rishikheti.blogspot.com/


1 comment:

dr dirt said...

I hope you can share in English what you are doing I know it is important thanks Sam