Saturday, March 24, 2012

केंसर का भूत

केंसर का भूत
प्रिय मित्रो,
    मुझे मेरी बहन जो डाक्टर है ने फोन कर बताया की कुछ दिनों से वो पीठ मे एक ग्लेन्ड हो जाने से बहुत परेशान थी असल मे हुआ ये की उनके पति जो स्वं भी डाक्टर हैं ने उनके पीठ मे इस ग्लैंड को देखा और वो बहुत घबरा गए  उन्हें ये ग्लैंड केंसर जैसी लगी वे दोनों फ़िर इसे दिखाने स्थानीय विशेषग्य के पास गए उन्होंने देखकर कहा की पहले ब्यओपसी करना होगा फ़िर इसका ओपरेशन करना होगा  वो और घबरा गए उन्होंने फ़िर दूसरे विशेषग्य को दिखाया उनका भी यही जवाब रहा.
कुदरती फलों की खेती जुताई ,रसायन ,निदाई ,टहनियों की छटाई नहीं

   मेरी बहन बहुत हिम्मत वाली है उसने सोचा की क्यों ना किसी होम्योपेथ को दिखाया जाये तो स्थानीय  फेमस होम्योपेथ के पास गए उन्होंने उन्हें और डरा दिया  कहा की मैने अपने जीवन मे कभी ऐसी ग्लैंड नहीं देखी इसका तो हमारे पास कोई इलाज नहीं है मरता क्या नहीं करता तो वे किसी दूसरे हाकिम के पास गए.
   ये कैसी विडंबना है की जो स्वं डाक्टर हैं केंसर के भूत से इतना डर गए की सारी डाक्टरी ही भूल गए  पर अच्छा हुआ अबकी बार वो जिसके पास गए थे उन्होंने खाने की कुछ गोलियां और लगाने की कोई दवा इन्हें दे दी और कहा कुछ दिन देखते हैं वो गोलियां खाने लगे और दवाई लगाने लगीं तीसरे दिन उन्होंने देखा की  वो ग्लैंड गिरकर उनके हाथ मे आ गयी उन्होंने उसे रख दिया किन्तु थोड़ी ही देर मे वो उस ग्लैंड मे से  अनेक पांव निकल आये और वो चलने लगी, वो ग्लेन्ड नहीं थी वो तो पशुओं का खून चूसने वाली किल्ली  थी जो अक्सर कुत्तों आदि पर लटकती दिखती है. उनके घर मे काम करने वाली कर्मचारी जो पढ़ी लिखी नहीं है वो  उसे पहचान चुकी थी वो बार बार उन्हें बता रही थी की ये किल्ली है पर किसी ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया.

घर में काम करने वाली ये महिला पढ़ी लिखी नहीं थी वह कोई डाक्टर नहीं थी किन्तु पहली नजर में उसने पहचान  लिया था।  असल में  गेर कुदरती रहन सहन और खान पान के कारण और रासायनिक दवाओं आदि के कारण अनेक व्याधियां  हमे घेर लेती हैं। जिसे डाक्टर लोग जिन्हें अधूरा किताबी ज्ञान होता है उस व्याधी को और बढ़ा देते हैं।

हम पिछले २८ सालो से कुदरती खेती कर रहे हैं तथा अपने परिवार के लिए थोड़ी बहुत बीमारी के लिए कुदरती इलाज ही करते हैं।  इसके लिए हम बंदर और बकरी की  अक्ल  का सहारा लेते हैं।  हरी पत्तियों के रस ,फलों ,कच्चे ताजे दूध , अंकुरित अनाजों का सेवन कर बीमारियों को ठीक कर लेते हैं।  हमने पाया है की रासायनिक दवाएं बीमारियों को ठीक करने के बदले  और बढ़ा देती हैं।

कुदरती खेती के दोरान हमे इसे अनेक लोग मिले हैं जिन्हें केंसर बता दिया था किन्तु कुदरती खान पान ,रहन सहन से वे बिलकुल ठीक हो गए हैं .वो कहते हैं साधारण सर्दी खांसी और केंसर में कोई फर्क नहीं रहता है . सब से बड़ा डाक्टर हमारा शरीर होता है उसे कुदरती हवा ,खान ,पान मिलने से वह हर बीमारी को ठीक कर लेता है .

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