Friday, December 7, 2012

NATURAL FARMING TAKING ROOT IN M.P. जड़ जमा रही है बिना -जुताई की खेती

जड़ जमा रही है बिना -जुताई की खेती

कमाल किया बसंत राजपूत जी ने

होशंगाबाद म .प्र .में बह रही पवित्र नदी नर्मदा नदी को कौन नहीं जानता जब भी कोई यहाँ  आता है वह सिठानी घाट जरुर जाता है। ठीक इस घाट से उस पार  जब हम नाव से जाते हैं हमें जोशीपुर गाँव मिलता है। इस गाँव में खेती करते हैं श्री बसंत राजपूत जी .राजपूत जी से मिलने की भी कहानी है।
            अपर्णा,श्रुति,एंजिल ,राजू ,अभिनव और पीछे श्रीमती हेमा जैन,फोटो लिया श्री देव कुमार जैन ने।
हमारे यहाँ देवकुमार जी अपनी पत्नी और बच्चों के साथ पधारे थे वे हाल ही में अमेरिका की नोकरी छोड़ कर बिना जुताई की कुदरती खेती को समझने यहाँ पधारे थे हम उनके साथ नाव की सेर करते जोशीपुर जा पहुंचे वहां हम किसानो को खोज रहे थे वहां अचानक हमारी भेंट बसंत राजपूत जी से हो गयी। उन्होंने बताया की वे पिछले चार सालों से बिना-जुताई करे अरहर और गेंहूं की खेती कर रहे है।
                                                        श्री बसंत राजपूत और मधु टाइटस 
      उस समय तो हमारे पास वक्त कम था हम उनके खेत देखे बिना ही लौट आये किन्तु हम 5 दिसम्बर को मधु मेरे बेटे के साथ उनके खेतों पर जा पहुंचे। हम ये देख कर दंग रह गए की वे हमारे इतने करीब चुपचाप बिना जुताई की खेती कर रहे हैं हमने जब उनसे पूछा की आपको इस खेती को करने की प्रेरणा कहाँ से मिली तो उन्होंने हमारे फार्म के बारे में छपे लेख का हवाला दिया और कहा की हमारे खेत असमतल हैं इनमे जुताई नहीं 
हो सकती है इस लिए भी हम ऐसी खेती करने लगे है।
   वे चार सालों से अपने खेतों में शुरुआती बरसात में अरहर के बीज बिखेर देते हैं। इसके बाद वे एक निंदाई कर देते है। इसके बाद जब अरहर काटने का समय आता है वे उस से करीब 25 दिन पहले अरहर को काट लेते हैं उसे खलियान में सुखा लेते हैं और खेतों में गेंहूं के बीजों को छिटक  कर स्प्रिंकलर से सिंचाई कर देते हैं।
                                                                         अरहर का पौधा 
    इस प्रकार वे अपने गाँव में अकेले ऐसे किसान हैं जो बिना-जुताई करे खेती करते हैं और साल में  दो फसलें लेते हैं। अभी वे जानकारी के आभाव में कुछ रसायनों का इस्तमाल कर रहे हैं किन्तु हमसे मिली जानकारी के बाद वे अब अपनी जीरो-टिलेज खेती को कुदरती खेती में बदलने लगे हैं।
     बसंत भाई बड़े समझदार और प्रयोग शील हिम्मत वाले किसान हैं उनकी फसल निरोगी ताकतवर पैदा हो रही है। उनकी इस खेती के सामने तवा कमांड की आधुनिक वैज्ञानिक खेती फीकी है।
     इन दिनों वे खड़ी अरहर की फसल में गेंहूं की बुआई करने का प्रयोग कर रहे हैं। इस प्रयोग से उन्हें अगेती अध्-कच्ची फसल नहीं कटनी पड़ेगी और वे रसायनों से भी मुक्ति पा जायेंगे और उनके खेत पूरी तरह कुदरती खेती में तब्दील हो जायेंगे।
      हम उनकी खेती से सीख कर अब बरसात में अरहर की खेती शुरू कर देंगे वे हमारे गुरु बन गए हैं। उनकी इस खेती को देख कर अनेक किसान भी बदलेंगे।
धन्यवाद
शालिनी एवं राजू टाईटस

 Zero-Tillage

NO-TILL FARMING GETTING ROOTS
STORY OF MR BASANT RAJPUT OF HOSHANGABAD.
 Dear friends,
This story in Hindi of a farmer who inspired by Titus farm news.
He is scattering Arhar (Pigeon pea)in rainy season in 12 acre and scattering wheat seeds in standing Arhar crop.In some plots he harvest Arhar early for wheat crop.Although he is not aware of many unwanted things such as using chemicals and breaking stubble by machine but after meeting with me realized and will stop.
  Conversion of zero tillage farming in to Natural way of farming.
Thanks
Raju

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