खाद बनाने की कोई जरुरत नहीं है
उपजाऊ मिट्टी और खाद में कोई फर्क नहीं होता है। इसे बनाने को की जरुरत नहीं है। इसका यह मतलब नहीं है की खाद जरूरी नहीं है। हमने अपने अनुभवों से यह जाना है की खेती के तमाम अवशेषों जैसे पुआल ,नरवाई ,पत्तियां ,छिल्पियां ,तिनके और लकड़ियाँ ,गोबर आदि को जैसा का तैसा जमीन पर पड़ा रहने दिया जाये तो वह जमीन की सतह पर जहाँ पर्याप्त नमी ,रोशनी और हवा रहती है सड़ कर उत्तम जैविक खाद में तब्दील हो जाता है।
आज कल जब से किसान रासायनिक विकल्पों की खोज में लगे हैं अनेक तरह की रसायन मुक्त खाद बनाने की तकनीकें बताई जा रही हैं जैसे केंचुओं की खाद ,गोबर गोंजन कचरो की खाद ,गोबर गोमूत्र की खाद ,गुड जड़ीबूटियों की खाद ,सूख्स्म जीवाणु की खाद आदि।
सब लोग अपनी अपनी तकनीक को सबसे अच्छा बताने में लगे हैं। इसके लिए किसान कड़ी धुप में बहुत महनत करते हैं दूर दूर से अवशेषों को इकठा कर खाद बनाने के लिए अवशेषों को लाते हैं फिर खाद बन जाने पर उसे खेतों में डालने जाते हैं। इतना कस्ट वो लोग इसलिए उठाते है क्योंकि वो लाभप्रद फसल चाहते हैं। वो यह सोचते हैं की हम जो कर रहे हैं सर्वोत्तम है।
कल जब हमारे यहाँ कानपुर से हमारी खेती को देखने के लिए श्री विवेक चतुर्बेदीजी पधारे तो उन्होंने हमारी विगत दिनों से चल रही समस्या का हल कर दिया। असल में हमारे पास गेंहूँ की नरवाई को प्राप्त करने का कोई यंत्र नहीं था। तो उन्होंने हमे इस यंत्र को गिफ्ट कर दिया है। यह यंत्र गेंहूँ की पुआल से गेंहूँ और नरवाई को अलग कर देता है। इस से पूर्व हम गेंहूँ की गहाई परम्परागत तरीके से करते थे। जिसके कारण गेंहूँ की नरवाई भूसे में तब्दील हो जाती है है जिसका फायदा बारीक होने के कारण नही मिल रहा था।
गर्मी की मूंग खेती के लिए या बरसाती धान की खेती के लिए गेंहूँ की नरवाई बिना टूटे होना बहुत जरूरी है यह मशीन उस काम को आसानी से कर देती है इसमें पशु या बिजली आदि को कोई जरुरत नहीं है।
गेंहूँ और धान की पांव से चलने वाली गहाई मशीन |
पुआल के ढकाव से निकलते गेंहूँ के नन्हे पौधे |
हमारे तवा कमांड के छेत्र में आज कल फसलों की कटाई और गहाई
बड़ी बड़ी मशीनो से होती है जिस के कारण पुआल और नरवाई खेतों में पड़ी रहती है अधिकतर किसान उसे जला देते हैं इस से खेत मरुस्थल में तब्दील हो रहे हैं। कृपया इस मशीन को भी देखिये - आज जब बिजली और आयातित एक समस्या बन गया है हमे क्लीन उर्जा की जरुरत है। भाई विवेकजी का यह प्रयास भारत की तकदीर बदल सकता है।
हम गोसंवर्धन की बात तो करते हैं किन्तु जमीन की जुताई नहीं छोड़ते हैं इस कारण हमारा गोवंश इस हद ताका प्रभावित हो गया है की हमे हर काम के लिए मशीनों की जरुरत पड़ रही है। विवेकजी ने इस समस्या को देखते हुए गोवंश सम्वर्धन और मशीनों के बीच एक संतुलन का निर्माण किया है। अधिक जानकारी लिए विवेकजी से उनके मोबाइल न 9839039997 पर संपर्क किया जा सकता है।
बेलों से चलने वाली गहाई की मशीन