बिना जुताई की खेती के भिन्न २ तरीके
कुदरती खेती Natural Farming
इस खेती का आविष्कार जापान के जग प्रसिद्ध कुदरती खेती के किसान स्व मस्नोबू फुकोकजी ने किया है जिसे पूरी दुनिया में "The One Straw REvolution " किताब जिसे फुकूओकाजी ने लिखा है तथा जिसे लारीकॉर्न ने अनुवादित किया है के माध्यम से जान रहे हैं और कर रहे हैं।ऋषि खेती (Natural Farming )
यह विधि टाइटस नैचरल फार्म होशंगाबाद में राजू एवं शालिनी टाइटस के द्वारा फुकूओकाजी की नेचरल फार्मिंग के आधार पर भारत में करने लायक बनाई है जिसे वे पिछले ३० सालो से सफलता पूर्वक कर रहे हैं।
जीरो टिलेज एग्रीकल्चर (zero Tillage agriculture)
इस विधि को भारत ,पाकिस्तान और बांग्ला देश में CYMMIT नाम की संस्था के द्वारा सरकार के साथ मिल कर किया जा रहा है जिसमे ट्रैक्टर के पीछे बिना जुताई की मशीन लगी होती है जिस से बिना जुताई करे बीज बो दिए जाते हैं।
नो टिल कन्सर्वेटिवे फार्मिंग (No Till conservative farming
यह खेती अधिकतर अमेरिका में की जा रही है इसमें खरपतवार नाशकों के उपयोग के साथ कृषि रसायनो का भी उपयोग होता है बीजों को बिना जुताई की बोन वाली मशीनो से बो दिया जाता है। इस खेती को पर्या मित्र कर मान कर सरकार का समर्थन है।
बिना जुताई की जैविक खेती (No Till organic farming )
इस खेती को भी अमेरिका में रोडलस इंस्टिट्यूट ने विकसित किया है जिसे छोटे ट्रैक्टरों के माध्यम से किया जाता है जिसमे एक क्रिम्पर रोलर और जीरो टिलेज सीड ड्रिल लगी रहती है। रोलर खरपतवारों को जमीन पर सुला देता है और ड्रिल बीजों को बो देती है। यह असिंचित खेती में बहुत उपयोगी सिद्ध हो रही है।
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