हरियाली है जहाँ खुशहाली वहां हैं.
सूखे से निपटने की योजना
No Till Organic Farming (बिना -जुताई की कुदरती खेती )
नागेन्द्र नर्मदा नेचरल फॉर्म कुर्सी थापा गॉंव पिपरिया होशंगाबाद म. प्र.
ग्लोबल वार्मिंग ,मौसम परिवर्तन ,ग्रीन हॉउस गैस उतसर्जन् को थामना
जलप्रबंधन और जैव -विविधताओं का संरक्षण, किसान को आत्म निर्भर बनाना ,कुदरती बीज और आहार उपलब्ध करना आदि।
ये कैसा विकास है जिसमे वन विभाग पेड़ लगा रहा है और किसान पेड़ों को उखाड कर चाँवल के खेत बनाकर उन्हें रेगिस्तान बनाकर छोड़ता जा रहा है।
महोदय ,
गहरी जुताई और रसायनों के बल पर चल रही खेती एक ओर जहाँ खाद्य सुरक्षा के लिए जरूरी है वहीं इसके चलते भूमि ,जल और जैव -विविधता का बहुत छरण हो रहा है। इस से हमारा पर्यावरण बहुत दूषित हो रहा है। एक ओर जहाँ किसानो की आजीविका प्रभावित हो रही है वही हरियाली का सँकट पैदा हो गया है। कुदरती आहार ,पानी और जलाऊ लकड़ी नहीं मिल रहा है।
इसी समस्या के निवारण हेतु टाइटस नेचरल फॉर्म ( मो -9179738049 ) पिछले २७ सालों से बिना -जुताई की कुदरती खेती जो एक पर्यावरणीय खेती है के रिसोर्स सेंटर के रूप में कार्यरत है जिस से प्रेरणा लेकर श्रीमती चांदनी सिन्हा जी ने ग्रांम कुर्सी थापा पिपरिया मे निजी जमींन पर इस आशय का फार्म तैयार किया है। जिसका उदेश्य आस पास के गांव के लोगों को बिना जुताई की कुदरती खेती करके दिखाना है।
इस से निम्न लाभ अपेक्षित हैं।
१- हरियाली को बढ़ाना।
२- ग्रामीण महिलाओं और बच्चों को खेती से जोड़ना।
३-सीड बॉल बनाकर आर्थिक लाभ दिलवाना।
४- कुदरती बीजों और आहार क़े विकृय से लाभ दिलवाना।
५- जहरीले कृषि रसायनो का त्याग करना।
६ -बिजली और डीजल की बचत करना।
७-बकरी और देशी मुर्गी पालन को बढ़ावा देना।
८-अनाज ,सब्जी ,ईंधन में आत्म निर्भरता हासिल करना।
बिना जुताई की खेती को करने का तरीका
यह खेती बिना जुताई ,खाद ,निंदाई ,दवाइयों, मशीनो और सिंचाई के की जाती है इस क़ो करने के लिए गांव के आस पास से क्ले (कपे वाली मिट्टी ) को इकठ्ठा किया जाता है इस मिट्टी और बीजो को मिलाकर सीड बाल बनायी जातीं हैं जिन्हे सीधे बरसात के मौसम में खेतोँ में छिड़क दिया जाता है। सभी प्रकार के बीजों के लिए केवल यही तकनीक काम में लाई जातीं हैं। क्ले जिसमे असंख्यं सूख्स्म जीवाणु और लाभप्रद कीड़ो के अंडे आदि रहते हैँ यह ज़मीन को नत्रजन के अलावा अनेक पोषक तत्व प्रदान करते है। खरपतवार आदि को मारा नहीं जाता किँतु उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाती है। खरपतवार और अनेक जीवजन्तु ,सूक्ष्म जीवाणु मिलकर खेत को गहराई तक ताकतवर और नम बनाते हैं।
बिना जुताई की खेती का आविष्कार जापान की जग प्रसिद्ध सुक्ष्म जीवाणु विशेषज्ञ स्व. मस्नोबू फ़ूओकाजी ने किया हैं। उनकी किताब "दी वन स्ट्रॉ रिवोलुशन " पूरी दुनिया में अनेक भाषाओं में पढ़ी जाती है। भारत में यह किताब अनेक प्रादेशिक भाषाओं मे उपलब्ध हैं। अमेरिका ,अफ्रीका ,भारत ,ग्रीस ,फ़िलिपीन आदि देशों में इसके अनेक फार्म बन गए है और बनते जा रहे हैं। भारत में पंजाब ,महाराष्ट्र ,उड़ीसा ,कर्णाटक ,गुजरात , तमिलनाडु आदि प्रदेशों में इसके फ़ार्म बन गये हैँ तथा बनते जा रहे हैं।
निवेदन
महोदय बिना जुताई की खेती एक कार्बन सेविंग योजना है जिसे क़ृषि एवं पर्यावरण संरक्षण योजनाओ का कोई लाभ उपलबध नही हैं इसलिए इसे भरपूर कार्बन सेविंग अनुदान दिलवाया जाये जिस से इस महत्व पूर्ण योजना का विकास हो सके और अन्य किसान भी इसे अपनाकर अपने को और अपने पर्यावरण को समृद्ध कर सकें।
धन्यवाद
श्रीमती चांदनी सिन्हा
नागेन्द्र नर्मदा नेचरल फॉर्म
कुर्सी थापा
पिपरिया
मो -9711466466
बिना जुताई की खेती का आविष्कार जापान की जग प्रसिद्ध सुक्ष्म जीवाणु विशेषज्ञ स्व. मस्नोबू फ़ूओकाजी ने किया हैं। उनकी किताब "दी वन स्ट्रॉ रिवोलुशन " पूरी दुनिया में अनेक भाषाओं में पढ़ी जाती है। भारत में यह किताब अनेक प्रादेशिक भाषाओं मे उपलब्ध हैं। अमेरिका ,अफ्रीका ,भारत ,ग्रीस ,फ़िलिपीन आदि देशों में इसके अनेक फार्म बन गए है और बनते जा रहे हैं। भारत में पंजाब ,महाराष्ट्र ,उड़ीसा ,कर्णाटक ,गुजरात , तमिलनाडु आदि प्रदेशों में इसके फ़ार्म बन गये हैँ तथा बनते जा रहे हैं।
कुर्सी थापा गांव में किसान बीज गोलियां बना रहे हैं। |
निवेदन
क्ले की बीज गोलियां सूखे को बर्दाश्त कर लेती हैं कम पानी में भी खेती हो जाती है |
महोदय बिना जुताई की खेती एक कार्बन सेविंग योजना है जिसे क़ृषि एवं पर्यावरण संरक्षण योजनाओ का कोई लाभ उपलबध नही हैं इसलिए इसे भरपूर कार्बन सेविंग अनुदान दिलवाया जाये जिस से इस महत्व पूर्ण योजना का विकास हो सके और अन्य किसान भी इसे अपनाकर अपने को और अपने पर्यावरण को समृद्ध कर सकें।
धन्यवाद
श्रीमती चांदनी सिन्हा
नागेन्द्र नर्मदा नेचरल फॉर्म
कुर्सी थापा
पिपरिया
मो -9711466466
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