Sunday, March 6, 2016

बिना-जुताई की संरक्षित खेती



बिना-जुताई की संरक्षित खेती 

 जीरो टिलेज सीड ड्रिल का उपयोग 

जैसा की हम जानते हैं कि जमीन की जुताई करने से बरसात का पानी जमीन में नहीं सोखा जाता है वह तेजी से बह जाता है साथ में खेत की बखरी मिटटी जो असल में जैविक खाद होती है को भी बहा कर ले जाता है।  इस प्रकार खेत सूख जाते है और उनकी उर्वरा शक्ति भी नस्ट हो जाती है।
 धान के बाद गेंहूँ की बुआई 

एक बार की जुताई से इस प्रकार आधी  उर्वरकता और आधी नमी खतम हो जाती है और बहुत अधिक जानलेवा खरपतवार खेतों में पैदा होने लगती है। नमी और उर्वरकता की कमी के कारण फसलों में बहुत रोग लग जाते है दवाइयों का अतिरिक्त खर्च पड़ने से खेती घाटे का सौदा बन जाती है।

इस प्रकार घाटे की खेती करने से किसान ही नहीं सरकार पर भी बहुत बोझ पड़  रहा है।  इसलिए आज कल बिना जुताई की खेती जोर पकड़ रही है।  इसमें किसान एक फसल को काटने के बाद दूसरी फसल को बोने के लिए बिना जुताई की बोने  की मशीन का उपयोग करता है।

उपरोक्त चित्र में किसान धान की खेती के उपरांत रबी की बुआई कर रहे हैं। इस से अनेक फायदे होते हैं।  पहला फायदा खेती खर्च में कमी का है।  जुताई और सिंचाई में कमी आने से करीब ७० प्रतिशत की बचत हो जाती है। दूसरा फायदा नत्रजन का संरक्षण है। जुताई  करने के कारण खेतों की जैविक खाद न तो बहती है ना ही वह गैस बन उड़ती है।  इस कारण बड़ी मात्र में खाद की बचत हो जाती है।

गेंहूँ की बुआई के बाद धान की पुआल की मल्चिंग  
अनेक किसान इस प्रकार बुआई  करने के बाद पुआल को भी खेतों में जहाँ का तहाँ आड़ा तिरछा वापस में खेतो में फेंक देते हैं।  इस के कारण एक तो यह सड़ कर उत्तम जैविक खाद में बदल जाता है वही यह खरपतवारों का नियंत्रण कर लेता है। इस ढकाव के कारण इसके नीचे असंख्य कीड़े मकोड़े काम करते हैं जैसे केंचुए जो  जमीन को बहुत गहराई तक बखर देते हैं जो कोई मशीन नहीं कर सकती है।  धुप के कारण नमी उड़ती नहीं है सूखे की स्थिति में भी उत्तम फसल उतरती है।  अनेक बीमारी के कीड़ों के दुश्मन इस ढकाव की छाया  के नीचे रहने लगते है।  जो फसलों में बीमारी नहीं लगने देते हैं। जैसे छिपकली और मेंढक ,इल्लियों को खा जाती है।

हम धान के बाद होने वाली गेंहूँ की खेती में गेंहूँ के साथ दाल की फसल भी लगाते है। क्योकि गेंहूँ और चावल नत्रजन खाने वाले हैं और दाल नत्रजन देने वाली है दोनों की दोस्ती बहुत जमती है।  इस खेती में अतिरिक्त रासायनिक और किसी भी प्रकार  गोबर और गो मूत्र की खाद की जरूरत नहीं पड़ती है।



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