(जैव विविधता संरक्षण और आजीविका सुधार )
जलवाऊ परवर्तन को थामने वाली खेती
(ऋषि खेती )
कड़कनाथ से क्रॉस चूजे |
हरियाली का सीधा सम्बन्ध हमारी जलवायु से है हरियाली है तो जलवायु चक्र जिसमे गर्मी ,बरसात और ठण्ड सामान्य रहते हैं। हजारों सालो से हम इसका लुत्फ़ उठाते रहे हैं किन्तु गैरपर्यावरणीय विकास के कारण अब हरियाली तेजी से नस्ट होने लगी है जिसमे गैर कुदरती खेती का सबसे बड़ा हाथ है। इसलिए जलवायु परिवर्तन की समस्या सबसे बड़ी समस्या बन गयी है।
पिछले दो सालों में उत्तराखंड और कश्मीर जैसे सबसे हरे भरे इलाकों में इस समस्या ने जो कहर दिखाया है वह बहुत ही भयानक है जिसकी कल्पना मात्र से हम डर जाते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है की ऐसे अनेक खतरे हमारे ऊपर मंडराने लगे हैं।
एक जमाना था जब हम सब हरे भरे वनो के मध्य सुख से रहते थे जहाँ जंगली जानवर और हमारे बीच रहन सहन में एक संतुलन स्थापित था। सब एक दुसरे के पूरक थे। किन्तु उस समय हम अविकसित कहलाते थे और जो इन जंगलों से निकल कर बिजली और पेट्रोलियम के सहारे जिंदगी जी रहे थे विकसित कहलाते थे इसलिए आज भी असली विकास क्या है ? हम लोगों को नहीं मालूम है।
अब खेती और जंगल दो अलग अलग स्थान हो गए हैं इन भूभागों के बीच तार की बाड़ लगा दी गयी है जैसे
पाकिस्तान और हिन्दुस्तान के बीच लगी है। हमे इस बागड़ को खत्म करना है।
हमे खेती और जंगलों के बीच वही समन्वय स्थापित करना है जैसा पहले था। इसके लिए हमे ऐसी खेती को अपनानां होगा जो कुदरती जंगलों के सिधान्तो पर आधारित हो। जंगलों में भी खेती हो रही है वहां जंगली पेड़ और जंगली पेड़ों की सुरक्षा की जाती है वह भी स्मार्ट खेती है फर्क ये है की उसमे गेंहूँ ,चावल ,दूध ,फलों आदि की खेती नहीं होती जिसके हम अपने खेतों में जंगलों की तरह गेंहूँ ,चावल ,फल ,दूध आदि पैदा करने लगें तो हमारे खेत भी जंगलों की तरह स्मार्ट हो जायेंगे और हमे जंगलों में पिकनिक मनाने जाने की जरुरत नहीं रहेगी। लोग हमारे खेतों में आने लगेंगे।
बीजों की सीधे बुआई |
बकरी और अनाज की खेती एक साथ संभव है। |
पेराघास को सुलाकर बीजों की बोनी |
ऋषि खेती जिसे हम २८ सालों से कर रहे हैं ये ऐसी ही स्मार्ट खेती है इसमें जंगलों की तरह जुताई ,खाद दवाईयों ,की कोई जरुरत नहीं है। यहाँ जंगलों की माफिक किसी भी वनस्पति को खरपतवार नहीं समझा जाता है। हर उस जीव जंतु ,कीड़े मकोड़े ,पेड़ पौधे की इसमें सुरक्षा की जाती है जिसे कुदरत उसे यहाँ भेजती है।
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