Friday, February 15, 2013

कुपोषण: समस्या और समाधान


कुपोषण: समस्या और समाधान 


पिछले कुछ सालों से भारत में कुपोषण के बढ़ते चरण की बहुत चर्चा है। कहा जा रहा है की करीब आधी आबादी इसकी चपेट में है। 70% महिलाएं एनिमियां यानि खून की कमी का शिकार हैं ,नवजात बच्चों की मौत और अपंगता ने आज तक के सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं। केंसर जैसे असाध्य रोग आम होने लगे हैं। मधुमेह और दिल की बीमारी अब हर किसी को हो रही है। समय से पहले बालों का पकना और झड़ना  , आँखों से कम दिखाई देना, दांतों का टूटना, बार बार सर्दी जुखाम और बुखार आना आदि सब कुपोषण के निशान हैं। 

आखिर क्या है ये कुपोषण ?

हमारा शरीर एक कुदरती जैविक अंश है। इसे जीवित रहने और पनपने के लिए कुदरती खान ,पान और हवा की जरुरत रहती है  जब ये  नहीं या कम मिलता है तो  इस दशा को कुपोषण कहते हैं। ये एक प्रकार की भुखमरी है।
ये समस्या किसी को भी अपनी गिरफ्त में ले सकती है चाहे वह गरीब हो या अमीर हो ,मोटा हो पतला हो,छोटा हो या बड़ा हो।

हमारा शरीर  कुदरती तंत्र का  हिस्सेदार हैं जो अनेक  जैव-विवधताओं को आहार के रूप में इस्तमाल करता है। जब ये जैव-विविधताये गेर कुदरती हो जाती हैं तो शरीर इसे स्वीकार नहीं करता है वह गेर-कुदरती खान-पान के कारण भूका रहते हुए कुपोषण का शिकार हो जाता है।

इस समस्या का जन्म  मात्र कुछ सालों से  अधिक दिखाई दे रहा है। इस समस्या का  सम्बन्ध गेर-कुदरती आहार से है। ये गेर-कुदरती आहार  गेर-कुदरती खेती में पैदा होता है ,जिसका चलन मात्र कुछ सालों से शुरू हुआ है। जिसमे फसलोत्पादन के लिए की जा रही मशीनी जमीन की जुताई और रसायनों का उपयोग प्रमुख है।
कुदरती चावल की फसल 

कुदरती गेंहू की फसल 
मशीनी जमीन की जुताई से खेतो की कुदरती खाद और पानी का बड़े पैमाने पर छरण होता है जिस से जमीन जो स्वं एक कुदरती तंत्र कुपोषण का शिकार हो जाती है इस लिए इस में पनपने वाली तमाम जैव-विविधताये भी कुपोषित हो जाती हैं। जिनके कुपोषण का असर हम पर और हमारे मवेशियों पर पड़ता है। खाने के अनाज,सब्जियां, दूध,मांस आदि सब गेर-कुदरती तरीके से पैदा होने के कारण कुपोषित और प्रदूषित रहते हैं। इनमे कुदरती स्वाद,खुशबु और जायके की भारी  कमी रहती है।

इस के विपरीत  जंगल में मिलने वाली तमाम कुदरती खाने वाली जैव-विवधताओं हैं ये सब कुदरती स्वाद, जायके और खुशबु से परिपूर्ण ,स्वास्थवर्धक रहती हैं। इनको खाने से कुपोषण नहीं होता है यदि हो जाये तो वह ठीक भी हो जाता है।
कुदरती फलों की फसल 


बिना-जुताई की कुदरती खेती अनाज ,सब्जी,फल,दूध,अंडे आदि पैदा करने की ऐसी तकनीक है जिसमे जमीन की जुताई और कृषि-रसायनों का उपयोग बिलकुल नहीं किया जाता है। सभी खाद्य विविधताएँ  जंगल में पैदा होने वाली विवधताओं की तरह स्वादिस्ट,खुशबु और जायके वाली होती हैं। इनको खाने से कुपोषण की समस्या नहीं रहती है।




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