खाद्य सुरक्षा , अनुदान और विदेशी निवेश
आज अचानक टीवी खोला तो देवेन्द्र शर्मा जी को देख वार्तालाप सुनने लगा विषय था खाद्य सुरक्षा ,अनुदान और विदेशी निवेश. सुन कर बहुत बुरा लगा की एक और जहाँ अनाज(जहरीला) गोदामों में सड रहा है, लोग भूखों मर रहे हैं,किसान आत्म हत्या कर रहे हैं, अनुदान, कर्ज माफी और मुआवजों के कारण सरकार अब कंगाल होने लगी है.
. एक और किसान "और दो और दो" चिल्ला रहे है तो वहीँ
सरकारें भी विदेशों का मुंह ताक रही हैं.
देश में खाद्य सुरक्षा पूरी तरह ध्वस्त हो गयी है.
किसी को भी देश की आत्म निर्भरता की चिंता नहीं है. हमारी खाद्य सुरक्षा आयातित तेल की गुलाम हो गयी है.
हम २७ सालों से आत्म निर्भर कुदरती खेती कर रहे हैं. इस खेती में ८०% खर्च की कमी हो जाती है खाद्य स्वादिस्ट ,स्वास्थवर्धक, पैदा होते हैं. इस में अनुदान ,कर्ज,और मुआवजों की जरुरत नहीं रहती है. उत्पादकता सर्वोपरि है. आत्म निर्भर खेती से ही देश आत्म निर्भर हो सकता है.
शर्मा जी ने सही कहा की एक गाँव तो आप आत्म निर्भर बना के बताएं.
आज अचानक टीवी खोला तो देवेन्द्र शर्मा जी को देख वार्तालाप सुनने लगा विषय था खाद्य सुरक्षा ,अनुदान और विदेशी निवेश. सुन कर बहुत बुरा लगा की एक और जहाँ अनाज(जहरीला) गोदामों में सड रहा है, लोग भूखों मर रहे हैं,किसान आत्म हत्या कर रहे हैं, अनुदान, कर्ज माफी और मुआवजों के कारण सरकार अब कंगाल होने लगी है.
. एक और किसान "और दो और दो" चिल्ला रहे है तो वहीँ
सरकारें भी विदेशों का मुंह ताक रही हैं.
देश में खाद्य सुरक्षा पूरी तरह ध्वस्त हो गयी है.
किसी को भी देश की आत्म निर्भरता की चिंता नहीं है. हमारी खाद्य सुरक्षा आयातित तेल की गुलाम हो गयी है.
हम २७ सालों से आत्म निर्भर कुदरती खेती कर रहे हैं. इस खेती में ८०% खर्च की कमी हो जाती है खाद्य स्वादिस्ट ,स्वास्थवर्धक, पैदा होते हैं. इस में अनुदान ,कर्ज,और मुआवजों की जरुरत नहीं रहती है. उत्पादकता सर्वोपरि है. आत्म निर्भर खेती से ही देश आत्म निर्भर हो सकता है.
शर्मा जी ने सही कहा की एक गाँव तो आप आत्म निर्भर बना के बताएं.
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