Tuesday, September 25, 2012

खड़ी धान में गेंहूं की बुआई

खड़ी धान में गेंहूं की बुआई
बिना जुताई की कुदरती खेती में धान की खड़ी फसल के भीतर ही फसलों को ऊगाने की प्रथा काफी पुरानी है. सामन्त : किसान  धान  को काटने से करीब दो सप्ताह पहले खड़ी धान  की फसल में ठण्ड में बोने वाली फसलों को फेंक देते हैं जिस से पर्याप्त नमी होने के कारण फ़सलें जम जाती हैं. धान को हाथ से काटा जाता है कटाई करने वालों के पांव के नीचे आगामी फसल के नन्हे पौधे दबने से उनका कोई नुक्सान नहीं होता है. धान को काटने तथा उसे झाड़ने के बाद बचा सब पुआल जहाँ खेतों से लिया जाता है उसे वही वापस उगती हुई फसल के उपर आडा तिरछा डाल दिया जाता है. जो खरपतवार नियंत्रण ,नमी संरक्षण,फसलों को रोग से बचाने ,और सड़ कर जैविक खाद देने में सहायक तो होता है साथ में इस के नीचे असंख्य केंचुए तथा उनके साथी चीटे चीटी दीमक आदि खेत को गहराई तक बखर देते हैं. ये बखरई मशीनों से की जाने वाली बखरई से भी अच्छी होती है. ठण्ड की फसल में किसी भी प्रकार की खाद ,दवाई की जरुरत नहीं रहती है. फसल की पैदावार ५००से १००० ग्राम /एक वर्ग मीटर  तक मिल जाती है जो आसपास के अच्छे से अच्छे खेतों से कम नही रहती है.
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Raju Titus.Natural farm.Hoshangabad. M.P. 461001.
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