Thursday, October 4, 2012

FARMERS RULE किसान राज

 किसान राज
(बिना जुताई की कुदरती खेती ने किया कमाल)
भारतीय प्राचीन खेती किसानी में किसान आत्म निर्भर और समाज  में सर्वोपरी स्थान रखते थे. उस का कारण था वे लोगों को खाना खिलाते थे. उनके कहने से  सब काम होते थे उन का राज था. किन्तु आज क़ल उल्टा हो गया  है किसान समाज  में सबसे नीचे के स्तर पर खड़ा है वह खुद अब खाने के लिए मोताज हो गया है. वह सरकार की ओर हर चीज के लिए मुंह ताक रहा है. इस का सबसे बड़ा कारण मशीनी करण ओर तेल की  गुलामी है.

पहले किसान आसानी से बिना जुताई ,बिना सिचाई ,बिना खाद ओर दवाई के आसानी से आत्म निर्भर खेती करता था. उसके अनाजों के भंडार हमेशा भरे रहते थे. जब नयी फसल आती थी ओर उनका भंडार सीमा से अधिक हो जाता था वह वह उसे अन्य सेवाओं के  बदले दे देता था वह गर्व से अन्नदाता कहलाता था. सब उसे सम्मान की निगाह से देखते थे.

इस देश को अंग्रेजों से आज़ादी उस समय मिली जब देश का किसान एक साथ गाँधी जी के साथ खड़ा हो गया. किन्तु अफ़सोस की बात है की हमारी खुद की सरकार ने उन किसानो  को गुलाम बना दिया. उसके बेल नहीं रहे वे आयातित तेल से चलने वाले ट्रेक्टरों में बदल गए. कुदरती  खाद के बदले उन्हें जहरीले आयातित तेल से बनी खाद थमा दी गयी. उसके अपने बचाए देशी बीज छीन कर उसे संकर /जी .एम् जैसे कमजोर बीज थमा दिए. जिन में आये दिन रोग लगते हैं जिस के लिए उसे जहरीले कीट ओर खरपतवार नाशक दे दिए गए. उसके भंडार खाली करवाकर अनाज को सरकारी गोदामों में भर दिया जो चोरी हो रहा है ,जिसे कीड़े खा रहे हैं,जो पानी से सड रहा है.

इस से किसान तो कर्जदार हुआ ही देश भी विदेशी कर्जे में फंस गया. जिस ईस्ट इंडिया कंपनी ने देश को गुलाम बनाया था जिसे इन किसानो ने गाँधी,विनोबा, टेगोर ,नेहरु की मदद  से भगाया था. उन्ही कंपनियों को अब देश में पुन: गुलाम बनाने के लिए आमंत्रित किया जा रहा है. उन्हें देश को लूटने के लिए खुली छूट दे दी गयी है.
किसानो का देश अब विदेशी व्यापारियों का देश बन गया है.

हमारी  माटी, रोटी ,हवा और पानी सब उनके हाथों में चला गया है हम फ़िर से गुलाम हो गए हैं.

किन्तु हम शुक्रगुजार हैं जापान के गाँधीवादी कुदरती खेती के किसान स्व. श्री मस्नोबू फुकुओका जी के जिन्होंने हमें ऐसी आत्म नर्भर खेती का पाठ पढ़ाया जिसे हम पिछले २७ सालों से कर रहे हैं. जिस से हमारे खेत इस गुलामी से पूरी तरह मुक्त हो गए हैं. ये सरकारी .अनुदान ,कर्ज,और मुआवजे की कोई जरुरत नहीं है. ये कुदरती खेती पूरी तरह आत्म निर्भर हैं.

अनेक वैज्ञानिक ,साधू संत,किसान, और नेतागण इसे देखने यहाँ आते हैं.वे इस विधा को केवल भारत में ही नहीं वरन पूरी दुनिया में फेलाने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. अनेक बिना जुताई की कुदरती खेती खेती के किसान और फार्म बन गए हैं, अब वह समय दूर नहीं जब भारत का हर किसान बिना जुताई की कुदरती खेती कर आत्म निर्भर हो जायेगा उसे आयातित तेल और विदेशी पैसे की कोई जरुरत नहीं रहेगी.
किसान का राज चलेगा.
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Raju Titus.Natural farm.Hoshangabad. M.P. 461001.
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