Friday, September 12, 2014

Floods : Reason and solution.

बाढ़ : कारण एवं निवारण 
ज कल पिछले अनेक सालों  से बदल फटने जैसी अनेक वारदातें देखने को मिल रही हैं। बरसात अनियमित हो गयी है कहीं बहुत तेज बारिश होती है तो कहीं बारिश होती ही नहीं हैं। इस समस्या  के पीछे एक मूल कारण है  वह बरसात के  पानी का जमीन के द्वारा सोखा नहीं जाना है।

बरसात के  पानी को जमीन में सोखने के लिए जमीन को बिना जुताई की होना आवशयक है इसके साथ उसमे हरियाली का होना भी आवशयक है।  इसलिए हम कह सकते हैं आज कल फसलों के उत्पादन के लिए  की जा रही जमीन की जुताई का इस में सबसे बड़ा दोष है।

अधिकतर लोग सोचते हैं की बरसात बादलों के माध्यम से आसमान से आती है किन्तु बादलों के निर्माण में भूमिगत जल की अहम भूमिका रहती है  बदल बन कर बरसता है।  बादलों के  बरसने  के लिए हरयाली का होना अति आवशयक है। हरियाली की कमी के कारण एक और जहाँ बरसात का समान वितरण नहीं होता है वहीँ बरसात का पानी जमीन में सोखा भी नहीं जाता है। इसलिए यह जरूरी है की पूरी धरती पर हरियाली सामान रूप से वितरित रहे।


हम लोगों ने शहरों ,जंगलों और खेती के लिए जमीनो को अलग अलग कर दिया है इसलिए बरसात का वितरण  नहीं रहता है बहुत तेज बारिश पहाड़ों के ऊपर हो जाती है जिस से एक और हरे भरे पहाड़  अब टूट टूट कर गिर रहे हैं। पिछले साल उत्तराखंड में और इस साल जम्मू -कश्मीर में आयी भीषण बाढ़ का यही मूल कारण है जिस बरसात को पूरे देश में समान रूप से वितरित होना था वह तेजी से एक स्थान पर हो गयी थी।
https://www.youtube.com/watch?v=q1aR5OLgcc0&feature=player_detailpage
यह समस्या केवल हमारे देश में नहीं वरन यह पूरे विश्व की समस्या है। हम Setelite की मदद से देखें तो तो हमे समुद्र और रेगिस्तान के आलावा सबसे बड़ा भू भाग हरियाली विहीन जोते गए खेतों का नजर आएगा। इन भूभागों से बरसात का पानी जमीन के अंदर नहीं जाता है।

जुताई करने से खेतों की मिट्टी बारीक हो जाती है वह बरसात के पानी को जमीन में भीतर नहीं जाने देती है। पानी बह  जाता है जो अपने साथ  हरियाली के लिए जरूरी खाद को भी बहा कर ले जाता है। इसलिए खेत हरियाली विहीन भूखे और प्यासे रह जाते हैं। दुनिया भर में तेजी से पनप रहे मरुस्थलों के  कारण है।

इसलिए यदि हम चाहते हैं हमे समान रूप से नियमित बरसात मिले जिस से सूखे और बाढ़ की हालत में सुधार आये तो हमे फसलों उत्पादन के लिए की जा रही जमीन की जुताई बंद करना होगा और बिना जुताई की खेती को करना होगा।

बिना जुताई की खेती अनेक प्रकारों से संभव है १- ऋषि खेती २- बिना जुताई की कंजरवेटिव खेती ३- बिना जुताई की जैविक खेती आदि।

ऋषि खेती करना सबसे आसान है इसमें बीजों को  जमीन पर मिट्टी की बीज गोलियों बनाकर फेंकने भर से खेती संपन्न हो जाती है। इस विधि से हम एक और जहाँ अपनी खाद्य समस्या पर काबू कर सकते हैं वहीँ  हम बाढ़ और सूखे से भी बच सकते हैं। इसमें सिंचाई ,रसायनो और मशीनो की कोई जरुरत नहीं रहती है। यह पेड़ों के साथ भी की जाती है।
https://www.youtube.com/watch?v=5_5eoUojVpI&feature=player_detailpage

बिना जुताई की कंजरवेटिव  खेती भारी मशीनो ,रसायनो  के बल पर की जाती है।
www.youtube.com/watch?v=OqU0k_m6qAo



बिना जुताई की जैविक खेती भी भारी मशीनो के बल पर संपन्न हो रही है किन्तु यह असिंचित बंपर उत्पादन के लिए उत्तम है।
www.youtube.com/watch?v=Aiocr_icrfw

हरियाली का सबसे अधिक नुक्सान जुताई आधारित खेती करने के कारण हो रहा है इसलिए हम सूखे और बाढ़ जैसी आपदाओं में फंस गए हैं। बिना जुताई की खेती (No Till Farming ) इस समस्या को जड़ से खत्म करने का वायदा करती है।



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