Tuesday, January 27, 2015

पुआल ,नरवाई आदि खेत को उपजाऊ बनाते हैं।

 पुआल ,नरवाई आदि खेत को उपजाऊ बनाते हैं।

 चित्र में गेंहूँ की नरवाई  के ढकाव में से झांकते मूंग के पौधे 
धिकतर किसान अपने खेतों के पुआल ,नरवाई आदि को जला देते हैं या खेतों को मेड  पर सड़ने के लिए छोड़ देते हैं। यह ठीक नहीं है यदि इन अवशेषों को जहाँ का तहाँ  वापस डाल  दिया जाये तो इस से खेतों की उर्वरकता शक्ति में इजाफा हो जाता है और किसी भी प्रकार के मानव निर्मित खाद या उर्वरक की जरुरत नहीं रहती है। किंतु यह फायदा केवल बिना जुताई की खेती में रहता है। जुताई करने से खेतों की खाद बह जाती है या गैस बन कर उड़ जाती है।
 इसके अलावा पुआल /नरवाई की ढकावन से फसलों में खरपतवारों का नियंत्रण हो जाता है और कोई रोग भी नहीं लगते हैं।

दलहन और गैर दलहन फसलों को बदल बदल कर लगाने से कभी फसलों को यूरिया (नत्रजन ) की कमी नहीं रहती है. इस ढकावन के कारण असंख्य जीव जंतु कीड़े मकोड़े जमीन में रहने लगते हैं जिस से खेत बहुत गहरई तक छिद्रित हो जाते हैं। जिस खेतों में हवा और जल का संचार हो जाता है फसलें अच्छा उत्पादन देती है।
गेंहूँ के बीजों को छिड़ककर ऊपर से धान की पुआल को
 आड़ा  तिरछा डाल दिया गया है 

फसलोत्पादन  के लिए की जाने वाली जमीन की जुताई के कारण खेतों का कर (पोषक तत्व ) बह  जाता है खेत मुरदार हो जाते हैं घाटे  के कारण किसान आत्म ह्त्या कर रहे हैं। 

आजकाल धान  की पुआल को जला कर बिजली बनाने का काम किया जाने लगा है।  यह बहुत गलत है सरकार  के लिए एक तरफ करोड़ों रु खर्च कर रही है वहीं कीमती धान की पुआल को जलवा रही है ।  यह गलत है हर हाल में नरवाई और पुआल को जलने पर प्रतिबन्ध होना चाहिए। 

 

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