Monday, July 7, 2014

Letter to Devender sharmiji (Expert food security)

श्री देवेन्द्र शर्मा जी
लोकसभा टीवी कार्यक्रम आमने  सामने 7 जुलाई 2014
विषय :- खेती किसानी
मान्यवर
नमस्कार
मै आज इस वार्ता को सुन रहा था जिसमे आपने बखूबी किसानो कि दुर्दशा का ज़ो विवरण  प्रस्तुत्त किया है वह सच में बहुत भयावय हैं। इस से ऐसा प्रतीत होता है की अभी तक सरकारों ने खेती किसानी की लिये कुछ भी नहीं किया है। किन्तु हम ये देख रहे हैं कि कांग्रेस हो या भाजपा दोनों ने खेती किसानी के लिए बहुत कुछ किया हैं और करते जा  रहे हैँ अफ़सोस इस बात का है कि सरकार किसानों के" फटे झोले" में पैसा ङाल  रही है जो गिरता जा रहा है।

समतलीकरण ,खाद ,बीज ,जुताई, सिंचाई से लेकर अनाजों की खरीदी तक  में अंधाधुन्द अनुदान दिया जा रहा है। फिर भी किसानो की माली हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा है। ये" फटा झोला" है जमीन कि जुताई (Tilling ) जिसे कृषि वैज्ञानिकों से लेकर सरकार और  विषेशज्ञ भी नजर अंदाज  कर रहे हैं। हम पिछले २७ सालो से भी अधिक समय से बिना जुताई की कुदरती खेती  कर रहे हैं। जो  पूरी तरह आत्म निर्भर है। हम डीज़ल ,,रासायनिक उर्वरकों ,कीट और खरपतवार नाशकों के उपयोग नही करते हैँ।
 जुताई आधारित कोई भी खेती चाहे वह रसायनो का उपयोग करती है या नहीं टिकाऊ नही हैं।

जुताई करने से हर साल प्रति एकड़ १० से १५ टन जैविक खाद खेतों से बह जाती हैं। ये कहाँ की बुद्धिमानी है क़ी  पहले आप अपने  खेत की खाद को बहा  दें  फिऱ "और दो और दो चिल्लाएं " इसलिए जितने भी करोड़ आप इस " फटे झोले" मे डालेंगें वह नीचे से निकलता जायगा।

इसलिए हमारा निवेदन है कि सरकार को अब" बिना जुताई " की  खेती को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठाने की जरुरत है। बिना जुताई की खेती एक मात्र टिकाऊ खेती हैं जो जैविक खाद और जल का संरक्षण करतीं हैं। जब तक किसान अपने खेत की जैविक खाद को बहने से नही रोकता उसके खेत  बंजर  बनते रहेँगे और वे कंगाल होते रहेंगे।
धन्यवाद
राजू टाइटस
ऋषि खेती किसान
rajuktitus@gmail.com

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