Monday, March 28, 2016

पेड़ों के साथ कुदरती खेती कर अपना करियर बनाए !

पेड़ों के साथ कुदरती खेती कर अपना करियर बनाए !

ज कल पढ़े लिखे युवक और युवतियों के रोजगार की गम्भीर समस्या उत्पन्न हो गयी। अधिकतर हमारे ये युवा साथी महानगरों की चका चौंध में गुम हो रहे हैं। उन्हें अपनी आजीविका के लिए नौकरियां नहीं मिल रही है।  महानगरों में खुद का रोजगार करने के लिए भी कॉम्पिटीशन बहुत अधिक बढ़ गया है। 
महुए के फूलों से  गुड और बीजों से तेल  मिलता है। 

दूसरी ओर परम्परागत खेती किसानी में घाटे के कारण अनेक किसान खेती छोड़ रहे है गांव और देहात में विपरीत हालत पैदा  हो गए हैं काम के लिए लोग नहीं मिल रहे हैं।  अनेक खेत खाली पड़े हैं। पेड़ों को काटकर खेतों को मशीनों से खोद कर की जाने वाली खेती के कारण उपजाऊ खेत अब मरुस्थल में तब्दील हो रहे हैं। इस कारण गाँव और खेत खाली होने लगे हैं। 

एक और जहाँ आधुनिक वैज्ञानिक खेती फेल हो रही है तो दूसरी और कुदरती खेती करने की चाह बढ़ रही है।  लोगों को कुदरती उत्पादों की कमी खल रही है। कुदरती अनाज ,दालों ,फल ,दूध ,मुर्गी अंडे मांस की मांग बढ़ रही है।  सबसे अधिक मांग अब जलाऊ लकड़ी की हो रही है। इस कारण अब एक नया मार्ग हमारे पढ़े लिखे नवजवानों के लिए खुल रहा है।  

सुबबूल से उत्तम चारा ,जलाऊ लकड़ी और नत्रजन
आदि बहुत फायदे हैं। 
 अब इंजीनियर ,डाक़्टर, एम बी ए के रास्ते बंद  होने लगे हैं। इसका मूल कारण टिकाऊ पर्यवर्णीय कंपनियों का नहीं होना है। लोग करोड़ों हाथ में लेकर कर कुछ नहीं कर पा रहे हैं। अब सारा खेल इसकी टोपी उसके सर बैठाने का चल रहा है।  किसी को अपने नीचे से धरती के खिसकने का अहसास नहीं है।  इन परिस्थितियों का असर हमारे पढ़े लिखे  नवजवानों पर पड़ रहा है।  जो जितना अधिक पढ़ा है वह उतना अधिक अपने भविष्य के खातिर चिंता में है।  लोग विदेशों से और महानगरों से लौट  कर अपने गाँव की ओर आ रहे हैं। जो कुदरती खेती करने लगे हैं।  

मोरिंगा जिसे मुनगा भी कहा जाता है जिस की फलियां ,पत्तियां
 ,फूल सभी दवाई हैं। 
हम पिछले तीस साल से अपने पारिवारिक खेतों में कुदरती खेती कर रहे है। इसलिए हजारों ऐसे लोगों है जो इन इन तीस सालो में हमारे यहां आये हैं और आ रहे हैं।  वो यह जानना चाहते हैं की कुदरती खेती कैसे की जाती है। वो सभी लोग लोग  चूंकि पढ़े लिखे और समझदार हैं इसलिए उनके प्रश्न भी बहुत सार्थक रहते हैं इसलिए हमे उनको सन्तुस्ट करना पड़ता है। इसमें रॉकेट साइंस जैसी धुप्पल बाजी नहीं है। 

अधिकतर लोग हमसे पूछते हैं की जुताई के बिना कैसे खेती संभव है तब हम उन्हें कहते हैं की जरा  अपने आस पास के जंगलों को देखिए जहां सब कुछ अच्छा हो रहा है वह कैसे हो रहा है ? कुदरती खेती एक जंगली खेती है। 
जंगल में महुए के पेड़ को कोई बोता नहीं है ,न ही उसमे कोई खाद डालता है ना ही उसमे कोई पानी सींचता है फिर भी वह जितना देता है शायद ही खेतों में लगने वाला कोई पेड़ देता हो। ऐसे असंख्य कुदरती पेड़ हैं जिन्हे लगाकर हम अपनी आजीविका आत्मनिर्भता के साथ पूरी कर सकते हैं। 

बिना जुताई पेड़ों वाली खेती में एक और जहां लागत  बहुत कम है वहीं महनत  भी नहीं के बराबर है।  इन जंगली अर्ध जंगली पेड़ों के साथ के  हम आसानी से अनाज ,सब्जियों की खेती भी कर सकते  हैं ,जंगली मुर्गियां और बकरियों को पाल कर हम अपनी आमदनी को भी बढ़ा सकते हैं।  ये पेड़ जमीन को बहुत नीचे गहराई तक अपनी जड़ों के जाल के माध्यम से ताकतवर और पानीदार बना देते है। 

कुदरती पेड़ों की खेती करने से हम आसानी से अपनी जमीन में जल का प्रबंधन कर लेते है जिस से मौसम परिवर्तन और गर्माती धरती पर रोक लग जाती है।  जंगली खेती करके हमारे पढ़े लिखे नवजवान न केवल समाज में सम्मान पाते  हैं वरन आर्थिक लाभ भी अर्जित कर लेते है जो कल तक बेरोजगार थे वो अनेक लोगों को रोजगार उपलब्ध करा  रहे हैं। 







6 comments:

RAJENDRA SINGH RATLAM WALA said...

अत्यन्त उपयोगी व् सार्थक जानकारी के लिए साधुवाद

राजेंद्र सिंह,
अजमेर, राजस्थान

Majumdar said...

Rajuji,

Wonderful series of articles as usual, sir. But one thing makes no sense at all. One, you are saying that people are not getting jobs. On the other hand, you are not getting people to work for you in villages. Both cannot simultaneously be true! If the latter was true, jobless people cannot take up rural jobs.

Regards

Unknown said...

Yes this is true because rural area which is based farming is away "sustainable farming system" .Deep plowing ,use heavy irrigation ,heavy machines and chemicals reducing production,degrading soil hens farming is becoming not profitable therefore farmers are unable to pay proper wages.If farming system become profitable than only people will get proper jobs in rural areas.

Majumdar said...

If young people are not getting jobs in cities, they can take up rural jobs even at low wages, at least cost of living is less in villages.

Regards

Unknown said...

Not only cost of living natural food ,water and air is also available in villages which is not available in cities.
thanks for coments

Majumdar said...

So Rajuji, why dont unemployed people in cities go back to villages?

Regards