Thursday, March 28, 2013

Foreigners are coming to learn Rishi-kheti (Natural farming)ऋषि खेती सीखने आ रहे विदेशी

ऋषि खेती सीखने आ रहे विदेशी
Foreigners are coming to learn Rishi-kheti (Natural farming)
    होशंगाबाद की ऋषि खेती ने अब दुनिया भर में अपनी पहचान बना ली है।
 Rishi kheti has made its identity in world.
इसी लिए न केवल  भारत के अनेकों प्रान्तों से वरन विदेशों से भी लोग इसे सीखने ऋषि खेती फार्म खोजनपुर में पधार रहे हैं।
Therefore not only from India but from abroad people coming to see Rishi kheti.
 ऋषि खेती रासायनिक जहरों और आयातित तेल के बिना की जाने वाली कुदरती खेती है।
 Rishi kheti  to be done by without poisonous chemicals and without imported oil.
यह खेती जुताई ,दवाई,निंदाई के बिना की जाती है।
 This is done by zero tillage, and without killing of weeds and insects.
 इस को करने से एक और जहाँ अस्सी प्रतिशत खर्च में कमी आती है वहीँ खाद्यों के स्वाद और रोग निवारण की छमता में अत्यधिक विकास होता है
 This farming consumes 80% less expenditure. Food is having anti disease property with very good taste.
 जिसको खाने मात्र से केंसर जैसे असाध्य रोग ठीक हो जाते हैं।
 Incurable disease as cancer be cured by natural food.

Navduniya Hindi news paper


आज कल ट्रेक्टरों की गहरी जुताई और रसायनों से की जाने वाली खेती से एक और जहाँ खेत उतरते जा रहे हैं. Farm lands are dying due to deep plowing and poisonous chemicals.   खाद्यानो में जहर घुल रहा है. Food is becoming poisonous. जिस से महिलाओं और बच्चों में कुपोषण की समस्या पनप रही है। Malnutrition is common in ladies and children केंसर की बीमारी आम होने लगी है। Disease of cancer is common.जबकि ऋषि खेती उत्पादों से इसके विपरीत परिणाम आ रहे हैं।Whereas rishi kheti  curing   ऋषि खेती पेड़ों के साथ की जाने वाली खेती है। Rishi kheti is done with trees hence harvesting air and water as well.  इस में पेड़ और अनाज एक दुसरे के पूरक रहते हैं। Trees and grain cops are friends.
दायें से मक्स और मिग फ़्रांस से पधारे हैं।
Max and Mig with Farm helpers.

जबकि ट्रेक्टरों से की जाने वाली जुताई में पेड़ दुश्मन माने जाते हैं Whereas trees are enemy in farming done by tillage and chemicals.जिस से मरुस्थल पनप रहे हैं। Are responsible for deserts, ग्लोबल वार्मिंग Global warming , ,मोसम परिवर्तन ,climate change,सूखा drougtsऔर and floodsबाढ़ आम हो गया है। ऋषि खेती वाटर हार्वेस्टिंग का काम करती है Water do not absorbed by farming based on tilling whereas Rishi kheti absorbed most of the rain water.जबकि जुताई वाली खेती से पानी जमीन में नहीं जाता है वह खेत की कुदरती  खाद को भी बहा कर ले जाता है।
ऋषि खेती भारतीय संस्कृति के अनुसार की जाने वाली खेती है। Rishi kheti is a Indian traditional way of farming.

राम जी बाबा होशंगाबाद
Ramji Baba 

ऋषि मुनि जंगलों में निवास करते हुए कुदरती खान पान से हजारों साल जीते हैं Our rishis were living long life in jungle.  आज भी उनके ज्ञान से हम बचे हैं। India is saved by the knowledge of rishis.ऋषि पंचमी  के पर्व में जुताई के बिना उपजे अनाज खाने की परंपरा है।In the festival of rishi panchami  many people eating natural food.होशंगाबाद के रामजी बाबा किसान थे हल चलने से होने वाली हिंसा ने उन्हें झकझोर दिया था इसी लिए वे ऋषि बन गए थे। उनकी याद में हर साल यहाँ मेला लगता है। Ramji baba of Hoshangabad was farmer but he stopped tilling due to realization of violence. Fair is held in his memory.
मक्स और मिग फ़्रांस में कृषि की पढ़ाई कर रहे हैं। Max and Mig are studying Agriculture in France are came in Titus Rishi kheti farm to learn.जब उन्हें ऋषि खेती के बारे में इंटरनेट से पता चला तो वे इसे सीखने यहाँ आ गए। इसे सीख कर वे अपने देश में इस के सहारे अच्छी नोकरी पा सकते हैं और खुद की खेती भी कर सकते हैं।They got information from Internet.

शालिनी एवं राजू टाइटस
Shalini and Raju Titus 

Tuesday, March 12, 2013

भारत में नदियों का प्रदुषण चरम सीमा पर है। POLLUTION OF RIVERS

भारत में नदियों का प्रदुषण चरम सीमा पर है।
          हमारे देश में बढ़ते शहरी करण और उधोगधन्दों के कारण नदियों का पानी अब प्रदुषण की सब सीमायें लाँघ चुका है।आज राज्य सभा में इस विषय पर बड़ी गरमा गरम बहस हुई जिसके अंत में माननीय पर्यावरण मंत्री महोदया जयंती नटराजन जी ने जवाब देते हुए बताया की ये सच है की अभी तक नदियों के प्रदुषण को रोकने के लिए जितने भी प्लान बनाये गए सब नाकाम हुए हैं।  प्रदुषण कम होने की बजाये बढ़ा है।
Pollution of the Indian rivers is beyond our imagination. This is informed by our environment minister Jaynthi Natrajan. She told that all plans to protect rivers from pollution are failed. The polution instead of reduction is increased.
उन्होंने बताया की जितने भी गंदे नाले देहली से निकलते है सब यमुना जी में गिरते हैं जहाँ यमुनाजी पूरी सूखी हैं। जिस पानी में लोग पवित्र स्नान करते हैं यमुना जी की पूजा करते हैं वह पानी दिल्ली वासियों के घरों से निकलने वाला गन्दा पानी है. उन्होंने बताया की कुल गन्दा पानी जो नदियों में मिलता है उसका अस्सी प्रतिशत पानी हमारे घरों से जाता है और बीस प्रतिशत पानी उधोगो से जाता है।
She informed that Yamuna river is dead the water in river is sewage.

उन्होंने यह भी बताया की गंदे पानी को साफ़ करने के लिए जो प्लांट लगाये हैं वे सब शो पीस हैं उनमे गंदे पानी को जोड़ा ही नहीं गया है जहाँ जोड़ा गया है वे काम नहीं कर रहे हैं उनमे या तो कर्मचारी नहीं हैं या बिजली की समस्या है। इस के अलावा एक बड़ी महत्वपूर्ण बात उन्होंने कही वह यह है की यदि पानी साफ़ हो जाता है तो भी वह पानी नदियों में छोड़ने लायक नहीं रहता है।
She also informed that all sewage treatment plants are showpiece. They are not connected properly nor are in working condition.

इसका ये मतलब है की आज तक हमने जो विकास किया है वह विनाश ही रहा है। सबसे बड़ी बात इस बहस में ये रही की इस में हरित क्रांति के श्री स्वामीनाथन जी भी मोजूद थे। इस बहस में कृषि रसायनों से होने वाले प्रदुषण का कहीं भी कोई जिक्र नहीं है।
The founder of green revolution Dr Swaminathan M.P. of Rajy sabha was also present in the debate.He could said any thing about the pollution of Agriculture. This shows that our development going in to revers direction.

कुल मिलाकर ये बहस बे नतीजा ही रही मंत्री महोदया एक ओर  करोड़ों रूपए का बजट नदियों को साफ करने के लिए रखे जाने की जानकारी दे रही थीं वही वे कह रही थीं की  इस बजट का जब तक सही उपयोग नहीं होगा जब तक हम लोग जाग्रत नहीं होते हमें स्वं अपने घरों से निकलने वाले पानी को गन्दा नहीं करना है यदि गन्दा होता है तो उसे व्यग्तिगत या सामूहिक तरीकों से साफ करने के लिए अभियान चलाना होगा।

She told that although Govt. of India giving lot of money for pollution control but is only be succeed when we are all realize and stop pollution in our houses. She explained that 80% pollution is domestic only 20 % is industrial.. 
विगत दिनों मुझे यमुना नगर में यमुना बचाओ अभियान के तहत कुदरती खेती के किसान के रूप में कुदरती खेती को सिखाने के उदेश्य से आमंत्रित किया गया था। जिसमे  अधिकतर किसान थे जो यमुनाजी के किनारे खेती कर रहे हैं।

Last time I was invited as expert in the conference of River friends in the Yamuna nager which was on River saving. I was invited as Natural farmer and mostly participants are farmers doing farming in the coastal area of the river Yamuna. 

हमारा विषय सूखती यमुना जी को बचाने पर आधारित था। हमारा मानना ये है की खेती करने के लिए की जा रही जमीन की जुताई और रसायनों के अंधाधुन्द उपयोग के कारण नदियों के सूखने और प्रदूषित होने की समस्या सब से अधिक है।
My subject was to protect river from drying. We believe that tilling in farming is responsible for drying and pollution.

खेती करने के लिए जब जमीन की जुताई की जाती है तब बरसात का पानी जमीन में अवशोषित नहीं होता है वह तेजी से बहता है अपने साथ जैविक खाद को भी बहा कर ले जाता है। इस लिए रसायनों का अंधाधुन्द उपयोग होता है। नदी सूख जाती है और उनमे रसायनों का जहर मिल जाता है।
When we till the land ,  rain water do not absorbed by soil it flow fast and washed organics of the soil.  soil could not produce without hazardous chemicals river become dry and polluted.

बिना जुताई की कुदरती खेती करने से बरसात का पानी जमीन के द्वारा सोख लिया जाता है जिस से नदियों को पानी मिलता है और रासायनिक प्रदुषण रुक जाता है। कुदरती आहार हमारे शरीर और दिमाग को स्वस्थ रखता है। ऐसी परिस्थति में हम अपनी मां समान नदियों की रक्षा कर सकते हैं।
No till natural farming allow rain water to absorbed by soil and is free from chemicals. Rivers remain intact with water and free from pollution. Natural food keep our self fit for protection of the rivers.
हमें अफ़सोस है हमारी पर्यावरण मंत्री और हरित क्रांति के प्रणेता स्वामीनाथन जी इस विषय पर कुछ भी नहीं बोले.
With sorrow I want say that our environment minister and Dr Swaminathan could not speak on this issue. They must read "One Straw Revolution".


जब फुकुओका जी यहाँ आये थे तो कह रहे थे की नदियों में पानी नहीं रहेगा तो बरसात भी नहीं होगी. आज अनेक साधू संत सरकार से नदियों को बचाने के लिए आग्रह कर रहे हैं उन्हें किसानो को कुदरती खेती करने के लिए कहना चाहिए। बिना जुताई की कुदरती खेती के बिना हम नदियों को नहीं बचा सकते है।





भारत की खाद्य सुरक्षा Food Security of India

भारत की खाद्य सुरक्षा
Food Security of India
हिलाओं में सत्तर प्रतिशत खून में कमी , पचास प्रतिशत बच्चों में कुपोषण ,हर दसवें घर में केंसर की दस्तक का खतरा ,अनेक नवजात बच्चों की मौत और अपंगता आदि अनेक समस्याएँ हैं और यदि ये आंकड़े जो समय समय पर सामाजिक संस्थाओं के द्वारा दिए जाते हैं सही हैं तो इसका मतलब है की हमें हमारे आहार के माध्यम से उचित मात्रा में पोषण नहीं मिल रहा है। यानि हम खाद्य असुरक्षित हैं।
महिलाओं में खून की कमी ANIMIYA

70% ladies suffering from anemia, 50% children suffering  from malnutrition, every house in ten is waiting for cancer, many newborn children are dying at the time of birth or born disable etc. If these figures which are reporting by many NGO's are true than it is sure that we are not getting proper nutrition through our food. We are not food secured.

कहने को तो यह कहा जाता है की हम इतना खाद्य पैदा कर लेते हैं जिस को रखने की जगह नहीं है ,पहले हम खाना आयात करते थे अब निर्यात करने लगे हैं। हर  साल बढ़ते क्रम में पैसा खेती किसानी में दिया जा रहा है जो  बजट का 60% से अधिक है। अनेक कृषि विश्व विद्यालय बनते जा रहे हैं जिनसे अनेक कृषि वैज्ञानिक तयार हो रहे है ,सिंचाई की व्यवस्था बढ़ायी जा रही है किसानो के हाथों में मनमाफिक खाद ,दवाएं ,बीज मुहया कराया जा रहा है। बिना ब्याज का कर्ज ,अनुदान और मुआवजों की कोई कमी नहीं है। बिजली और डीज़ल में सब्सिडी आदि अनेक सुविधाएँ किसानो को दी जा रही हैं ,फिर भी क्यों कुपोषण की समस्या है ?
No Room अनाज रखने की जगह नहीं है।

We say it is called that we are producing more than our stores , we were importing but are exporting  we are investing money in agriculture more than other commodity.loan without interest,subsidies,and compensation are easily available. Than why we are not getting nutritious food ?
ये एक गंभीर प्रश्न है की एक ओर  हम अपनी पूरी ताकत लगाकर  खाद्य पैदा कर रहे हैं और दूसरी ओर हमारी खाद्य सुरक्षा को खतरा दिन प्रति दिन बढ़ता जा रहा है। खेतों से खूब पैदा हो रहा है रखने की जगह नहीं है और हम भूखे हैं।
This is a very important question that we are producing more and more and dying in hunger.
इसका  असली कारण है की हमारे खेत जो हमारे लिए खाना उगाते हैं वे स्वं भूखे और कुपोषित हैं। उनमे पैदा होने वाली फसलें भी भूखी और कुपोषित रहती हैं इस लिए इन फसलों का सेवन करने से हम भी भूखे और कुपोषित हो जाते हैं।
Main reason of this is that our soil of farms which are producing food  are also hungry and
infertile.


इस समस्या का मूल कारण फसलो  को पैदा करने के लिए की जा रही जमीन की जुताई है. जमीन की जुताई करने से मिट्टी जो असली जैविक खाद है जिसमे अनेक प्रकार के पोषक तत्व रहते हैं बरसात में बह जाते हैं।
इन कुदरती पोषक तत्वों का निर्माण खेतों में रहने वाले असंख्य जीवजन्तु आदि करते हैं। जुताई करने से इन जीवजन्तु के घर मिट जाते हैं वे मर जाते हैं। इस लिए खेत भूखे और पोषकता विहीन हो जाते हैं।
Actually what happens when we till the land for cropping the living biodiversity which producing
nutrients for soil are dye and soil erode due to rain water. Soil remain weak.

जुताई किए बगेर बीजों को उगाने से बरसात के पानी का बहना रुक जाता है वह खेत में जहाँ का तहां सोख लिया जाता है इस से एक ओर जल संग्रह होता है वहीँ जैविक खाद का बहना पूरी तरह रुक जाता है। खेत कमजोर नहीं होते हैं उनकी ताकत हर मोसम बढती जाती है।
EARTHWORMS DYE DUE TO TILLING

Growing crops without tilling is having many advantages.  Rain water absorbed soil it recharge under ground waiter table and top soil which is full of organics saved from erosion. Many soil insects like earth worms etc. remain safe provide all nutrients.
HOUSES OF EARTHWORMS DESTROYS
हमारे खेतों की मिटटी के एक कण को जब हम सूक्ष्म दर्शी यंत्र से देखते हैं
तो उसमे अनेक सूक्ष्म जीवाणु औरअनेक केंचुओं ,चीटे ,चीटी आदि के अंडे दिखाई देते हैं। इसका मतलब मिट्टी जीवित है। जिसे जरा सा भी अस्त व्यस्त करने से वह मरने लगती है. जमीन की जुताई और रसायनों के उपयोग से मिट्टी की जैविकता पर गंभीर असर पड़ता है।
Soil is nothing but a group of microbes ,eggs of earthworms and many small insects. Little disturbance kill soil. we can see this through microscope.

 हरा  भूमि ढकाव जिसे हम खरपतवार कहते हैं इस जैवविविधता  को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
ये जैव विविधता है जो मिट्टी के पोषक तत्वों का निर्माण करती है जिस से जमीन उपजाऊ रहती है।
Green ground cover crops generally known as weed is play very important role in the protection of this biodiversity which is responsible for all essential nutrients of the soil.

ये असली जैविक खेती और कुदरती खेती का मन्त्र है ,जमीन की जुताई, रसायनों के उपयोग से ये जैविकता मर जाती है। जिस से मिट्टी भी मर जाती है जिस में गेरकुद्रती तरीको से फ़सलें पैदा तो हो जाती हैं पर वे कुपोषित रहती है जिनमे आसानी से बीमारियाँ लग जाती हैं। रासायनिक दवाएं जरुरी हो जाती हैं जिस से हमारा भोजन जहरीला हो जाता है।
This is the formula of true organic farming and natural farming. Tilling and use of chemicals kills this biodiversity of the soil. Growing unnatural crops is possible but they become sick. Pestisides become essential makes our food poisonous.

यही कारण है की अनाज तो खूब पैदा हो रहा है रखने की जगह नहीं है और हम सब भूके मर रहे हैं। ये गेर कुदरती आहार है इसमें स्वाद और गुणवत्ता की भारी कमी है। हरित क्रांति से पूर्व जब किसान परंपरागत खेती किसानी करते थे कमजोर होते खेतों को पुन : उपजाऊ बनाने के लिए पड़ती छोड़ देते थे। जिस से खेत खरपतवारों से ढँक जाते थे जिनमे जैव विविधताएँ पनप जाती थीं और खेत पुन: ताकतवर हो जाते थे। हजारों साल ये खेती टिकाऊ रही जिसे आधुनिक वैज्ञानिक खेती के मात्र कुछ सालों ने नस्ट कर दिया। हम कुदरती खाद्यों के संकट में फंस गए है।
This is the reason we are hungry where our grain stores are full. This unnatural food which is without taste and nutrition. Before green revolution of India traditional farmers were keeping land
untitled when it was found poor. Land become fertile by just do nothing. Natural green cover makes it fertile. Thousands of years this method remain sustainable but only few years of green revolution spoiled precious land. We are caught in to the danger of the food security.


 कुछ देशों में किसान इस सच्चाई को समझ गए हैं। उन्होंने बिना जुताई जैविक खेती को शुरू कर दिया है। वे अपने खेतों में खरपतवारों को बचाते हैं जिस से खेतों में जैव विविधताएँ पनप जाती हैं। फिर वहीँ खरपतवारों को सुला कर बीजों की बुआइ कर दी जाती है। हरी खरपतवारों के ढकाव में पानी अपने आप उपर आता है सिंचाई की भी जरुरत नहीं रहती है।

                                                        Some farmers realized this truth the started No Till organic farming.
                                                    

NO TILL ORGANIC FARMING
They protect weed cover for soil health and after crimping weeds they sow seeds in cover.Due to green cover natural irrigation system works no need of artificial irrigation. This method gives bumper crop.




आज हम दावे के साथ कह सकते हैं की भारत की खाद्य सुरक्षा के लिए इस से अच्छी और कोई तकनीक उपलब्ध नहीं है।
Today we can confidently say that India's food security is not possible without no till natural farming.
 इस का कारण ये है की हम भी सत्ताईस सालों से बिना जुताई की कुदरती खेती कर रहे हैं जिस का अविष्कार जापान के विश्व विख्यात कृषि वैज्ञानिक और कुदरती खेती के किसान ने किया है।
Because we are practicing it since last 27 years this method is developed by Masnobu Fukuoka of Japan.

Raju Titus 
Natural farmer of India. 

Thursday, March 7, 2013

SUSTAINABLE AGRICULTURE


SUSTAINABLE AGRICULTURE
 सदा-बहार खेती

सदा-बहार खेती उस खेती को कहा जाता है जिसमे उत्पादन बिना किसी बाहरी मदद के, कुदरत की ताकत से  बढ़ते क्रम में मिलता है, जिसमे भूमि-छरण ,जल का छरण और मिट्टी की समस्त जैव विविधताओं का छरण बिलकुल नहीं होता है।
Sustainable agriculture is a way of crop production in which production remains in ascending order without any external help, and without soil, water and biodiversity erosion.


फसलोत्पादन के लिए की जाने वाली जमीन की जुताई एक हिंसात्मक उपाय है इस से मिट्टी मर जाती है. 
Tilling and plowing of soil is violent way of agriculture is responsible for the death of soil.

बारीक बखरी मिट्टी बरसात के पानी  से कीचड में तब्दील हो जाती जिस से बरसात का पानी जमीन में नहीं समाता है वह बह जाता है जिस से अपने साथ मिट्टी को भी बहा कर ले जाता है. इस से एक ओर भूमिगत जल  में कमी आती है वहीँ बरसात भी कम हो जाती है और मिट्टी कमजोर हो जाती है .
 Fine cultivated soil become mud in rain water do not allow rain water to absorbed by soil, water run fast erode top soil is cause for desertification.

हम पिछले २ ७ सालों से बिना जुताई की कुदरती खेती का अभ्यास कर रहे हैं और इसके के प्रचार प्रसार में संलग्न हैं .ये खेती जुताई के बिना की जाती है इस में किसी भी प्रकार की मानव निर्मित खाद और दवाई की जरुरत नहीं रहती है.
We are practicing no-till natural farming since last 27 years and involved its promotion. This way of farming is done by zero tillage there is no need of any man made fertilizer and killer in this way.


इस खेती में नींदा समझी जाने वाली वनस्पतियाँ बहुत काम की होती हैं जिन्हें हम भूमिधकाव की फसल कहते हैं . हम इन्हें मारते नहीं हैं वरन बचाते हैं . इनके नीचे अनेक जीवजन्तु ,कीड़े मकोड़े काम करते हैं जो जमीन को बहुत उपजाऊ, पानीदार और पोला बना देते हैं.
Weeds play very important role in this way of farming. Many useful insects, small animal lives underneath which makes soil perforated ,moist and fertile.

ये खेती करने का तरीका जितना मिट्टी के लिए लाभप्रद है उतना ही ये स्वास्थ के लिए भी लाभप्रद हैं क्योंकि इस से कुदरती आहार के अलावा कुदरती जल और हवा भी मिलती है।
 Natural way of farming is  better for soil and is better for health also, because it  not only produce natural food is also producing natural water and air.


जुताई करने से  मिट्टी का कार्बन , CO2 में परिवर्तित हो जाता है जो ग्रीनहाउस  गेस है जिस से धरती पर निरंतर गर्मी बढ़ रही है।
Tilling of land is responsible for Global warming due to CO2 emission. Carbon of soil converts in to greenhouse gas.

SHALINI AND RAJU TITUS
NATURAL FARMER INDIA

 
 








होशंगाबाद की प्रथम महिला शिक्षाविद् स्व. श्रीमति पी. टाईटस


   
होशंगाबाद की प्रथम महिला शिक्षाविद् स्व. श्रीमति पी. टाईटस

  
न् 1944 मे जब लड़कियों को पढ़ाना समाज मे बुरा माना जाता था उन दिनो होशंगाबाद  मे पहला लड़कियों का प्रायमरी स्कूल खोलने का श्रेय हमारी माताश्री श्रीमति पालिना  टाईटस को जाता है। प्रायमरी से मिडिल, मिडिल से हायर सेकेण्डरी , हायर सेकेण्डरी से कालेज  और बाद मे पोस्ट ग्रेजुएट तक ले जाने के उनके काम को कौन नही जानता। उनकी शादी हमारे पिताश्री जो उन दिनो होशंगाबाद  के कलेक्टरेट मे काम करते थे, से सन् 1942 मे सम्पन्न हुई वे हवाबाग जबलपुर की शिक्षा  स्नातक थीं।
बीच में श्रीमती पी . टाइटस. दायें श्रीमती सुशीला दीक्षित भूत पूर्व शिक्षा मंत्री म. प्र . शासन 


   उन दिनों  हमारे देश  मे गांधी जी का अहिन्सात्मक स्वतन्त्रा संग्राम अपनी चरम सीमा पर था और ’’नई तालीम’’ की चर्चा जोरों पर थी इसी तारतम्य मे हमारी माताश्री का गर्लस शिक्षा  का मिशन  भी अनेक विरोध़ के बावज़ूद जड़ जमा रहा था वे ना केवल भारत मे वरन् बाहर भी एक क्वेकर होने के नाते अपने काम की छाप छोडती जा रही थीं।  हर कोई अपनी लड़की को पढ़ाना तो चाहता था, लड़कियें पढ़ना चाहतीं  थीं पर हमारा समाज था कि लड़कियों को घर के बाहर भेजना ही नहीं चाहता था। आखिर घर घर जाकर वे कुछ लड़कियों को स्कूल लाने मे सफल हो गईं उन गिनी चुनी लड़कियों से आखिर उन्होने हिम्मत करके स्कूल शुरु कर दिया।

     स्कूल के लिये उन्हे बमुश्किल  एक कमरे की जगह मिली टाट पटटी, ब्लेक बोर्ड कुछ भी नहीं था, दरवाजों पर चाक से लिख कर पढ़ाया जाता था।  जिद थी कि स्कूल खोलना  है। उनका साथ दिया उन जांबाज लड़कियों ने  जो ना केवल पढ़ना चाहती थीं वरन् लड़कियों को सामाजिक गुलामी से मुक्त कराना चाहती थीं। जैसे जैसे ये लड़कियां पास होती गईं इनके लिये अगली क्लास खुलती गई और बन गया गृहविज्ञान महाविघ्यालय जो आज नर्मदा नदी के किनारे सरकार के आधीन कुशलता  से चल रहा है।

   मिडिल स्कूल के बाद जब हायर सेकेन्डरी स्कूल खोलने का समय आया था तब समस्या जगह की आई जिसे माननीय स्व. कैलाषनाथ काटजू जो उन दिनों म.प्र. के मुख्यमन्त्री थे ने पूरा कर दिया उन्होने सरकार की जगह को इस नेक काम के लिये आवंटित कर दिया। ज्रगह तो मिल गई पर इनफरा स्ट्रक्चर के लिये पैसा और अन्य साधन जुटाना आसान नहीं था। जैसे तैसे उन्होने होशंगाबाद  के अन्य समाज सेवकों की सहायता से सादगी  से स्कूल को तैयार कर ही लिया। आज यह स्कूल शान से सरकार के आधीन गर्ल्स  हायर सेकेण्डरी स्कूल के नाम से विख्यात है।

   उन दिनो स्कूल सेवा भाव से खोले जाते थे ना कि आज की तरह व्यवसायिक तरीके से। हमारी माताजी की सफलता का राज यह है कि वे सारे खर्चों को निबटाने के बाद ही अपनी पगार लेती थीं अनेक बार तो आधा या बिलकुल नही से भी गुजारा करना पड़ता था। कई बार उनके आधीन काम करने वालों को भी बिना पैसे के काम करना पड़ता था। सबको वास्तु स्थिति पता रहने से उन्हे भरपूर सहयोग मिलता था।

   मुझे याद है स्कूल मे उन्होने एक पर्यावर्णीय प्रोजेक्ट चलाया था वे बागवानी के साथ सिलेबस को जोड़कर पढ़ाती थीं इससे बच्चों को क्लास रुम की बोरियत से निज़ात मिलती थी वे बहुत मन लगाकर पढ़ते थे। वे हमेशा  बच्चों को स्कूल के बाहर आसपास के गांवों मे ले जाकर समाज सेवा के कामो  से भी जोड़ती रहती थीं। आज कीशिक्षा  हमारे पर्यावर्णीय के विनाश  पर टिकी है इसलिये हम कुदरति जल,जंगल,जमीन, और आहार की गंभीर मुसीबत मे जी रहे हैं।

  एक बार जब उनका हायर सेकेण्डरी स्कूल बन गया और उन लड़कियों के कालेज मे पढ़ने की समस्या आई तो उन्होने हिम्मत नही हारी और कालेज खोलने  का निर्णय ले लिया  समस्या भवन और जगह की आई और उन्होने सरकार से गुहार लगाना शुरु कर दिया उनका केवल यह कहना रहता था कि अब से लड़कियां कहां जायेंगी और इस मजबूरी को समझकर सरकार उनकी मदद करती रहती थी इसी तारतम्य मे सरकार ने एस.पी. का बंगला खाली करवाकर उन्हे सोंप दिया और कहा बाकी का प्रबधं आप स्वं करें। अब तक प्रायमरी स्कूल से उनके साथ चलीं मुठठी भर जांबाज लड़कियां  स्कूल पास कर अनेक हो गईं थीं। छत मिल गई पढ़ने वाले मिल गये पर पढ़ायेगा कौन तो उन्होने अवैतनिक अतिथी विद्धानो से पढ़वाकर सरकार को ग्रांट देने पर बाध्य कर दिया सरकारी अनुदान मिलने से कालेज चल पड़ा जो शीघ्र ही स्नाकोत्तर भी हो गया।

वे इसे होम साईसं कालेज बनाना चाहती थीं पर सागर विश्वविध्यालय मे होमसाईसं विभाग ही नहीं था तो इस विभाग को खुलवाने का श्रेय भी हमारी माताजी को जाता है। उन्होने कालेज के साथ साथ एसी महिलाओं के लिये शिक्षा का प्रवधं किया था जो पढ़ना चाहती थीं किन्तु पारिवारिक और सामाजिक कारणों से पढ़ नहीं पाईं थीं । बाद मे सरकार ने  इस कार्यक्रम को मान्यता देकर प्रोढ़ शिक्षा अभियान के तहत सहयोग दिया। कई साल यह कार्यक्रम चला अनेक महिलायें  इससे पढ़कर नौकरियों मे लगीं और  अपना व्यवसाय करने लगीं।



हमारी माताश्री को समाज सेवा का बहुत शोक  था इसीलिये वे ना केवल अपने यहां वरन् देश  के बाहर भी एक क्वेकर महिला होने के नाते जानी जाती थीं और इस कारण वे अनेक बार विदेशों  मे भी  बुलाईं गईं।



जब होम साईसं कालेज ठीक से चलने लगा तो इसके स्थायित्व का प्रष्न आया तो उन्होने इसे सरकार को बिना शर्त सोंप दिया सरकार ने इस बने बनाये कालेज को हाथों हाथ ले लिया, और ठीक इसके बाद सन् 1973 मे होशं गाबाद की अब तक की सबसे भंयकर बाढ़ आई और मां नर्मदे इस कालेज के बीच से निकल गईं इससे यह कालेज बह गया। किन्तु सरकार के आधीन होने के कारण यह बच गया और पुनः खड़ा हो गया। यदि इसे बिना शर्त सरकार को नहीं सोंपा गया होता तो इसका नामोमिशन नहीं रहता हालाकि उन्हे मालूम था कि ऐसा करने से उनकी सेवाओ की सरकार को जरुरत नहीं रहेगी और उन्होने कालेज बचाने के खातिर यह जोखिम उठाया इस कारण उनकी नौकरी नहीं रही किन्तु वे इससे बहुत प्रसन्न रहीं कि हम रहे या नहीं रहे हमारी बनाई संस्था तो रहेगी।


ये लेख में भाई राजू जमनानी जी को "नव दुनिया " के लिए भेंट कर रहा हूँ .

धन्यवाद



राजू टाईटस

महिला दिवस नवदुनिया होशंगाबाद 8 मार्च 2013.