Friday, November 21, 2014

कार्यशाला का असर

 कार्यशाला का असर 
Biodiversity and Human Well Being : Towards Landscape Approach
जैव विविधता और लोक कल्याण : कुदरती स्थलों की भूमिका 

Organised by

Madhya Pradesh Forest Department


In collaboration with

Wildlife Institute of India, Dehradun

Under the aegis of

The World Bank

assisted

Biodiversity Conservation and Livelihood Improvement Project 
(BCRLIP )
जैवविविधता संरक्षण और आजीविका सुधार योजना 

on 17 To 19 November 2014

at Pachmari, Madhya Pradas
            "कुदरत तब बचाती है जब हम कुदरत को बचाते हैं "

भूमिका 


 कुदरती विविधताओं का संरक्षण विकास की पहली सीढ़ी है। इसकी मांग सबसे अधिक सबसे अधिक विकसित कुदरती संरक्षित छेत्रों  के पास देखी जा रही है। वन विभाग ने अपनी अनेक योजनाओं के माध्यम से स्थानीय लोगों की आजीविका को चलाने में महारथ हासिल की है।  जिसके विस्तार की अब आवश्यकता है।  

इसी उदेश्य को लेकर भारत सरकार का पर्यावरण मंत्रालय और म. प्र. का वन विभाग अनेक स्व सेवी संस्थाओं ,ग्रामीण लोगों  की सहभागिता से 
जैव विविधता संरक्षण और आजीविका योजना को लागू  करने जा रहा है। जिसकी यह पहली राष्ट्रीय कार्य शाला थी। 

जिसमे उत्तराखंड से 'अशोक ' गुजरात से 'गिर '  केरला से 'पेरियार ' तमिलनाडु से 'कालक्काड़ -मुंडनथुरई '  'आदि विकसित कुदरती छेत्र के अनेक लोगों ने भाग लेकर सफल कहानियों को प्रस्तुत किया। इस कार्य शाला का आयोजन सतपुड़ा टायगर रिज़र्व और पेंच रिज़र्व के माध्यम से किया गया था। 

मुझे भी कार्यशाला में सिरकत करने का अभूत पूर्व मौका मिला मेरा विषय ऋषि खेती था जिसे  हम अपने पारिवारिक फार्म में पिछले २८ सालों से कर रहे हैं। ऋषि खेती एक जैवविविध संरक्षित खेती है जिसमे आजीविका चलाने  के लिए एक आल इन वन कुदरती बगीचा बनाया गया है। जिसमे सुबबूल का जंगल है जिस से चारा ,जलाऊ लकड़ी ,अनाज ,सब्जिया ,दूध और देशी मुर्गी के अंडे प्राप्त होते हैं। 

ऋषि खेती में नींदा या खरपतवार नाम की कोई चीज नहीं है सभी भूमि पर पैदा होने वाली वनस्पतियों को संरक्षित कर उनके सहारे से फसलों  का उत्पादन किया जाता है।  इसमें बीमारियों का कभी कोई प्रकोप नहीं रहता है इसलिए कीड़ों को मारने का कोई काम नहीं है। 

इसमें अधिकतर काम हाथों से किया जाता है बीजों को बोने से पहले  क्ले (कीचड वाली मिट्टी ) में मिलाकर बीज गोलियां बना ली जाती है। क्ले बहुत ताकतवर जैव-विविधता वाली मिट्टी  रहती है। इसमें जमीन को उर्वरक ,पानीदार और पोरस बनाने वाले असंख्य सूख्स्म जीवाणु रहते है।

जुताई नहीं करने से और जमीन पर वनस्पतियों के कवर के रहने से एक और जहाँ भूमि छरण पूरी तरह रुक जाता है वहीं बरसात का जल जमीन में अवशोषित हो  जाता है। 

ऋषि खेत  शतप्रतिशत संरक्षित कुदरती वनो की तरह काम करते हैं। ये एक और जहाँ जैवविविधताओं को संरक्षण प्रदान करते हैं ग्लोबल वार्मिंग  से निजात दिलाते हैं ,ग्रीन हॉउस गैस को सोख कर उसे जैविक खाद में तब्दील करते हैं ,मौसम परिवर्तन को नियंत्रित करने में सहयोग प्रदान करते हैं। वहीं आजीविका का सर्वोत्तम उपाय हैं। 

ऋषि खेती के सभी उत्पाद कुदरती की श्रेणी में आते हैं जिनकी  मांग ऊंची कीमत पर उपलब्ध है।  फल ,दूध, अंडे ,सब्जी ,अनाज कैंसर जैसी बीमारी को ठीक करने की दवाई है ये जंगली उत्पादों के साथ खरीदे और बेचे जाते हैं। किसी भी जुताई आधारित खेती से इन उत्पादों की तुलना नहीं हो सकती है क्योंकि  वे बहुत कमजोर होते हैं। 

इस कार्यशाला से ऋषि खेती को बहुत सम्मान मिला है अनेक अधिकारी गण ,स्वं सेवी संस्था के लोग इसे देखने आ रहे हैं। 
जैविक खेती के विशेषज्ञ डॉ ठाकरे जी जो छिंदवाड़ा  से पधारे थे ने कहा की "ऋषि खेती असली जैविक खेती है "  वाइल्ड लाइफ के विशेषज्ञ  श्री असीम श्रीवास्तवजी ने इसे अभूतपूर्व कहकर हमे आशीर्वाद दिया उसी प्रकार तमिलनाडु और केरल से पधारे अधिकारीगण ने इस ऋषि खेती योजना को अपने छेत्र में लागू करवाने  के लिए हमे आमंत्रित किया है। 
सतपुरा टायगर रिज़र्व के अधिकारी श्री मिश्रजी ने कहा की हम इसे निरंतर देखते रहेंगे इसे एक रेसोर्से सेंटर बनाएंगे। 

इस प्रकार यह कार्यशाला ऋषि खेती के लिए एक मील का पत्थर साबित हुई है कार्यशाला और प्रोजेक्ट मुख्य अधिकारी श्री जितेंद्र अग्रवालजी ने कहा ऋषि खेती को अब किसी की बैसाखी की जरुरत नहीं है क्योंकि यह जैवविविधता संरक्षित लोककल्याण की योजना बन गयी है। 

वन विभाग के प्रधान वन संरक्षक श्री अहमद इकबाल साहब ऋषि खेती योजना को ग्रामीण आजीविका के लिए हर सतर पर लागू करवाना  चाहते हैं जिस से  आँखों से नहीं दिखाई देने वाले सूख्स्म जीवाणु से लेकर देश के बड़े से लोगों का संवर्धन  हो जाये। 

सतपुरा टायगर रिज़र्व के श्री आर पी सिंह साहब जिनके कन्धों पर इस कार्य शाला का भार था उन्होंने कहा है हम ऋषि खेती योजना को जैवविविधता संरक्षण और ग्रामीण आजीविका के लिए बहुत महत्व देते हैं किसानो को इस फार्म में प्रशिक्षण दिलवायेंगे। 

इस अभूतपूर्व समर्थन और सहयोग के लिए टाइटस ऋषि खेती फार्म आप सभी का आभारी है और कार्यशाला में बुलाने के लिए आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद देता है। 

ऋषि खेती एक निजी योजना है जिसका प्रशिक्षण निशुल्क है। 
आने जाने ,ठहरने ,खाने का प्रबंध प्रशिक्षार्थी स्वं उठाते हैं।  

राजू टाइटस 
ऋषि खेती फार्म होशंगाबाद। म.प्र. 461001 
9179738049 rajuktitus@gmail.com









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