धान की पुआल से करें ठण्ड में गेंहूं की कुदरती खेती.
आज क़ल अनेक किसान धान की कटाई हार्वेस्टर से करते हैं इस लिए गेंहूं की अंतर फसल संभव नहीं रहती है और वे पुआल को अपने खेतों पर वापस डाल भी नहीं पाते हैं. उसे वे जला देते हैं ये बहत गलत है.गेंहूं की खेती के लिए जुताई,खाद,दवाई और दवाई तथा सिंचाई काफी महंगी पड़ती है. ऐसे में आप धान की कटाई और गहायी के उपरांत भी बिना जुँताई करे आसानी से गेंहूं की बोनी कर सकते है. उसके लिए आप को खेतों में गेंहूं के बीजों को ४० किलो. प्रति एकड़ के हिसाब छिटक दीजिये और उस के ऊपर मशीन से काटे पुआल को आडा तिरछा इस प्रकार से फेंक दीजिये की सूर्य की रोशनी आपके खेतों में नीचे तक पहुँच जाये. फ़िर सिंचाई कर दीजिये.
आप देखेंगे की पुआल के भीतर से सब गेंहूं उग कर बाहर निकाल आता है. इस में समय समय से जुताई करते रहें. इस प्रकार आप चने आदि को भी बो सकते हैं. इस तरीके से आसानी से १/२ टन से एक टन/ चोथाई एकड़ तक फसल मिल जाती है जो हर साल बढती रहती है इस से जमीन भी की ताकत भी बढती रहती है.
Growing winter crops with the help of Rice straw.
Many Rice grower are doing harvesting with machine (Harvester). Therefor they can not do inter cropping of winter grain.They burn precious straws. If farmer use rice straw they can save cost of tilling ,cost of composting ,cost of chemical fertilizers,cost on killing of weeds and insects,
cost of Tonic and cost of making bio fertilizer from cow' dung and urine.
Simply scatter winter gains directly on the field and cover field by Rice straws uniformly in a manner in which sun light properly penetrate up to ground, so seedlings easily come out through straws. In the absence of moisture irrigation can be done it saves about 50% water also. Winter grain gives normal yield it will not low even in first year. The production increase every year with because zero soil ,water and bio diversity erosion.
--Raju Titus.Natural farm.Hoshangabad. M.P. 461001.
rajuktitus@gmail.com. +919179738049.
http://picasaweb.google.com/rajuktitus
fukuoka_farming yahoogroup
http://rishikheti.blogspot.com/
आज क़ल अनेक किसान धान की कटाई हार्वेस्टर से करते हैं इस लिए गेंहूं की अंतर फसल संभव नहीं रहती है और वे पुआल को अपने खेतों पर वापस डाल भी नहीं पाते हैं. उसे वे जला देते हैं ये बहत गलत है.गेंहूं की खेती के लिए जुताई,खाद,दवाई और दवाई तथा सिंचाई काफी महंगी पड़ती है. ऐसे में आप धान की कटाई और गहायी के उपरांत भी बिना जुँताई करे आसानी से गेंहूं की बोनी कर सकते है. उसके लिए आप को खेतों में गेंहूं के बीजों को ४० किलो. प्रति एकड़ के हिसाब छिटक दीजिये और उस के ऊपर मशीन से काटे पुआल को आडा तिरछा इस प्रकार से फेंक दीजिये की सूर्य की रोशनी आपके खेतों में नीचे तक पहुँच जाये. फ़िर सिंचाई कर दीजिये.
आप देखेंगे की पुआल के भीतर से सब गेंहूं उग कर बाहर निकाल आता है. इस में समय समय से जुताई करते रहें. इस प्रकार आप चने आदि को भी बो सकते हैं. इस तरीके से आसानी से १/२ टन से एक टन/ चोथाई एकड़ तक फसल मिल जाती है जो हर साल बढती रहती है इस से जमीन भी की ताकत भी बढती रहती है.
Growing winter crops with the help of Rice straw.
Many Rice grower are doing harvesting with machine (Harvester). Therefor they can not do inter cropping of winter grain.They burn precious straws. If farmer use rice straw they can save cost of tilling ,cost of composting ,cost of chemical fertilizers,cost on killing of weeds and insects,
cost of Tonic and cost of making bio fertilizer from cow' dung and urine.
Simply scatter winter gains directly on the field and cover field by Rice straws uniformly in a manner in which sun light properly penetrate up to ground, so seedlings easily come out through straws. In the absence of moisture irrigation can be done it saves about 50% water also. Winter grain gives normal yield it will not low even in first year. The production increase every year with because zero soil ,water and bio diversity erosion.
--Raju Titus.Natural farm.Hoshangabad. M.P. 461001.
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