शाकाहारी और गेर शाकाहारी में क्या अच्छा है?
आहार कोई भी हो अच्छा रहता है किन्तु इसे कुदरती होना चाहिए . अधिकतर लोग वैज्ञानिक सोच से आहार में विटामिन आदि को महत्व देते हैं.तथा अनेक लोग शाकाहारी भोजन को महत्व देते हैं उनका सोच है कि मांसाहार से हिंसा होती है. इसी के साथ अनेक मांसाहार को गलत नहीं मानते. कुछ लोग तो दूध तक के सेवन को मांसाहार समझ इसका सेवन नहीं करते हैं.
हमारा सोच इन सब से भिन्न है हम मानते हैं हर वो आहार जिसमे कुदरती खुशबू,जायका और स्वाद रहता है वह खाने लाएक रहता है. हर कुदरती आहार स्वाद और जायके से परीपूर्ण रहता है,. किन्तु आज कल अनेक गेर कुदरती तरीके से पैदा किये जाने वाला आहार अपना स्वाद,खुशबू और जायका खो रहा है. मांस ,मछली, अंडे , दूध,फल सब्जी ,अनाज आदि सब में गेर कुदरती तरीके से पैदा करने के कारण वो गुण नहीं हैं जो होना चाहिए.
इन सब चीजों का सम्बन्ध जमीन कि कुदरती ताकत से है. जमीन में यदि कुदरती ताकत है तो उस के सहारे पैदा होने वाली हर चीज में स्वाद,जाएका और खुशबू रहती है. आज कल ओर्गानिक का हल्ला बहुत सुनाई दे रहा है लोग कहते हैं. रासयनिक खाद और दवाओं के कारण हमारा आहार प्रदूषित हो रहा है. यदि इन रसायनों के बदले जैविक खाद और दवाओं का उपयोग किया जाये तो प्रदुषण नहीं रहेगा. ये भ्रान्ति है.
जब तक हम जमीन कि बीमारी के मूल कारण को नहीं हटाते हम जमीन कि कुदरती ताकत को वापस नहीं ला सकते चाहे कितने भी रसायन या खाद डालें. बीमार जमीन में बीमार फसल ही पैदा होती है. बीमार चारे से बीमार मांस दूध और अंडे ,फल मिलेंगे.
आज कल फसलों, मुर्गी आदि को जल्दी बड़ा करने के लिए अनेक ओक्सीतोसीन जैसे खतरनाक रसायनों का इस्तमाल होने लगा है जिस से हमारा आहार बहुत प्रदूषित हो रहा है. दूसरा जेनेटिक तकनीक से नस्लों के कुदरती गुणों को नस्ट कर उनमे गेर कुदरती गुणों को डाला जा रहा है. जिस से नस्लें अपना कुदरती स्वरूप खो रही हैं. उन्हें पैदा करने के लिए भारी मात्रा में गेर कुदरती दवाओं कि जरुरत होती है. जेनेटिक नस्लों से पैदा किये गया आहार बे सुवाद , बे जाएका वाला होता है. इनके सेवन से अनेक प्रकार कि बीमारियाँ होती है.
इस लिए हमारी सलाह है कि जब भी हम अपना आहार तलाशें उसकी परख कुदरती रंग, खुशबू, जायके और स्वाद से करनी चाहिए. हर स्वादिस्ट आहार गुणकारी होता है. उसको खाने से बड़ी से बड़ी बीमारी को ठीक किया जा सकता है किन्तु बे स्वाद आहार को खाने से बीमारी उत्पन्न होना लाजमी है. आज कल केंसर, खून में कमी , अप्रत्याशित वजन में इजाफा,नवजात बच्चों कि मौत, बच्चों में फेफड़ों के रोग आदि के पीछे गेर कुदरती आहार के सेवन का मूल कारण है.
कुदरती खेती इसका सबसे सरल और सहज उपाय है. इस को करने एक और हमें स्वादिस्ट आहार मिलता है वहीँ हमारा पर्यावरण भी संतुलित रहता है. जिस से कुदरती पानी और हवा भी मिलती है.
आहार कोई भी हो अच्छा रहता है किन्तु इसे कुदरती होना चाहिए . अधिकतर लोग वैज्ञानिक सोच से आहार में विटामिन आदि को महत्व देते हैं.तथा अनेक लोग शाकाहारी भोजन को महत्व देते हैं उनका सोच है कि मांसाहार से हिंसा होती है. इसी के साथ अनेक मांसाहार को गलत नहीं मानते. कुछ लोग तो दूध तक के सेवन को मांसाहार समझ इसका सेवन नहीं करते हैं.
हमारा सोच इन सब से भिन्न है हम मानते हैं हर वो आहार जिसमे कुदरती खुशबू,जायका और स्वाद रहता है वह खाने लाएक रहता है. हर कुदरती आहार स्वाद और जायके से परीपूर्ण रहता है,. किन्तु आज कल अनेक गेर कुदरती तरीके से पैदा किये जाने वाला आहार अपना स्वाद,खुशबू और जायका खो रहा है. मांस ,मछली, अंडे , दूध,फल सब्जी ,अनाज आदि सब में गेर कुदरती तरीके से पैदा करने के कारण वो गुण नहीं हैं जो होना चाहिए.
इन सब चीजों का सम्बन्ध जमीन कि कुदरती ताकत से है. जमीन में यदि कुदरती ताकत है तो उस के सहारे पैदा होने वाली हर चीज में स्वाद,जाएका और खुशबू रहती है. आज कल ओर्गानिक का हल्ला बहुत सुनाई दे रहा है लोग कहते हैं. रासयनिक खाद और दवाओं के कारण हमारा आहार प्रदूषित हो रहा है. यदि इन रसायनों के बदले जैविक खाद और दवाओं का उपयोग किया जाये तो प्रदुषण नहीं रहेगा. ये भ्रान्ति है.
जब तक हम जमीन कि बीमारी के मूल कारण को नहीं हटाते हम जमीन कि कुदरती ताकत को वापस नहीं ला सकते चाहे कितने भी रसायन या खाद डालें. बीमार जमीन में बीमार फसल ही पैदा होती है. बीमार चारे से बीमार मांस दूध और अंडे ,फल मिलेंगे.
आज कल फसलों, मुर्गी आदि को जल्दी बड़ा करने के लिए अनेक ओक्सीतोसीन जैसे खतरनाक रसायनों का इस्तमाल होने लगा है जिस से हमारा आहार बहुत प्रदूषित हो रहा है. दूसरा जेनेटिक तकनीक से नस्लों के कुदरती गुणों को नस्ट कर उनमे गेर कुदरती गुणों को डाला जा रहा है. जिस से नस्लें अपना कुदरती स्वरूप खो रही हैं. उन्हें पैदा करने के लिए भारी मात्रा में गेर कुदरती दवाओं कि जरुरत होती है. जेनेटिक नस्लों से पैदा किये गया आहार बे सुवाद , बे जाएका वाला होता है. इनके सेवन से अनेक प्रकार कि बीमारियाँ होती है.
इस लिए हमारी सलाह है कि जब भी हम अपना आहार तलाशें उसकी परख कुदरती रंग, खुशबू, जायके और स्वाद से करनी चाहिए. हर स्वादिस्ट आहार गुणकारी होता है. उसको खाने से बड़ी से बड़ी बीमारी को ठीक किया जा सकता है किन्तु बे स्वाद आहार को खाने से बीमारी उत्पन्न होना लाजमी है. आज कल केंसर, खून में कमी , अप्रत्याशित वजन में इजाफा,नवजात बच्चों कि मौत, बच्चों में फेफड़ों के रोग आदि के पीछे गेर कुदरती आहार के सेवन का मूल कारण है.
कुदरती खेती इसका सबसे सरल और सहज उपाय है. इस को करने एक और हमें स्वादिस्ट आहार मिलता है वहीँ हमारा पर्यावरण भी संतुलित रहता है. जिस से कुदरती पानी और हवा भी मिलती है.
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