Wednesday, October 3, 2012

F.D.I. विदेशी निवेश और आत्म निर्भर खेती

विदेशी निवेश और आत्म निर्भर खेती


मै ऐसा सोचता हूँ की हमारा देश हमारे शरीर के माफिक है.
यदि हमारा शरीर ताकतवर है तो वह हमारे शरीर में बाहरी बीमारियों को नहीं आने देगा और हम स्वास्थ रहेंगे. यद हम स्वं अपने खान पान और रहन सहन से अपने शरीर को कमजोर करते हैं तो वह बाहरी बीमारी से नहीं बच सकता है.

विदेशी निवेश एक बीमारी है जो हमारे देश में हमारी कमजोरी के कारण आ रही है. आपने अमूल का उदाहरण दिया है एक जमाना था अमूल के किसान सरकार से कहते थे हमें आप के पैसे और नेता की जरुरत नहीं है.

हमारी खेती किसानी हजारों साल आत्म निर्भर रही वह बिना बिजली और बिना आयातित तेल के अनेक कुदरती आपदाओं के रहते सुरक्षित रही. उस में जान थी. किसान सम्मान से जीता था. किन्तु आयातित तेल से की जाने वाली "हरितक्रांति" ने हमारी खेती किसानी को इतना निर्बल बना दिया है की हम विदेशी तेल के बिना कुछ नहीं कर सकते हैं.
  खाद्य सुरक्षा और खेती किसानी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं.
इस का उद्धार विदेशी निवेश से नहीं वरन आत्म निर्भर खेती से ही संभव है. जिस में सरकारी निवेश की भी कोई जरुरत नहीं है. ये भी बहुत बड़ा धोका है.
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Raju Titus.Natural farm.Hoshangabad. M.P. 461001.
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