Saturday, March 19, 2016

हमारे पर्यावरण की हत्या !

हमारे पर्यावरण की हत्या !

यमुनाजी और श्री श्री जी का कार्यक्रम 

मारा देश हमारे पर्यावरण के बहुत ही गंभीर खतरे से जूझ रहा है।  अनेक प्रदेश पीने के पानी के लिए दूसरे प्रदेशों की मेहरबानी पर जिन्दा है जिसमे दिल्ली और गुजरात किसी से छुपा नहीं है। दिल्ली में जहां एक और "आमआदमी पार्टी "की सरकार है तो केंद्र में " मोदीजी " की सरकार है।  दोनों सरकार दिल्ली में अपना अपना भाग्य आजमा रही हैं। दोनों को दिल्ली में एक ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करना है जिसमे पर्यावरण की गंभीर समस्या का समाधान हो सके। जिसमे यमुनाजी का विशेष महत्व  है।

कार्यक्रम के उपरांत यमुनाजी के हाल 


 यमुना जी बचेंगी तो ही दिल्ली बचेगी और बचेगा। तभी देश की अन्य नदियां बचेंगी ,तभी हरियाली बचेगी ,तभी हमे साँस लेने के लिए हवा मिलेगी ,तभी हमे पीने के लिए पानी और खाना मिलेगा। किन्तु बड़े अफ़सोस के साथ कहना पड़ रहा है की ये सरकारे हमारे पर्यावरण के प्रति बिलकुल संवेदनशील नहीं है इसलिए वहां "विश्व संस्कृतिक  कार्यक्रम " के बहाने यमुनाजी के पर्यावरण की हत्या करदी गयी और सब देखते रह गए। एक मामूली सा ५ करोड़ का हर्जाना लगाकर देश के सबसे बड़े हरित कोर्ट ने हाथ खड़े कर दिए हैं।

इस से साफ़ पता चलता है की सभी सरकार विकास के नाम पर विनाश करने में लगी है। दिल्ली में जहाँ सब बड़े कोर्ट हैं जहाँ माननीय राष्ट्रपति जी भी रहते हैं देश की लोकसभा और राज्य सभा है सारे  मीडिया यहां पर हैं फिर भी हम यमुनाजी जो हमारी पवित्र माँ है को नहीं बचा पा रहे हैं।

हम एक छोटी सी अदनी सी गैर सरकारी संस्था जिसका नाम "यमुना जिए अभियान "है को सलाम करते हैं जिसने यमुनाजी के पर्यावरण की हो रही हत्या पर आवाज उठाकर  पूरी दुनिया को दिखा दिया की हम अपने बच्चों के भविष्य के लिए अपने  पर्यावरण के लिए कितने जागरूक है।

यमुनाजी का यह भू भाग पर्यावरण के दृश्टिकोण से बहुत संवेदनशील है जिस पर किसी भी प्रकार के स्थाई या अस्थायी निर्माण करने की अनुमति नहीं है फिर अनुमति क्यों दी गयी यह गंभीर प्रश्न है। दूसरा जब ये सरकार ढोल पीट पीट कर अपने को किसान हितेषी बताती हैं तो क्यों फिर क्यों  फसलों को बुलडोज़र से नस्ट किया गया है ?

ऐसा नहीं है की हम विकास नहीं चाहते है ऐसा भी नहीं है की हम विश्व संस्कृतिक कार्यक्रमों के विरोधी हैं हमे श्री श्री जी से कोई शिकायत नहीं हमे शिकायत उस व्यवस्था से है जिनके हाथों में में हमारे बच्चों के पर्यावरण को ठीक रखने की जिम्मेवारी है।







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