Tuesday, March 12, 2013

भारत में नदियों का प्रदुषण चरम सीमा पर है। POLLUTION OF RIVERS

भारत में नदियों का प्रदुषण चरम सीमा पर है।
          हमारे देश में बढ़ते शहरी करण और उधोगधन्दों के कारण नदियों का पानी अब प्रदुषण की सब सीमायें लाँघ चुका है।आज राज्य सभा में इस विषय पर बड़ी गरमा गरम बहस हुई जिसके अंत में माननीय पर्यावरण मंत्री महोदया जयंती नटराजन जी ने जवाब देते हुए बताया की ये सच है की अभी तक नदियों के प्रदुषण को रोकने के लिए जितने भी प्लान बनाये गए सब नाकाम हुए हैं।  प्रदुषण कम होने की बजाये बढ़ा है।
Pollution of the Indian rivers is beyond our imagination. This is informed by our environment minister Jaynthi Natrajan. She told that all plans to protect rivers from pollution are failed. The polution instead of reduction is increased.
उन्होंने बताया की जितने भी गंदे नाले देहली से निकलते है सब यमुना जी में गिरते हैं जहाँ यमुनाजी पूरी सूखी हैं। जिस पानी में लोग पवित्र स्नान करते हैं यमुना जी की पूजा करते हैं वह पानी दिल्ली वासियों के घरों से निकलने वाला गन्दा पानी है. उन्होंने बताया की कुल गन्दा पानी जो नदियों में मिलता है उसका अस्सी प्रतिशत पानी हमारे घरों से जाता है और बीस प्रतिशत पानी उधोगो से जाता है।
She informed that Yamuna river is dead the water in river is sewage.

उन्होंने यह भी बताया की गंदे पानी को साफ़ करने के लिए जो प्लांट लगाये हैं वे सब शो पीस हैं उनमे गंदे पानी को जोड़ा ही नहीं गया है जहाँ जोड़ा गया है वे काम नहीं कर रहे हैं उनमे या तो कर्मचारी नहीं हैं या बिजली की समस्या है। इस के अलावा एक बड़ी महत्वपूर्ण बात उन्होंने कही वह यह है की यदि पानी साफ़ हो जाता है तो भी वह पानी नदियों में छोड़ने लायक नहीं रहता है।
She also informed that all sewage treatment plants are showpiece. They are not connected properly nor are in working condition.

इसका ये मतलब है की आज तक हमने जो विकास किया है वह विनाश ही रहा है। सबसे बड़ी बात इस बहस में ये रही की इस में हरित क्रांति के श्री स्वामीनाथन जी भी मोजूद थे। इस बहस में कृषि रसायनों से होने वाले प्रदुषण का कहीं भी कोई जिक्र नहीं है।
The founder of green revolution Dr Swaminathan M.P. of Rajy sabha was also present in the debate.He could said any thing about the pollution of Agriculture. This shows that our development going in to revers direction.

कुल मिलाकर ये बहस बे नतीजा ही रही मंत्री महोदया एक ओर  करोड़ों रूपए का बजट नदियों को साफ करने के लिए रखे जाने की जानकारी दे रही थीं वही वे कह रही थीं की  इस बजट का जब तक सही उपयोग नहीं होगा जब तक हम लोग जाग्रत नहीं होते हमें स्वं अपने घरों से निकलने वाले पानी को गन्दा नहीं करना है यदि गन्दा होता है तो उसे व्यग्तिगत या सामूहिक तरीकों से साफ करने के लिए अभियान चलाना होगा।

She told that although Govt. of India giving lot of money for pollution control but is only be succeed when we are all realize and stop pollution in our houses. She explained that 80% pollution is domestic only 20 % is industrial.. 
विगत दिनों मुझे यमुना नगर में यमुना बचाओ अभियान के तहत कुदरती खेती के किसान के रूप में कुदरती खेती को सिखाने के उदेश्य से आमंत्रित किया गया था। जिसमे  अधिकतर किसान थे जो यमुनाजी के किनारे खेती कर रहे हैं।

Last time I was invited as expert in the conference of River friends in the Yamuna nager which was on River saving. I was invited as Natural farmer and mostly participants are farmers doing farming in the coastal area of the river Yamuna. 

हमारा विषय सूखती यमुना जी को बचाने पर आधारित था। हमारा मानना ये है की खेती करने के लिए की जा रही जमीन की जुताई और रसायनों के अंधाधुन्द उपयोग के कारण नदियों के सूखने और प्रदूषित होने की समस्या सब से अधिक है।
My subject was to protect river from drying. We believe that tilling in farming is responsible for drying and pollution.

खेती करने के लिए जब जमीन की जुताई की जाती है तब बरसात का पानी जमीन में अवशोषित नहीं होता है वह तेजी से बहता है अपने साथ जैविक खाद को भी बहा कर ले जाता है। इस लिए रसायनों का अंधाधुन्द उपयोग होता है। नदी सूख जाती है और उनमे रसायनों का जहर मिल जाता है।
When we till the land ,  rain water do not absorbed by soil it flow fast and washed organics of the soil.  soil could not produce without hazardous chemicals river become dry and polluted.

बिना जुताई की कुदरती खेती करने से बरसात का पानी जमीन के द्वारा सोख लिया जाता है जिस से नदियों को पानी मिलता है और रासायनिक प्रदुषण रुक जाता है। कुदरती आहार हमारे शरीर और दिमाग को स्वस्थ रखता है। ऐसी परिस्थति में हम अपनी मां समान नदियों की रक्षा कर सकते हैं।
No till natural farming allow rain water to absorbed by soil and is free from chemicals. Rivers remain intact with water and free from pollution. Natural food keep our self fit for protection of the rivers.
हमें अफ़सोस है हमारी पर्यावरण मंत्री और हरित क्रांति के प्रणेता स्वामीनाथन जी इस विषय पर कुछ भी नहीं बोले.
With sorrow I want say that our environment minister and Dr Swaminathan could not speak on this issue. They must read "One Straw Revolution".


जब फुकुओका जी यहाँ आये थे तो कह रहे थे की नदियों में पानी नहीं रहेगा तो बरसात भी नहीं होगी. आज अनेक साधू संत सरकार से नदियों को बचाने के लिए आग्रह कर रहे हैं उन्हें किसानो को कुदरती खेती करने के लिए कहना चाहिए। बिना जुताई की कुदरती खेती के बिना हम नदियों को नहीं बचा सकते है।





2 comments:

Anonymous said...

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Merikheti said...


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